21 अप्रैल तक देना है शपथ पत्र के साथ अस्पतालों को अपने डॉक्टरों के संबंध में जानकारी
जबलपुर (जयलोक)। दमोह के मिशन अस्पताल में एक चिकित्सक की वजह से 7 लोगों की मौत की हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद प्रदेश प्रशासन ने निजी अस्पतालों और क्लीनिकों में चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक बड़ा कदम उठाया है। जारी हुए नए निदेर्शों के बाद जबलपुर के भी तकरीबन 153 निजी अस्पतालों में हडक़ंप मच गया है। इन सभी निजी अस्पतालों को 21 अप्रैल से पहले अपने यहां पदस्थ वरिष्ठ चिकित्सकों सहित जूनियर चिकित्सकों तक के संबंध में शपथ पत्र के साथ संपूर्ण जानकारियाँ शासन को देनी है। अब यह तो बनी बात है कि चोर की दाढ़ी में तिनका है और कुछ बदनाम अस्पताल इस तिनके को छुपाने का काम भी करने में जुट गए हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट निर्देश जारी करते हुए 21 अप्रैल तक जिले के सभी निजी अस्पतालों को अपने चिकित्सा अधिकारियों की प्रमाणित योग्यता एवं पंजीकरण की पुष्टि करने का आदेश दिया है। इस आदेेश के बाद निजी अस्पतालों में हडक़ंप मचा हुआ है।
जबलपुर जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजय मिश्रा के अनुसार, सभी निजी चिकित्सालयों को यह सुनिश्चित करना होगा कि मरीजों की देखभाल में संलग्न सभी चिकित्सकों के पास मान्यता प्राप्त संस्थान से प्राप्त वैध चिकित्सा डिग्री हो साथी ही मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद में पंजीकरण हो, अतिरिक्त विशेषज्ञ योग्यता का पंजीकरण अनिवार्य रूप से हो। यह आदेश राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019, क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट, 2010 एवं मध्य प्रदेश नर्सिंग होम एंड क्लिनिक एक्ट के तहत लागू किया गया है।
स्टांप पेपर पर शपथ पत्र की अनिवार्यता
सभी अस्पतालों को 21 अप्रैल तक सीएमएचओ कार्यालय को लिखित रिपोर्ट देना होगा, जिसमें सभी कार्यरत चिकित्सा अधिकारियों की योग्यता और पंजीकरण की जानकारी हो, साथ ही 100 रूपये के स्टांप पेपर पर यह शपथ-पत्र देना अनिवार्य होगा कि अस्पताल में केवल योग्य और अधिकृत चिकित्सकों द्वारा ही चिकित्सा सेवाएं दी जा रही हैं।
बाहर से आए चिकित्सकों पर भी नजर
डॉ. मिश्रा ने यह भी स्पष्ट किया है कि अन्य राज्यों से आए चिकित्सकों को तभी सेवाओं में लिया जाए, जब वे एमपीएमसीएसआई में विधिवत पंजीकृत हों। बिना पंजीकरण के किसी भी बाहरी चिकित्सक को कार्य करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई
स्वास्थ्य विभाग ने यह भी कहा है कि यदि किसी चिकित्सक के पास आवश्यक प्रमाणपत्र या वैध पंजीकरण नहीं पाया गया, तो उसे चिकित्सा सेवा से तत्काल हटा दिया जाएगा। संबंधित अस्पताल संचालक को इस प्रक्रिया की पूर्ण जिम्मेदारी लेनी होगी, और आदेश का उल्लंघन होने पर नियमानुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी।
