प्रदेश भर में चल रहा ठगी का गोरखधंधा
जबलपुर (जयलोक) जरूरतमंदों के लिए शुरू की गई सरकार की योजनाएं जालसाज की नजरों से नहीं बच पा रही हैं। ताजा मामला प्रदेश के इंदौर में सामने आया जिसमें पीएम आवास योजना और पीएम किसान निधि योजना में 7 पीडि़तों से 5.22 लाख ऐंठे गए। अब इस घटना को लेकर जबलपुर सहित सभी जिलों अलर्ट जारी किया जा रहा है।
इंदौर में इस प्रकार के मामले सामने आने के बाद कहा जा सकता है कि प्रदेश के अन्य शहरों में भी इस प्रकार की सायबर वारदातें हो सकती हैं। शहर में भी कई सायबर अपराध की शिकायतें थानों तक पहुँचती है लेकिन इनमें से कुछ ही मामलों में पुलिस आरोपियों तक पहुँच पाती है। वहीं सायबर अपराधियों द्वारा ठगी की रकम या तो खर्च कर दी जाती है या फिर किसी अन्य साथी के एकाउंट में ट्रांसफर कर दी जाती है। ऐसे ठगी का शिकार हुआ व्यक्ति अपनी रकम भी प्राप्त नहीं कर पाता।
वाट्सअप पर लिंक भेजकर की जा रही ठगी
ऐसे मामलों में शातिर ठग भोले भाले लोगों को वाट्सअप के जरिए अपना निशाना बना रहे हैं। वाट्सएप पर ठगों द्वारा लिंक के माध्यम से लालच भरी जानकारी भेजी जाती है। इसके साथ ही एपीके फाइल भेजी जाती है। जिसमें क्लिक करते ही आपके मोबाइल में स्क्रीन शेयरिंग एप डाउनलोड हो जाता है। जिसमें मोबाइल से बिना ओटीपी बताए भी पैसे का ट्रांजैक्शन हो जाता है। काफी शिकायत में लोगों से पैसे ठगे गए है।
पुलिस ने बताया कैसे किया जाता है खेला
इंदौर के एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया ने बताया कि वाट्सएप के गु्रप पर इन दिनों में एक मैसेज आ रहे है। जिसमे पीएम आवास योजना, पीएम किसान निधि योजना का लाभ लेने की जानकारी वाले मैसेज चल रहे है। इसमें एक एपीके फाइल भी होती है। इस पर क्लिक करने पर एक फार्म खुलता है। जिसमें नाम, पता, मोबाइल नंबर, बैंक खाते की जानकारी मांगी जाती है। इसके बाद किसी नंबर से फोन कर बताया जाता है कि आपने पीएम योजना के लिए अप्लाई किया है। आपके खाते में योजना का पैसा आ गया है। पीडि़त द्वारा मना करने पर खाता चेक करने के बहाने यूपीआई एप को खुलवाया जाता है। फिर इस तरह से खाते से ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के जरिए पैसे ट्रांसफर कर लिए जाते है। क्राइम ब्रांच द्वारा संचालित साइबर सेल के पास हाल ही में ऐसी 7 शिकायत आई है, जिसमें 5 लाख 22 हजार रुपए की ठगी की गई।
स्क्रीन शेयरिंग एप से मोबाइल हो जाता हैक
सरकारी योजना के लिए एपीके फाइल को डाउनलोड करने पर पीडि़त के मोबाइल में स्क्रीन शेयरिंग एप डाउनलोड हो जाता है। इसके बाद मोबाइल की सारी गतिविधि फ्रॉडस्टर की स्क्रीन पर भी नजर आने लगती है। पैसे आए है या नही देखने के लिए यूपीआई को खुलवाया जाया है। इस तरह उसका पासवर्ड वह लोग देख लेते है और फिर पैसा ट्रांसफर कर लिया जाता है।
पुलिस ने बचने के लिए जारी की जानकारी
वाट्सअप पर किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक न करें, ना कोई एप डाउनलोड करें। किसी भी सरकारी योजना की जानकारी और उसके लिए प्रकिया कभी भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर प्राप्त लिंक में न करें।
किसी भी सरकारी योजना के लिए केंद्र सरकार की ऑफिशियल वेबसाइट से जानकारी लें और प्रोसेस करें। सोशल मीडिया पर किसी भी लिंक के माध्यम से ओपन हुए ऐप/वेबपेज पर अपनी बैंकिंग एवं व्यक्तिगत जानकारी दर्ज ना करें।
अज्ञात व्यक्ति के द्वारा भेजी गई लिंक के माध्यम से या सोशल मीडिया ग्रुप में भेजे गए एपीके फाईल को कभी भी डाउनलोड न करें।