जबलपुर (जयलोक)
बारिश के मौसम में लगातार हो रहे हादसों को देखते हुए जबलपुर नगर निगम प्रशासन ने भी शहर के अंतर्गत आने वाले सभी जर्जर भवनों पर सख्ती के साथ कार्यवाही करना प्रारंभ कर दिया। इसी क्रम में महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू की मंशा अनुरूप एवं नगर निगम आयुक्त श्रीमती प्रीति यादव के विशेष मार्गदर्शन में आज नगर निगम ने अपने भी 40 साल पुराने खंडहर हो चुके दीक्षितपुरा उपरैनगंज स्थित वाचनालय भवन को दो जेसीबी मशीन लगाकर जमीदोज कर दुर्घटना की संभावनाओं को टाल दिया गया। इस भवन के आसपास से रोजाना सैकड़ों हजारों लोगों का गुजरना होता है।
आयुक्त श्रीमती प्रीति यादव ने बताया कि नगर निगम सीमा के अंतर्गत ऐसे जितने भी जर्जर और खतरनाक मकान हैं जो बारिश के समय या भविष्य में गिरने की स्थिति में है उन्हें समय पूर्व सुरक्षित तरीके से ढहाने का काम किया जा रहा है। इस कार्यवाही का मुख्य उद्देश्य यही है कि किसी प्रकार की जानमाल की हानि ना हो पाए।
दीक्षितपुरा उपरैनगंज स्थित यह वाचनालय और भवन खंडहर हो चुका था और यहाँ आवारा जानवर और मवेशियों का कब्जा था। कुछ समय पूर्व यहाँ अवैध गतिविधियाँ भी प्रारंभ हो गई थी जिसके मद्दे नजर इसकी शिकायत लगातार नगर निगम तक पहुँच रही थी।
नगर निगम जल्दी अपनी भूमि का कुछ सदुपयोग करेगा। आयुक्त श्रीमती प्रीति यादव ने बताया कि नगर निगम अपनी भूमि पर मध्य प्रदेश शासन की मंशा अनुरूप अच्छी कार्य योजना के साथ ऐसे कार्य करेगा जिससे पर्यावरण को भी सुरक्षित किया जा सके और क्षेत्रीय लोगों को अच्छी सौगात मिल सके।
विरोध के बाद सांसद ने निरस्त करवाई थी
72 लाख की सामुदायिक भवन की योजना
पूर्व में इस खंडहर हो चुके वाचनालय और सामुदायिक भवन को तोडक़र सामुदायिक भवन फिर से बनाए जाने का प्रस्ताव देकर 72 लाख रुपए खर्च करने की योजना बनाई गई थी। लेकिन क्षेत्रीय लोगों ने इसका जमकर विरोध किया था क्योंकि आजू-बाजू सिर्फ 12-15 फुट की सडक़ मौजूद है। घनी आबादी वाला क्षेत्र होने के कारण यहाँ पर पार्किंग की बड़ी समस्या है और आए दिन विवाद की स्थिति निर्मित होती है। इसके अलावा कुछ घरों में भी पार्किंग नहीं हो सकती क्योंकि आजू-बाजू वाहनों को घुमाकर अंदर ले जाने की जगह ही नहीं है। क्षेत्र के सैकड़ों लोगों ने हस्ताक्षर कर महापौर, सांसद, विधायक, कलेक्टर, आयुक्त नगर निगम सभी को ज्ञापन प्रेषित किया था और अपना विरोध प्रकट कर भावनाओं से अवगत करवाया था। इसके बाद तत्कालीन सांसद ने आयुक्त नगर निगम को निर्देशित कर जन भावनाओं के अनुसार कार्य करने के लिए कहा था और इस 72 लाख के जबरदस्ती के सामुदायिक भवन के प्रस्ताव को वापस करवा दिया था। कार्यवाही के दौरान नगर निगम अतिक्रमण विभाग, नक्शा विभाग की टीम मौजूद थी। अतिक्रमण अधिकारी लक्ष्मण कोरी के नेतृत्व में की गई इस कार्रवाही में भवन शाखा से मनीष तरसे, अनुपम शुक्ला, अतिक्रमण से विमलेश पाठक टीम में शामिल रहे।