जबलपुर (जयलोक)। औद्योगिक क्षेत्र के विकास के लिए इस बात की माँग कई वर्षों से उठ रही है कि जबलपुर की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए उसे सेंट्रल हब के रूप में विकसित किया जाए जहां पर देश के हर कोने से औद्योगिक उत्पादों और अन्य उत्पादों को लाकर देश के विभिन्न दिशाओं में पहुँचाने के लिए सेंट्रल हब बनाया जाए। इस माँग पर औद्योगिक दृष्टिकोण से विकास तो नहीं हो पाया है लेकिन नशीले पदार्थ के तस्करों ने इस माँग के महत्व को समझते हुए अपने अवैध कारोबार में इसे आत्मसात करते हुए जबलपुर का सेंट्रल हब के रूप में उपयोग करना शुरू कर दिया है।हाल ही में पुलिस ने गांजा तस्करों को बड़ी मात्रा में गांजे के साथ 7 लोगों को गिरफ्तार किया है जिनमें तीन महिलाएं भी शामिल हंै। यह लोग उड़ीसा के सुंदरगढ़ से लग्जरी वाहनों में सवार होकर कटंगी क्षेत्र के लिए बड़ी मात्रा में 66 किलो गांजे की खेप लेकर सफर कर रहे थे। मझौली पुलिस के साथ क्राइम ब्रांच ने सूचना के आधार पर चेकिंग के दौरान इन लोगों को गिरफ्तार किया। इनके कब्जे से दो वाहन बरामद हुए हैं जिनमें 27 पैकेट में लपेट कर रखा गया गांजा पाया गया है।
यह पहली बार नहीं हुआ है जब भारत के दूर दराज के क्षेत्रों से बड़ी मात्रा में गांजे की खेप लेकर जबलपुर के रास्ते होते हुए इसकी तस्करी पकड़ी गई हो। ऐसे कई मामले पूर्व में भी प्रकाश में आ चुके हैं जिस पर पुलिस ने कार्यवाही की है। तस्करी के इस नए रूट और जबलपुर से गुजरने की इस नई परिपाटी से इस बात का सहज अंदाजा हो जाता है कि अब नशीले पदार्थ के तस्करों ने जबलपुर को गांजा, स्मेक जैसे नशीले पदार्थों को देश के एक कोने से दूसरे कोने में पहुँचाने के लिए सेंट्रल हब के रूप में उपयोग करना शुरू कर दिया है।
जबलपुर के अपराधी भी शामिल- इस पूरे कारोबार में अंतरराज्यीय तस्करी के नेटवर्क में जबलपुर और आसपास के क्षेत्र के अपराधी भी तस्करी नेटवर्क का हिस्सा बन चुके हैं। सूत्रों के अनुसार इनका कार्य एक स्थान से आने वाले नशीले पदार्थ को दूसरे स्थान तक पहुँचाने में अपनी भूमिका अदा करने में रहता है। यही माल जबलपुर और आसपास के इलाकों में भी खफाया जाता है।
स्मैक को पकडऩा कठिन- यह बात वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी स्वीकार करते हैं कि स्मैक जैसे जहरीले नशीले पदार्थ को पकडऩा अन्य नशीले पदार्थों की अपेक्षा अधिक कठिन कार्य है। इसका मुख्य कारण यह है कि इसमें एक बहुत ही कम मात्रा में अधिक कीमत रहती है और इसे छुपा कर ले जाना बहुत आसान है। कम मात्रा में अधिक पैसा शामिल होने के कारण बहुत से लोग इसकी तस्करी में शामिल हो जाते हैं। हालांकि पकड़े जाने के बाद इन्हें सख्त सजा भुगतना पड़ती है और स्मैक तस्करों के खिलाफ कानून भी बहुत सख्त है। गांजा आदि पदार्थ की मात्रा अधिक होती है और वह जल्दी नजर में भी आ जाता है और उसे परिवहन करना भी आसान नहीं है।
स्मैक तस्कर नहीं करते अन्य तस्करों पर भरोसा- पुलिस ने जितनी बार भी इस जहरीले नशीले पदार्थ स्मेक को पकड़ा है उसके बाद जब इसकी चेन बनाने के लिए जाँच पड़ताल आगे की गई तो हर बार यह बात निकलकर सामने आई है कि इस अवैध कारोबार में लिप्त तस्कर दूसरे तस्करों पर विश्वास नहीं करते और अधिकांश यह लोग एक निश्चित मात्रा में ही एक दूसरे को यह जहरीला पदार्थ भेजते हैं जिसकी मात्रा 10 ग्राम या बहुत अधिक 20 ग्राम से अधिक नहीं होती। इसलिए ऐसे अवसर कम पड़ते हैं जब पुलिस के हाथ बहुत बड़ी मात्रा में यह जहरीला नशीला पदार्थ बरामद हुआ हो।
लगातार हो रहा है काम, मुखबिर तंत्र भी है सक्रिय : एसपी संपत उपाध्याय- पुलिस अधीक्षक संपत उपाध्याय ने जय लोक से चर्चा करते हुए बताया कि जबलपुर में आ रहे नशीले पदार्थों में गांजा, स्मैक और नशीले इंजेक्शन की खेप को पकडऩे के लिए पुलिस लगातार कार्य कर रही है बड़ी संख्या में इसकी धरपकड़ भी हो रही है। पुलिस ने नेटवर्क को सक्रिय किया है और पुराने तस्करों पर नजर रखी जा रही है एवं मुखबिर तंत्र को भी सक्रिय किया गया है। क्राइम ब्रांच की एक टीम को मादक पदार्थों की तस्करी पकडऩे का ही टास्क दिया गया है जिसके सकारात्मक परिणाम नजर आ रहे हैं आगे भी कार्यवाही की गति लगातार बढ़ाई जाएगी। जरूरत पडऩे पर तस्करों की सूचना अन्य राज्यों से भी आदान-प्रदान कर उनके नेटवर्क को तोडऩे का कार्य किया जाएगा।