सरकार से शपथपत्र प्रस्तुत करने और रिपोर्ट सार्वजनिक करने की माँग, पीथमपुर में कचरे के निष्पादन का विरोध तीसरे दिन भी रहा जारी, मुख्य सचिव ने संभाली कमान, कहा सहमति के बाद डिस्पोज होगा कचरा
जबलपुर (जयलोक)। यूनियन कार्बाइड कचरा निस्तारण मामले में एनजीटी भोपाल में याचिका दायर की है। यह याचिका शनिवार को दायर की गई, जिस पर शीघ्र सुनवाई की मांग की गई है। उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट में पूर्व से दायर जनहित याचिका पर संज्ञान आधार पर सोमवार को सुनवाई निर्धारित है। इसके साथ इंदौर बेंच में दायर याचिका को संलग्न करके विचार किया जाएगा। उधर, पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के जहरीले कचरे के निष्पादन का विरोध शनिवार को तीसरे दिन भी जारी है। सुबह तारपुरा गांव से लगी रामकी एनवायरो इंडस्ट्रीज की फैक्ट्री पर पथराव किया गया। इसमें कुछ वाहनों के कांच टूट गए। इसके बाद पुलिस ने लोगों को फैक्ट्री के पास से खदेड़ा। वहीं स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मुख्य सचिव अनुराग जैन ने मोर्चा संभाला है। उन्होंने कहा कि कचरे के निष्पादन को लेकर लोगों के बीच फैल रही गलतफहमियों को दूर करने की आवश्यकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार इस काम को वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में कर रही है और कचरे के निष्पादन से किसी को कोई खतरा नहीं होगा।
मुख्य सचिव ने बताया कि सरकार ने अब तक कोर्ट के निर्देशों का पालन किया है और आगे भी कोर्ट के सामने जनभावनाओं को प्रस्तुत किया जाएगा। वर्तमान में सरकार ने कचरे को डंप किया है। कोर्ट ने 6 जनवरी तक इसे हटाने को कहा था। अब कोर्ट से कचरे के निष्पादन के लिए समय मांगा जाएगा। सभी की सहमति के बाद ही कचर को जलाया जाएगा।
दो बार कचरे का हो चुका निष्तारण- मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि 2014 में रामकी प्लांट में नीरी, आईसीटी और सीपीसीबी के अध्ययन के आधार पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत कोच्चि के हिन्दुस्तान इनसेक्टीसाइड लिमिटेड से 10 मीट्रिक टन यूनियन कार्बाइड के समान कचरे का निष्तारण कर ट्रायल रन किया गया था। इसके बाद 2015 में भोपाल यूनियन कार्बाइड का 10 मीट्रिक टन कचरा लगाकर उसका निष्तारण किया गया। सीपीसीबी ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें बताया गया कि कचरे के निपटान का वातावरण पर कोई नुकसान नहीं हुआ। इसके बाद आसपास के 12 ग्रामों में स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया, जिसमें स्थिति सामान्य पाई गई और सभी रिपोर्ट के पैरामीटर मानक सीमा के अंदर थे।
कचरे को तेजी से जलाने कर रहे परीक्षण- मुख्य सचिव ने यह भी बताया कि यूनियन कार्बाइड के 358 मीट्रिक टन कचरे को पीथमपुर भेजा गया है, जिसमें 60 प्रतिशत स्थानीय मिट्टी और 40 प्रतिशत सेवन नेपथॉल रेसीड्यूस तथा अन्य कीटनाशक का अपशिष्ट है। इस कचरे को जलाने में लगभग 6 महीने का समय लगेगा। हालांकि, सीपीसीबी और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कचरे को तेजी से जलाने के लिए परीक्षण कर रहे हैं। यह प्लांट नया है।
कचरा जलाने सहमति बनाने हर स्तर पर करेंगे प्रयास- मुख्य सचिव ने कहा कि लोगों के बीच कचरा जलाने के बाद होने वाले नुकसान को लेकर गलतफहमियां फैली हुई हैं, जिन्हें दूर करने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। प्रदेश सरकार के अधिकारी इंदौर और धार जिलों में जाकर लोगों को समझाएंगे और स्थानीय अधिकारियों को भी अब तक की सभी रिपोर्ट की जानकारी देंगे, ताकि स्थानीय लोगों की भ्रांतियों को दूर किया जा सके।
जनता को भरोसे में लेकर आगे बढ़ेंगे- पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के कचरे को लेकर हो रहे विरोध के बीच मुख्य सचिव अनुराग जैन ने कहा कि राज्य सरकार इस मामले में हाईकोर्ट से समय देने की मांग करेगी। कोर्ट को मौजूदा परिस्थितियों के बारे में जानकारी देंगे। स्थानीय लोगों को भरोसे में लेकर ही सरकार अब इस मामले में आगे बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि कोर्ट से कितना वक्त मिलेगा, कह नहीं सकते। कचरे की शिफ्टिंग से लेकर आगे की पूरी प्रोसेस में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई गाइड लाइन को अक्षरश: पालन किया जा रहा है। मुख्य सचिव अनुराग जैन ने बताया कि हम पूरी कवायद सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों के अनुसार ही कर रहे हैं। हर स्तर पर संवाद किया जा रहा है ताकि किसी प्रकार के कोई भ्रम की स्थिति ना रहे। यूनियन कार्बाइड का भी 10 टन कचरा पूर्व में वहां जलाया जा चुका है और उसके जो निष्कर्ष निकलकर सामने आए थे वह सभी मानकों के अनुरूप थे तभी सुप्रीम कोर्ट ने आगे बढ़ाने के निर्देश दिए थे। अभी कचरा जलाने के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इधर उपभोक्ता मंच के नाजपांडे ने अपनी एनजीटी की याचिका में सवाल उठाया है कि यूनियन कार्बाइड कचरे के निस्तारण में नुकसान नहीं होगा, यह सरकार स्पष्ट करे। यह भी बताए कि क्या कार्यवाही नियमानुसार हुई है? सरकार इस सिलसिले में शपथपत्र प्रस्तुत करे।
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