जबलपुर (जयलोक)
वर्तमान में नगर निगम की प्रशासनिक व्यवस्था में गिने-चुने कुछ बड़े और कुछ कनिष्ठ अधिकारियों का बड़ा रोल नजर आता है। यह भी कहा जाना गलत नहीं होगा कि गिने-चुने कुछ अधिकारियों के भरोसे ही नगर निगम की पूरी कार्य प्रणाली संचालित हो रही है।
वर्तमान में नगर निगम की प्रशासनिक व्यवस्था में गिने-चुने कुछ बड़े और कुछ कनिष्ठ अधिकारियों का बड़ा रोल नजर आता है। यह भी कहा जाना गलत नहीं होगा कि गिने-चुने कुछ अधिकारियों के भरोसे ही नगर निगम की पूरी कार्य प्रणाली संचालित हो रही है।
नगर निगम के विभिन्न विभागों में बैठे अधिकांश लोग केवल औपचारिकता के नाम पर नौकरी कर रहे हैं। घड़ी देखकर कार्यालय आना और घड़ी देखकर 5 बजते ही बोरिया बिस्तर समेट के भागना इनकी आदत में शुमार है। यह बड़ी विडंबना है कि नगर निगम में इतने अधिक लोगों के होने के बावजूद भी कार्य प्रणाली लचर बनी रहती है। आने वाले एक-दो माह में नगर निगम के बहुत से चर्चित वरिष्ठ अधिकारी सेवानिवृत होने जा रहे हैं। जिसके कारण प्रशासनिक स्तर पर और राजनीतिक स्तर पर इस बात की चिंता की जाने लगी है कि इतने वरिष्ठ अधिकारियों से नगर निगम का खाली हो जाना शहर में चल रहे विकास कार्य और नगर निगम की कार्यपाली पर सीधे तौर पर असर डालेगा।
कार्य व्यवस्था ना बिगड़े इसके लिए कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को सेवा वृद्धि के लिए तैयार कर लिया गया है। उनकी तरफ से आवेदन लेकर नगर निगम प्रशासनिक प्रक्रिया की पूर्ति कर इन्हें 1 वर्ष की सेवा वृद्धि प्रदान करेगा। अधिकारियों के आवेदन आयुक्त से होते हुए मेयर इन काउंसिल में चर्चा के लिए रखे जाएंगे और इसके बाद इन्हें अनुमोदित कर दिया जाएगा।
तीन से चार ऐसे अधिकारी जिन्हें दी जा सकती है सेवा वृद्धि
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार नगर निगम में वर्तमान में कार्य कर रहे तीन से चार ऐसे वरिष्ठ अधिकारी हैं जिनका विकल्प तात्कालिक रूप से निगम प्रशासन के पास उपलब्ध नहीं है। ऐसे अधिकारियों को सेवा वृद्धि देकर 1 साल तक उनकी सेवाएं और ली जा सकती है।
गर्राये अधिकारी-कर्मचारियों पर आयुक्त की तिरछी नजर
सूत्रों के अनुसार आयुक्त प्रीति यादव ने इस बात की जानकारी विभागीय तौर पर एकत्रित करना शुरू कर दिया है कि किस विभाग का कौन सा अधिकारी, कौन सा कर्मचारी कौन सा तृतीय श्रेणी कर्मचारी कार्य के प्रति गंभीरता से आचरण नहीं कर रहा है।
कौन कितने बजे अपने कार्यालय पहुंच रहा है और उसके बाद क्या कार्य कर रहा है। नगर निगम प्रशासन की फौज में आज भी ऐसे बहुत से अधिकारी कर्मचारी हैं जो बिना काम के केवल तन्खा प्राप्त करने के लिए नगर निगम में आते है।
अधिकारी बैठे रहते हैं कर्मचारी भाग जाते हैं
नगर निगम के ऐसे बहुत सारे विभाग है जहां पर कार्यालय का समय समाप्त होने के बावजूद भी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए कई अधिकारी देर शाम तक कार्य करते नजर आते हैं। कई बार आयुक्त प्रीति यादव स्वयं देर शाम तक कार्यालय में बैठकर कार्य करती रहती हैं।
लेकिन इसके बावजूद भी पुराने ढर्रे पर चले आ रहे तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी अधिकारियों के दफ्तर में मौजूद होने के बावजूद भी घड़ी देखकर काम चोरी की प्रथा को निभाते हुए भाग जाते हैं।
कार्य व्यवस्था ना बिगड़े इसके लिए कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को सेवा वृद्धि के लिए तैयार कर लिया गया है। उनकी तरफ से आवेदन लेकर नगर निगम प्रशासनिक प्रक्रिया की पूर्ति कर इन्हें 1 वर्ष की सेवा वृद्धि प्रदान करेगा। अधिकारियों के आवेदन आयुक्त से होते हुए मेयर इन काउंसिल में चर्चा के लिए रखे जाएंगे और इसके बाद इन्हें अनुमोदित कर दिया जाएगा।
तीन से चार ऐसे अधिकारी जिन्हें दी जा सकती है सेवा वृद्धि
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार नगर निगम में वर्तमान में कार्य कर रहे तीन से चार ऐसे वरिष्ठ अधिकारी हैं जिनका विकल्प तात्कालिक रूप से निगम प्रशासन के पास उपलब्ध नहीं है। ऐसे अधिकारियों को सेवा वृद्धि देकर 1 साल तक उनकी सेवाएं और ली जा सकती है।
गर्राये अधिकारी-कर्मचारियों पर आयुक्त की तिरछी नजर
सूत्रों के अनुसार आयुक्त प्रीति यादव ने इस बात की जानकारी विभागीय तौर पर एकत्रित करना शुरू कर दिया है कि किस विभाग का कौन सा अधिकारी, कौन सा कर्मचारी कौन सा तृतीय श्रेणी कर्मचारी कार्य के प्रति गंभीरता से आचरण नहीं कर रहा है।
कौन कितने बजे अपने कार्यालय पहुंच रहा है और उसके बाद क्या कार्य कर रहा है। नगर निगम प्रशासन की फौज में आज भी ऐसे बहुत से अधिकारी कर्मचारी हैं जो बिना काम के केवल तन्खा प्राप्त करने के लिए नगर निगम में आते है।
अधिकारी बैठे रहते हैं कर्मचारी भाग जाते हैं
नगर निगम के ऐसे बहुत सारे विभाग है जहां पर कार्यालय का समय समाप्त होने के बावजूद भी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए कई अधिकारी देर शाम तक कार्य करते नजर आते हैं। कई बार आयुक्त प्रीति यादव स्वयं देर शाम तक कार्यालय में बैठकर कार्य करती रहती हैं।
लेकिन इसके बावजूद भी पुराने ढर्रे पर चले आ रहे तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी अधिकारियों के दफ्तर में मौजूद होने के बावजूद भी घड़ी देखकर काम चोरी की प्रथा को निभाते हुए भाग जाते हैं।