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मैं मदद के लिए चिल्लाई…लेकिन डीजे वाले ने आवाज कम नहीं की डीजे बना काल का कारण,13 साल के बच्चे की मौत : 91 डी जे संचालकों पर एफआईआर दर्ज

सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना

भोपाल (जयलोक)।
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट पूर्व में विभिन्न मामलों में यह आदेश जारी कर चुके हैं कि किसी भी प्रकार के धार्मिक आयोजन में साउंड बॉक्स का प्रयोग कैसे किया जाना है। इस आदेश में कानफोड़ डीजे को पूर्णत: प्रतिबंधित किया गया है। लेकिन हर साल सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना होती है और प्रशासनिक तंत्र मूक दर्शक बनकर बैठा रहता है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में ऐतिहासिक कार्यवाही पुलिस ने हिम्मत दिखाकर की है। लेकिन इस कार्रवाई को करने में इतनी देरी हो गई की डीजे के आतंक में एक 13 साल के बच्चे को अपनी जान गवानी पड़ गई। डीजे वैसे भी मधुर संगीत प्रस्तुत करने के बजाय केवल कोलाहल पैदा करता है, संगीत की मधुरता उत्पन्न करने के बजाय अजीब सी घबराहट का माहौल बनाता है। डीजे सिस्टम की इसी नकारात्मकता ने राजधानी भोपाल में एक 13 साल के बच्चे समर बिल्लोरे की जान ले ली। घटना 14 अक्टूबर की रात 8 बजे घटित होना बताया जा रहा है। राजधानी के साईं बाबा नगर में प्रतिमा के विसर्जन के दौरान जो जुलूस निकाला जा रहा था उस जुलूस में यह 13 साल का बच्चा भी शामिल होने पहुंचा था।  समर की मां ने पत्रकारों को बताया कि समर के दिल में छेद था। बहुत ही तेज आवाज में डीजे बजाया जा रहा था। समर भी भीड़ में शामिल था। डीजे की तेज आवाज के बीच में समर बेहोश होकर वहीं गिर पड़ा। समर की मां ने बताया कि वह मदद के लिए चिल्लाती रही लेकिन डीजे वाले ने तेज आवाज में बज रहे डीजे की आवाज कम नहीं की। समर सेंट जोसेफ  स्कूल की कक्षा पांचवी का छात्र था। घर के सामने से सब नाचते जा रहे थे समर भी उनके बीच में शामिल हो गया। दिल की बीमारी से ग्रसित 13 साल का समर डीजे की तेज बेस वाली ध्वनि को बर्दाश्त नहीं कर पाया। अपोलो हॉस्पिटल के हृदय रोग विशेषज्ञ किसले श्रीवास्तव ने बताया कि  दिल की धडक़नों की अनियमिता के कारण ऐसा होना संभावित है। दिल के मरीजों के लिए तेज आवाज का संगीत घातक साबित होता है। क्योंकि पूर्व में भी कई शोध में यह बात सामने आ चुकी है कि बहुत तेज आवाज में बजने वाले संगीत से मरीज को घबराहट होने लगती है और ऐसे में उनके दिल की धडक़न तेज गति से बढ़ जाती हैं।
1 दिन में दर्ज हुई 91 एफआईआर
किसी भी धार्मिक आयोजन के लिए सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट पहले ही डीजे पर पूर्णत: प्रतिबन्ध लगा चुका है। कोलाहल अधिनियम के तहत भी डीजे के उपयोग की कहीं भी अनुमति नहीं है। लेकिन हर साल हर धार्मिक आयोजनों में इन नियमों की खुली अवहेलना की जाती रही है। इस बार भोपाल पुलिस ने बिना किसी दबाव के ऐतिहासिक कार्यवाही की है जिसकी पूरे प्रदेश में सराहना और चर्चा हो रही है। भोपाल पुलिस ने जिले के सभी डीजे संचालकों की त्यौहार के पूर्व एक बैठक आयोजित कर हर साल की तरह इस बार भी सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के निदेर्शों से अवगत कराते हुए समझाइश दी थी कि डीजे पर पूरी तरीके से प्रतिबंध रहेगा। जो साउंड बॉक्स बजाए जाएंगे उनकी ध्वनि निर्धारित की गई थी। इसके साथ यह भी बताया गया था कि बिना अनुमति के कहीं भी डीजे का उपयोग नहीं होगा ना ही साउंड बॉक्स का उपयोग होगा। त्यौहार प्रारंभ होने पर पुलिस ने पाया कि अधिकांश डीजे संचालकों ने पुलिस की समझाइश को हवा में उड़ा दिया और सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेशों की भी अवहेलना की है। शांतिपूर्ण रूप से त्यौहार संपन्न करने के बाद पुलिस ने एक ही दिन में 91 डीजे संचालकों के खिलाफ  एफआईआर दज की है जिन्होंने नियम कानून को ताक पर रखा था और समझाइश को नहीं माना। पुलिस ने पूर्व में ही ऐसे लोगों को चिन्हित करने के लिए वीडियो ग्राफी और फोटोग्राफी करवा कर साक्ष्य तैयार कर लिए थे। त्यौहार के बाद पुलिस ने फोटो, वीडियो के आधार पर ताबड़तोड़ कार्यवाही करते हुए 91 डीजे संचालको के खिलाफ  मामले दर्ज किये है।

Jai Lok
Author: Jai Lok

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