शराब सिंडिकेट आखिर निशाने पर आ ही गया
जबलपुर (जयलोक)
शराब सिंडिकेट की हरकतों पर आखिऱकार अब प्रशासन की नजऱें चली ही गई हैं। लंबे समय से यह आरोप लग रहे थे कि आबकारी विभाग की शह पर और पूरी सांठगांठ के साथ शराब सिंडिकेट ने पूरे जिले में जमकर लूट खसोट मचा कर रखी है। जिला कलेक्टर के पास लगातार इस बात शिकायत आ रही थी और निर्देशित करने के बाद भी आबकारी विभाग न जाने कौन से दबाव में था जिसने महीनों तक कार्रवाई नहीं की और शराब माफिया को खुलेआम पूरे जिले में अधिकतम दर से अधिक दरों पर शराब बेचने और लूट मचाने की खुली छूट दे दी।
आबकारी विभाग की नाकामी को देखते हुए जिला प्रशासन ने इस लूटखसोट को रोकने के लिए संबंधित एसडीएम और तहसीलदार को मैदान में उतार दिया है। इसी क्रम में जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना और पुलिस अधीक्षक आदित्य प्रताप सिंह द्वारा गठित किए गए जांच दल ने कार्यवाही प्रारंभ कर दी है। विगत दिवस शराब दुकान के साथ-साथ अन्य दुकानों की भी जाँच पड़ताल की गई। शहपुरा में एक मदिरा दुकान की जाँच करने हेतु एक व्यक्ति को शराब खरीदने के लिए भेजा गया तो दुकानदार द्वारा एमआरपी से अधिक दाम पर शराब बेची गई। संबंधित से और जरूरी दस्तावेज भी जब जाँच दल ने माँगे तो वह प्रस्तुत नहीं कर पाए।
इस दुकान के खिलाफ आरोप पत्र जारी कर प्रकरण दर्ज किया गया। 7 दिन के अंदर शराब दुकानदार से अधिक दाम पर शराब बेचने के संबंध में जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।
जगह-जगह खुल गए आहाते
मध्य प्रदेश सरकार ने यह नियम निकाला कि अब सभी प्रकार के अहाते बंद कर दिए जाएंगे। अहाते तो जरूर बंद हो गए हैं, लेकिन अघोषित रूप से यह हर शराब दुकान के पास खुले मिल जाते हैं। छोटे छोटे भोजनालय आहाते में बदल गए हैं। अंडे, मछली, नमकीन के ठेले खुले रूप से हाते का काम कर रहे हैं और पुलिस एवं आबकारी विभाग 50 -500 से लेकर 5-10 हजार रुपए तक की वसूली कर आंख मुंह बंद किए हुए हैं। शहर की बड़ी बड़ी होटलों में भी खुलेआम अवैध रूप से शराब पिलाने का कार्य किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्र के बाईपास के आसपास के क्षेत्र में स्थित ढाबों में भी खुले आम शराब परोसी और पिलाई जा रही है।
थाने सेट है इसलिए 12 बजे रात तक खुली रहती है शराब दुकान
शराब सिंडिकेट इस कदर जिला प्रशासन पर हावी है कि मजाल है कि वह शराब सिंडिकेट के खिलाफ कार्रवाई कर पाए। आबकारी विभाग तो इस सिंडिकेट का गुलाम बना बैठा है। आबकारी विभाग के बारे में यही कहा जाता है कि यह पूरी तरीके से सिंडिकेट के इशारों पर नाच रहा है और उन्हीं के द्वारा इनका पालन पोषण हो रहा है। इसलिए यह आंख कान मुंह सब बंद करें बैठे हैं।
शराब सिंडिकेट का प्रभाव ऐसा है कि 11:30 रात तक का नियम होने के बावजूद भी रात में 12-12:30 बजे तक शहर की अधिकांश शराब दुकान मुख्य शटर बंद कर साइड से या तो खिडक़ी से शराब बेची जाती हैं या छोटा दरवाजा बनाया हुआ है। यह कार्य रात के अंधेरे में खुले आम चलता है, हर मदिरा प्रेमी को पता है कि देर रात उसे कहां और कैसे शराब प्राप्त होगी। संबंधित थाने के पुलिस को भी है पता होता है लेकिन यह उनके लिए कमाई का एक जरिया है और हर थाना रकम के आधार पर सेट होने की वजह से ही कभी भी ऐसी शराब दुकानों के खिलाफ कभी कार्यवाही नहीं होती है।
शहरी क्षेत्र के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी खुले आम शराब सिंडिकेट नियमों की धज्जियां उड़ा रहा है। मनमर्जी के समय तक शराब दुकान खुली रहती हैं। गली-गली में अवैध रूप से शराब का भंडारण कर विक्रय किया जा रहा है। इसके लिए बाकायदा एजेंट लगाए गए हैं। जिसकी जहां मर्जी होती है वहीं पर खड़े होकर शराब पीना शुरू कर देता है। सार्वजनिक तौर पर पाबंदी होने के बावजूद भी शराबियों का आतंक हर जगह नजर आ जाता है।