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गाँव का विकास पहले भी हो सकता था, मोदी का इंतजार क्यों करना पड़ा

प्रधानमंत्री ने दिल्ली के भारत मंडपम में ग्रामीण भारत महोत्सव 2025 का किया शुभारंभ, कहा

नई दिल्ली (जय लोक)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शनिवार को दिल्ली के भारत मंडपम में ग्रामीण भारत महोत्सव 2025 का इनॉगरेशन किया। पीएम ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा-मेरा ज्यादा समय गाँव-देहात में गुजरा। मैंने परेशानियों को करीब से देखा है इसीलिए समस्याओं को हल करने का सपना देखा।
पहले हमारे देश के सीमावर्ती गाँवों को लेकर सोच क्या थी। उन्हें देश का आखिरी गाँव कहा जाता था। हमने ये सोच बदली। हमने बताया कि सूरज की पहली और आखरी किरण यहाँ पड़ती है। ये हमारे लिए प्रथम गाँव हैं। इनके लिए वाइब्रेंट विलेज योजना शुरू की। जिन्हें किसी ने नहीं पूछा उन्हें मोदी ने पूजा है।
पीएम ने कहा- आजादी के बाद से अबतक देश के लाखों गाँव बुनियादी चीजों से वंचित रहे हैं। देश में सबसे ज्यादा स्ष्ट, स्ञ्ज और ओबीसी कहां रहते हैं…गाँव में। ये लोग गाँव में ही गुजारा करते हैं। पहले की सरकारों ने इनकी जरूरतों पर ध्यान नहीं दिया। गाँव से पलायन होता रहा। गरीबी बढ़ती रही। गाँव शहर की खाई भी बढ़ती रही।
हम में से जो लोग गाँव से हैं, पले बढ़े हैं। वो जानते हैं गाँवों की ताकत क्या है। जो गाँव में बसा है, गाँव भी उसके भीतर बस जाता है। जो गाँव में जिया है वो गाँव में जीना भी जानता है। मेरा बचपन भी एक छोटे से कस्बे में बीता।मैंने बचपन से देखा है, लेकिन पूंजी की कमी के कारण उन्हें अवसर नहीं मिल पाते। मैंने देखा है गाँव में विविधता से भरा सामथ्र्य होता है लेकिन वह मूलभूत समस्याओं में ही खप जाता है। कभी प्राकृतिक आपदा के कारण फसल नहीं होती, इन परेशानियों को करीब से देखने के कारण ही गाँव गरीब की समस्या हल करने का सपना देखा।
2014 से में लगातार हर पल ग्रामीण भारत की सेवा में लगा हँू। घर घर शौचालय बनवाए, करोड़ों परिवारों को पक्के घर दिए। आज जल जीवन मिशन से लाखों गाँवों के हर घर तक पीने का साफ पानी पहुंच रहा है। कोविड के समय दुनिया को लग रहा था भारत के गाँव इस महामारी से कैसे निपटेंगे लेकिन हमने हर गाँव में आखरी व्यक्ति तक वैक्सीन पहुंचाई।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए जरूरी है कि गाँव में हर वर्ग के लिए आर्थिक नीतियां बनें। 2-3 दिन पहले ही कैबिनेट फसल बीमा योजना को एक साल और बढ़ाया है। डीएपी का दाम दुनिया में बढ़ रहा है आसमान छू रहा है। दुनिया में जो दाम चल रहा है अगर वो हमारे किसान को मिलता तो किसान बोझ तले ऐसा दब जाता कि खड़ा ही न हो पाता। हमने सब्सिडी बढ़ाकर उसके दाम को स्थिर रखा है।
कृषि के अलावा लोहार, कुम्हार जैसे ज्यादातर लोग गाँव में ही रहते हैं। रुरल इकोनॉमी और लोकल इकोनॉमी में इनका बहुत योगदान रहा है। पहले इनकी लगातार उपेक्षा हुई, लेकिन हम इन्हें नए नए उत्पाद तैयार करने, स्किल बढ़ाने, सस्ती दरों पर सामान दिलाने के लिए विश्वकर्मा योजना चला रहे हैं। जब इरादे नेक होते हैं नतीजे भी संतोष देने वाले होते हैं।
हमने आदिवासी इलाकों के लिए पीएम जनमन योजना शुरू की। हम गाँव के विकास से राष्ट्र के विकास के मंत्र को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। इसका ही फल है कि देश के 25 करोड़़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं। इनमें बड़ी संख्या गाँव के लोगों की है। एसबीआई की एक रिपोर्ट कहती है 2012 में गाँवों में गरीबी 26 प्रतिशत थी। 2024 में भारत में गाँवों में गरीबी घटकर 5 प्रतिशत से भी कम हो गई है।
आज गाँव में बैंक सखी और डीमा सखी के नाम से महिलाएं गाँवों की अर्थव्यवस्था को और मजबूत कर रही हैं। गाँव गाँव में महिलाएं सेल्फ हेल्प ग्रुप के जरिए क्रांति कर रही हैं। दलित वंचित आदिवासी समाज की महिलाओं के लिए विशेष योजनाएं भी चला रहे हैं। आज जितना गाँव के विकास पर फोकस किया जा रहा है उतना कभी नहीं हुआ।
पीएम ग्राम सडक़ योजना के तहत दस साल में 4 लाख किमी लंबी सडक़ें बनाई गई हैं। हमारे गाँव के लोगों ने उनको झुठला दिया है जो सोचते थे गाँव के लोग डिजिटल टेक्नोलॉजी नहीं अपना पाएंगे। आज देश में 94 प्रतिशत से ज्यादा ग्रामीण परिवारों में टैलीफोन या मोबाइल है। गाँव में ही बैंकिंग और यूपीआई जैसी सुविधाएं हैं। पीएम मोदी का दिल्ली में लगातार दो दिनों में दूसरा कार्यक्रम रहा। 3 जनवरी को पीएम ने दिल्ली में 4500 करोड़ रुपए की कई परियोजनाओं का इनॉगरेशन और शिलान्यास किया था। उन्होंने अशोक विहार में बने 1,675 फ्लैट्स की चाबी गरीबों को सौंपी थी।
दिल्ली में चुनाव की तारीखों का जल्द ऐलान होगा
दिल्ली विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल 23 फरवरी 2025 को खत्म हो रहा है। चुनाव आयोग जनवरी के दूसरे हफ्ते में चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है। पिछला विधानसभा चुनाव फरवरी 2020 में हुआ था, जिसमें आम आदमी पार्टी ने पूर्ण बहुमत हासिल किया था और 70 में से 62 सीटें जीती थीं।

 

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Jai Lok
Author: Jai Lok

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