जिले से माँगें जाएंगे तीन नाम के पैनल, कुछ जिलों में मौजूदा अध्यक्ष हो सकते हैं रिपीट
जबलपुर (जयलोक)। नए साल 2025 में भाजपा संगठन के 60 जिलों में से 50 जिलों में नए अध्यक्ष नया पदभार संभाल सकते हैं। संगठन ने कुछ समीकरण तय किये है जिसके तहत कुछ जिलों में मौजूदा अध्यक्षों को ही एक नया कार्यकाल काम करने के लिए दिया जा सकता है। बशर्तें वो इस समीकरण के अधीन आते हों। भाजपा जिला अध्यक्षों को लेकर प्रदेश के सभी जिलों में रायशुमारी का दौर चल रहा है। 31 दिसंबर तक 50 जिलों में नगर अध्यक्षों की घोषणा होने की बात कही जा रही है। पार्टी के विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार भाजपा के नगर अध्यक्षों के नाम की अंतिम घोषणा भोपाल से ही होना है। दूसरी ओर जबलपुर में भाजपा जिला अध्यक्ष के लिए 28 दिसंबर को रायशुमारी होना है। पार्टी सूत्रों के अनुसार संगठन ने सभी जिलों से नगर अध्यक्ष पद के लिए तीन नाम का पैनल बनाकर भेजने के लिए कहा है। हालांकि जबलपुर शहर सहित बहुत से जिलों में नगर अध्यक्ष और ग्रामीण अध्यक्ष पद के लिए भाजपा के दर्जनों नेताओं ने अपनी दावेदारी ठोकी है। इन दावेदारों में अनुभवी वरिष्ठों से लेकर युवाओं तक की संख्या अधिक है।
लिखित में माँगे गए हैं नाम
प्रदेश संगठन ने जिला अध्यक्ष के महत्वपूर्ण पद के लिए सबसे प्रमुख नेताओं से लिखित में उनकी पसंद का नाम देने के लिए कहा है। अध्यक्ष पद के लिए होने वाली रायशुमारी में मंडल अध्यक्ष-मंडल प्रतिनिधि जिनमें सभी 18 मंडल शामिल हैं उनके साथ ही जिलों से आने वाले मंत्री, विधायक, महापौर, विधायक की टिकट प्राप्त कर चुके नेता, वर्तमान सांसद, नगर निगम अध्यक्ष, मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष सहित दो प्रदेश पदाधिकारी की राय ली जाएगी। सूत्रों के अनुसार इन सभी को बंद लिफाफे में अपने पसंद के नाम लिखकर संगठन को सौंपना है। तीन-तीन नाम का एक पैनल बनाकर तैयारकर उसे लिफाफे में बंद कर संगठन को दिया जाएगा।
भोपाल से प्राप्त जानकारी के अनुसार भाजपा संगठन के कुल 60 जिलों में से 50 जिलों में 31 दिसंबर नगर अध्यक्ष पदों पर नामों की घोषणा किए जाने की तैयारी की गई है इसके अलावा जिन जिलों में अध्यक्ष का कार्यकाल एक या दो वर्ष या उससे कुछ अधिक समय का हुआ है ऐसे जिलों में वर्तमान अध्यक्ष के कार्यकाल को बढ़ाने पर विचार मंथन किया जा सकता है। जिन जिलों में अध्यक्ष पद पर लंबे समय से कोई व्यक्ति बैठा रहा है उसे बदलने का निर्णय लिया गया है वहां पर ऐेसे व्यक्ति को रिपीट नहीं किया जाएगा। हालांकि इस फार्मूला को जमीन पर उतारना आसान नहीं है। संगठन और वरिष्ठ नेताओं के बीच में समन्व्य स्थापित करने के बाद अंतिम निर्णय लिया जा सकेगा।
प्रदेश संगठन इस विषय पर अंतिम निर्णय लेगा, हालांकि इसमें जनप्रतिनिधियों के सुझाव को भी महत्व दिया जाएगा। संगठन के पदाधिकारी, वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की मंशा के अनुरूप भी निर्णय लेने का प्रयास किया जाएगा। वहीं दूसरी ओर भाजपा में हावी प्रभावी नेताओं की लॉबी की चाहत अपने गुट के व्यक्ति को नगर अध्यक्ष बनाने का जोर मरते भी नजर आ रही है। हर बड़ा नेता अपनी पसंद के अपने प्रिय नेता और अपने शागिर्द को नगर अध्यक्ष के पद पर बैठाना चाहता है। ग्रामीण जिला अध्यक्ष के लिए भी काफी खींचतान मची हुई है। ग्रामीण क्षेत्र की राजनीति अलग किस्म की होती है और यहाँ पर जातिगत समीकरणों के अलावा क्षेत्र के प्रभावी लोगों को साधकर चलना पड़ता है। ग्रामीण क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले विधायकों की भी इस मामले में जैसे साख दावं पर लगी हुई है।
विधायकों का विरोध करने वाले भी अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल
जिला और ग्रामीण अध्यक्ष पद की दौड़ में बहुत से नाम ऐसे भी शामिल हंै जिनके ऊपर आर्थिक अनियमिताओं के आरोप सहित कुछ विधायकों के खिलाफ पिछले चुनाव में काम करने के आरोप भी लग चुके हैं। इनमें से कुछ लोगों की शिकायत तो चुनाव के समय ही संगठन स्तर तक पहुँची थी। अब ऐसे लोग भी नगर अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल हैं। हालांकि जैसी करनी वैसी भरनी की तर्ज पर इनकी दावेदारी भी खटाई में पड़ती नजऱ आ रही है।