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ब्राह्मणों ने संविधान का मसौदा नहीं बनाया होता तो 25 साल लग जाते

कर्नाटक हाईकोर्ट में जस्टिस दीक्षित ने आंबेडकर के कथन का किया जिक्र

बेंगलुरु,(एजेंसी/जयलोक)। कर्नाटक हाईकोर्ट में जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित अपने बयान के लिए सुर्खियों में हैं। जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित ने दलील दी है कि ब्राह्मण जाति नहीं है, एक वर्ण है। संविधान निर्माता बीआर आंबेडकर के एक कथन का जिक्र करते हुए उन्होंने यह टिप्पणी की। दीक्षित ने एक कार्यक्रम में कहा कि संविधान बनाने में ब्राह्मणों का बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि अगर उस वक्त पर ब्राह्मणों ने संविधान का मसौदा नहीं बनाया होता तो इसे बनाने में 25 साल लग जाते। इसके लिए उन्होंने बाबा साहेब आंबेडकर के एक बयान को कोट किया। जस्टिस दीक्षित ने अखिल कर्नाटक ब्राह्मण महासभा की स्वर्ण जयंती के अवसर पर कहा कि डॉ. आंबेडकर ने एक बार भंडारकर इंस्टीट्यूट में कहा था कि यदि बीएन राव ने संविधान का मसौदा तैयार नहीं किया होता तो इसे तैयार होने में 25 साल और लग जाते। दीक्षित ने कहा कि संविधान की मसौदा समिति के सात सदस्यों में से तीन, अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर, एन गोपालस्वामी अयंगर और बीएन राव ब्राह्मण थे। ब्राह्मणों पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए दीक्षित ने कहा कि इस शब्द को जाति के बजाय वर्ण से जोड़ा जाना चाहिए।जस्टिस दीक्षित ने कहा कि वेदों का वर्गीकरण करने वाले वेदव्यास मछुआरे के पुत्र थे और रामायण लिखने वाले महर्षि वाल्मीकि या तो अनुसूचित जाति से या अनुसूचित जनजाति से थे। क्या ब्राह्मणों ने उन्हें नीची नजर से देखा है? दीक्षित ने जुलाई 1989 में वकील के रूप में नामांकन कराया था। तब से वे कर्नाटक हाईकोर्ट और मद्रास के हाईकोर्ट में वकालत कर रहे थे। जहां उन्होंने रिट कानून, चुनाव कानून और सेवा कानून में विशेषज्ञता हासिल की। वे कई राज्यों के सेवा कानून न्यायाधिकरणों के समक्ष मामलों में पेश हुए। उन्हें 1999 से भारत के चुनाव आयोग के लिए वरिष्ठ स्थायी वकील और अतिरिक्त केंद्र सरकार के स्थायी वकील के रूप में नियुक्त किया गया था।जस्टिस दीक्षित कुछ राष्ट्रीयकृत बैंकों के लिए पैनल वकील भी रह चुके हैं। वह कुछ सालों तक बेंगलुरु के लॉ कॉलेज में पैरा शिक्षाविद और अंशकालिक व्याख्याता भी रहे हैं। वह कुछ कन्नड़ और अंग्रेजी समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में लेख लिख रहे हैं। साल 2014 में भारत के सहायक सॉलिसिटर जनरल के रूप में नियुक्त होने के बाद वह 14 फरवरी 2018 को कर्नाटक हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए थे। इससे पहले वह कई मामलों में पैरवी के केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए थे।

 

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Jai Lok
Author: Jai Lok

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