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मध्य प्रदेश में बदल गए शराब बेचने के नियम, बिना पीओएस नहीं बिकेगी शराब, अब लगेगा जुर्माना

भोपाल (जयलोक)। मध्य प्रदेश सरकार ने एक नई आबकारी पॉलिसी लागू की है, जिससे शराब बिक्री से जुड़े कई बड़े बदलाव होने जा रहे हैं। अब बिना पीओएस मशीन के शराब नहीं मिलेगी, धार्मिक स्थलों के पास शराब की दुकानें बंद होंगी, और कुछ जगहों पर दुकानों को शिफ्ट करने का फैसला लिया गया है। शराब के दाम भी बढ़ सकते हैं, क्योंकि बंद दुकानों की भरपाई सरकार नए टैक्स से करेगी। इसके अलावा, बार और रेस्टोरेंट में शराब परोसने के लिए अतिरिक्त शुल्क देना होगा। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस नई नीति से राज्य में क्या बदलाव आएंगे?

धार्मिक शहरों में शराब की दुकानें होंगी बंद

मध्य प्रदेश सरकार ने नई आबकारी नीति 2025 लागू कर दी है, जिसमें कई अहम बदलाव किए गए हैं। इस नीति के तहत राज्य के 19 धार्मिक शहरों और गांवों में शराब की दुकानें बंद कर दी जाएंगी। यह फैसला 1 अप्रैल 2025 से लागू होगा। सरकार का कहना है कि यह कदम धार्मिक भावनाओं के सम्मान और सामाजिक हित को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। हालांकि, इससे होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए बाकी शराब दुकानों की कीमतें 25 प्रतिशत तक बढ़ाई जा सकती हैं। इसके अलावा, नई नीति में शराब की बिक्री पर निगरानी रखने के लिए पीओएस (पॉइंट ऑफ सेल) मशीन को अनिवार्य कर दिया गया है।

शराब बिक्री पर होगी सख्त निगरानी

सरकार ने शराब की दुकानों में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए पीओएस मशीनें लगवाने का फैसला किया है। अब हर दुकान पर इस मशीन का उपयोग अनिवार्य होगा, जिससे हर बिक्री का डिजिटल रिकॉर्ड रखा जा सकेगा। अगर कोई ठेकेदार बिना क्कह्रस् मशीन के शराब बेचता है, तो उसे 25 हजार रुपये का जुर्माना देना होगा। बार-बार नियम तोडऩे पर यह जुर्माना बढ़ सकता है। सरकार को उम्मीद है कि इस नई व्यवस्था से टैक्स चोरी पर रोक लगेगी और शराब बिक्री की सही जानकारी मिल सकेगी। वहीं, रेस्टोरेंट और बार में खुले क्षेत्र (ओपन एरिया) में शराब बेचने के लिए अब ज्यादा जगह का उपयोग करने की अनुमति दी गई है, जिससे होटल और रेस्टोरेंट मालिकों को फायदा होगा।

ठेकेदारों के लिए बदले गए लाइसेंस नियम

नई आबकारी नीति के तहत लाइसेंस लेने की प्रक्रिया को भी बदला गया है। अब ठेकेदारों को ई-बैंक गारंटी जमा करनी होगी, जो 30 अप्रैल 2026 तक वैध रहेगी। इस गारंटी का उपयोग किसी अन्य काम के लिए नहीं किया जा सकेगा। वहीं, धार्मिक शहरों और गांवों में शराब की दुकानें बंद होने से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए सरकार ने एक फार्मूला तैयार किया है। इसके तहत, बंद होने वाली दुकानों के वार्षिक मूल्य का 25 प्रतिशत बाकी दुकानों की कीमतों में जोड़ा जाएगा। उदाहरण के लिए, अगर किसी दुकान का वार्षिक मूल्य 10 करोड़ रुपये था, तो नई नीति के बाद उसका रिजर्व मूल्य 14.50 करोड़ रुपये हो सकता है। नई नीति के अनुसार, 13 नगर निगमों और 6 ग्राम पंचायतों में शराब की दुकानें पूरी तरह से बंद की जाएंगी। इन जगहों पर किसी भी तरह के बार और वाइन आउटलेट के लाइसेंस जारी नहीं किए जाएंगे और न ही इन दुकानों को किसी अन्य स्थान पर शिफ्ट किया जाएगा। इसके अलावा, कमर्शियल आयोजनों के लिए भी शराब बिक्री के लाइसेंस जारी किए जाएंगे।

 

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Jai Lok
Author: Jai Lok

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