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चरणामृत एवं पंचामृत क्या है ?

(एजेंसी/जयलोक)। हमारे पुराणों में कहा गया है कि -‘‘जल तब तक जल ही रहता है जब तक भगवान के चरणों से नहीं लगता है तथा जैसे ही भगवान के चरणों से लगा या स्पर्ष हुआ तब वह अमृत रूप होकर ही चरणामृत बन जाता है।’’ चरणामृत के सम्बन्ध में वामन पुराण में एक प्रसिद्ध कथा है- जब विष्णु भगवान का वामन अवतार हुआ और वे राजा बलि की यज्ञ शाला में दान लेने गये तब उन्होंने मात्र तीन पग में तीन लोक नाप लिए। जब उन्होंने पहले पग में नीचे के लोक नाप लिए और दूसरे में ऊपर के लोक नापने लगे तो जैसे ही ब्रह्मलोक में उनका चरण गया तो ब्रह्माजी ने अपने कमण्डल में से जल लेकर भगवान के चरण धोए और फिर चरणामृत को वापस अपने ही कमण्डल में सुरक्षित रख लिया। वह चरणामृत ही हमारी पवित्र गंगाजी बन गई जो आज भी सारे संसार के पापों को धो रही है। जब हम बांके बिहारीजी की आरती करते हैं तब गाते हैं-
चरणों से निकली गंगा प्यारी जिसने सारी दुनिया तारी
प्रभु के चरणामृत का केवट का उदाहरण सर्वश्रेष्ठ है-
दोहा- पदपखारि जलु पान करि आपु सहित परिवार।
पितर पारु करि प्रभुहि पुनि मुदित गयउ लेई पार।।
-श्रीरामचरितमानस अयो.ञ्चदो 101
केवट ने श्रीराम के चरणों को धोकर और सारे परिवार सहित स्वयं उस जल(चरणामृत-चरणोदक) को पीकर पहले उस महान पुण्य के द्वारा अपने पितरों को भवसागर से पार कर फिर आनन्दपूर्वक प्रभु श्रीरामचन्द्रजी को गंगाजी के पार ले गया।
पंचामृत
पंचामृत का अर्थ है ‘‘पांच अमृत’’। दूध, दही, घी, शहद एवं शकर को मिलाकर पंचामृत बनाया जाता है। देशी गाय का दूध, दही एवं घी पंचामृत के लिए स्वास्थ्यवद्र्धक एवं अति पवित्र ही नहीं श्रेष्ठतम माना गया है। पंचामृत का सेवन करने से शरीर पुष्ट ही नहीं अपितु रोगमुक्त होता है। भगवान को पंचामृत से स्नान कराना चाहिये।पंचामृत आत्मोन्नति एवं आध्यात्मिक जीवन की सफलता में सहायक है। पंचामृत हमारी आत्मोन्नति के पाँच प्रतीक है यथा-1.दूध – देशी गाय का दूध पंचामृत का प्रथम भाग है। यह शुभ्रता-पवित्रता का प्रतीक है। अर्थात् हमारा जीवन दूध की तरह निष्कलंक होना चाहिये। 2. दही – दही का गुणा है कि यह दूसरों केा अपने जैसा बनाता है। स्निग्ध एवं शीतल दही चढ़ाने का तात्पर्य यही है कि पहले हम ईश्वर के समक्ष निष्कलंक हो तथा दूसरों को भी ऐसा बनाने का प्रयास करें। 3.घी- घी भी देशी गाय का होना चाहिये क्योंकि ये स्निग्धता और स्नेह का प्रतीक है। हम परिवार व समाज में स्नेहयुक्त सम्बन्ध बनाये।4. शहद-शहद मीठा, शक्तिवद्र्धक होता है। इससे हमें शक्ति प्राप्त होती है। शक्तिशाली व्यक्ति ही समाज का कल्याण कर सकता है। शहद जीवन में मीठीवाणी बोलने की प्रेरणा देता है।5.शकर-शकर मिठास का प्रतीक है। शकर जीवन में मिठास उत्पन्न करती है तथा राग-ईष्र्या-द्वेष की कड़वाहट को समाप्त कर मधुर व्यवहार की प्रेरणा देती है।ये ही पाँचगुण पंचामृत के है, जो कि हमारे जीवन को संसार में जन्म लेने उसके कश्र्रव्यों को पूरा करने की प्र्रेरणा देते है।
– डॉ. नरेन्द्र कुमार मेहता

Jai Lok
Author: Jai Lok

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