जबलपुर (जय लोक)। शहर में सडक़ों पर आतंक का पयाय बन गए ई-रिक्शा केवल कुछ ठेकेदार किस्म के लोगों की मनमानी के कारण अराजकता का वातावरण बना रहे हैं। ई-रिक्शा चालक शहर में सडक़ों का कानून नहीं मानते और ना ही इसका पालन करते नजर आते हैं। इसकी मुख्य वजह यह है कि अधिकांश ई-रिक्शा चालक अप्रशिक्षित हैं। नशेड़ी किस्म के लोग, यहां तक की नाबालिक और अक्षम बुजुर्गों के हाथों में ई- रिक्शा के हैंडल हैं और यह जहां चाहे बिना कानून का पालन किये मनमर्जी से चल रहे हैं। पुलिस विभाग द्वारा ई-रिक्शा चलाने वालों का और ना ही ई रिक्शा ठेके पर देने वालों का पुलिस वेरिफिकेशन किया जा रहा है। केवल इस पुलिस वेरिफिकेशन की प्रक्रिया से ही सारी परते खुल जाएंगी और कौन लोग ई-रिक्शा चला रहे हैं, कितने प्रशिक्षित हैं इस प्रकार की सारी बातें निकल कर सामने आ जाएंगी। अपराधी किस्म के व्यक्ति भी ई रिक्शा चालाक बन चुके हैं जो ना तो नियम कानून का पालन कर रहे हैं और ना ही यातायात व्यवस्था में अवरोध पैदा करने से उन्हें किसी प्रकार का परहेज होता है।
अपराधी दौड़ा रहे ई-रिक्शा
वर्तमान परिस्थितियों में पुलिस द्वारा ई-रिक्शा चालकों का वेरिफिकेशन और उनका सत्यापन न किए जाने का सबसे अधिक फायदा अपराधी और असामाजिक किस्म के लोग उठा रहे हैं। अपराधी किस्म के लोग जो अपराधों में लिप्त हैं वह पुलिस वेरिफिकेशन ना होने का भरपूर फायदा उठा रहे हैं। यही लोग मनमानी और गुंडागर्दी के लहजे में ई रिक्शा दौड़ा रहे है।
दूसरा यह भी सामान्य रूप से देखने में आ रहा है कि नाबालिग और ऐसे बुजुर्गं जो कानूनी पात्रता नहीं रखते और शारीरिक रूप से अक्षम हैं वह भी ई-रिक्शा चला कर न केवल अपनी बल्कि दूसरे यात्रियों की जान को भी खतरे में डाल रहे हैं।
यातायात पुलिस भी ई-रिक्शा की बढ़ती संख्या से परेशान है। प्रशासनिक स्तर पर उनके रजिस्ट्रेशन पर अभी तक रोक नहीं लगी है। शहर के अनुपात के हिसाब से ई-रिक्शा बहुत अधिक संख्या में हो चुके हैं। भविष्य में यह यातायात के लिए बड़े बाधक बनेंगे।
कानूनी दावँ पेच के फेर में यातायात पुलिस इनके ऊपर सख्ती से कार्यवाही नहीं कर पा रही है। शहर की यातायात व्यवस्था के लिए बहुत जरूरी है कि ई रिक्शा चालकों का पुलिस वेरीफिकेशन होना चाहिए ताकि सडक़ों पर चलने वाले दो पहिया चार पहिया और पैदल चलने वालों तक की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।