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यानी जब मंत्री जी कहेंगे, तभी अफसर सडक़ों पर उतरेंगे…

(जय लोक)। प्रदेश की संस्कारधानी कहे जाने वाले शहर जबलपुर में अतिक्रमण से लोग हाय-हाय कर रहे हैं, शहर में ट्रैफिक पुलिस का एक सिपाही नजर नहीं आता, नजर आता भी है तो सिर्फ  हेलमेट चेकिंग के नाम पर अवैध वसूली के लिए, बड़े-बड़े अफसर तैनात हैं ट्रैफिक डिपार्टमेंट में, अतिक्रमण हटाने नगर निगम में भारी भरकम अमला है। अखबार वाले रोज आठ आठ कॉलम में खबरें छाप रहे हैं कि लोगों को चलने में परेशानी हो रही है, चौतरफा अतिक्रमण फैला हुआ है लेकिन अफसरों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही थी लेकिन अपने ‘पीडब्ल्यूडी मिनिस्टर राकेश सिंह’ ने जब शहर के तमाम आला अफसरों को बुलाकर बत्ती दी तो बत्ती पडऩे के दो घंटे बाद ही जिले के एसपी साहब जो सिर्फ  बैठक बैठक खेलते हैं उन्हें सडक़ पर उतरना पड़ गया। देखते ही देखते तमाम अफसर, नगर निगम का बुलडोजर, तहसीलदार, कलेक्टर, एसपी अतिक्रमण हटाने में जुट गए, यानी अब ये तय हो गया है कि जब मंत्री जी कहेंगे तभी अफसर अपने कर्तव्यों का पालन करेंगे वरना अपने चेंबर में ठाठ से बैठकर मजे लेते रहेंगे मंत्री जी ने दम तो दी ही साथ ही ये भी कह दिया कि जो कानून का उल्लंघन करें उस पर तो कार्यवाही करें लेकिन बेवजह हेलमेट चेकिंग के नाम पर जो कुछ ट्रैफिक पुलिस कर रही है वो ठीक बात नहीं है। आप ही बताओ इन पुलिस वालों की तो रोजी-रोटी पर ही संकट आ गया, काम धाम कुछ करना नहीं है चौराहे पर खड़े हो जाओ जितने स्कूटर वाले निकलें उन सब को रोको, अवैध वसूली करो शाम को जेब में पैसा लेकर घर निकल जाओ। अरे भैया शहर में जगह-जगह अतिक्रमण है आदमी एक-एक इंच करके खिसक रहा है  स्थिति ये है कि हेलमेट एक दूसरे से टकरा रहे हैं ऐसी स्थिति में आदमी हेलमेट संभाले या स्कूटर। ये सही है कि हेलमेट से जान बच सकती है लेकिन कई बार किसी कारणवश अगर वाहन चालक हेलमेट नहीं लगा पाता है तो इनकी तो चांदी हो जाती है। मंत्री जी ने शहर के तमाम नेताओं को भी बुला लिया और उनके सामने अफसरों से कह दिया कि कोई भी इस काम में रोड़ा अटकाए उसकी आप एक ना सुनना अब जब मंत्री जी ने कह दिया है तो शहर के दूसरे नेताओं की क्या हैसियत है कि वे इस मामले में टांग मार सकें। अपनी तो एक ही मांग है कि सत्ताधारी दल के तमाम नेताओं को शहर भर में अपने-अपने फोटो के साथ होर्डिंग्स लगाना चाहिए जिसमें यह साफ-साफ लिखा हो ‘मैं अमुक नेता ईश्वर की शपथ लेता हूं कि अतिक्रमण हटाने के मामले में मैं कोई हस्तक्षेप नहीं करूंगा’ क्योंकि इन नेताओं के इशारे पर ही अतिक्रमण करता छाती ठोक कर शहर की सडक़ों को लील रहे हैं। अपने को तो ये भी लगता है कि जबलपुर वाले अब इन सब चीजों के आदी हो चुके हैं उन्हें ना तो अतिक्रमण से कोई फर्क पड़ता है, ना जाम से, ना ट्रैफिक पुलिस के नदारत रहने से, उन्होंने इसे अपनी नियति मान लिया है और वैसे भी जब कई वर्षों से यह सब पूरा धंधा चल ही रहा है तो वे भी इसके आदी हो गए हैं ना कहो अब कोई चौड़ी सडक़ उन्हें दिख जाए बिना अतिक्रमण की तो वो घबरा जाएं। बहरहाल मंत्री जी की कोशिश को साधुवाद उन्हें लेकिन अब यह भी देखना पड़ेगा कि उनकी सदिच्छा पर कोई  पलीता ना लगा सके।
हंसना गुनाह हो गया
माना जाता है कि ब्रह्मांड में चौरासी लाख योनिया हैं लेकिन केवल उसमें मनुष्य ही ऐसा है जो हंस और मुस्कुरा सकता है। वैज्ञानिक कहते है कि हंसने-मुस्कान से ही न केवल इम्युनिटी बढ़ती है बल्कि शरीर के सभी हिस्सों खासकर हृदय, मस्तिष्क, एंडोक्राइन सिस्टम, मांसपेशियों, हड्डी में नए सेल्स बनते हैं। जो न केवल अधिक उम्र की ओर ले जाते हैं बल्कि अधिक उम्र में जवां बनाए रखने में मदद करते हैं। यह तनाव को कम करने का सबसे अच्छा माध्यम है वैज्ञानिकों ने भी बताया है कि शरीर में चार हार्मोन्स होते हैं सिरोटोनिन, एंडोर्फिन, ऑक्सीटोसिन और डोपामाइन। इन्हें हैप्पी हार्मोन कहते हैं। इनकी शरीर में कमी होने से मानसिक सेहत पर असर पड़ता है इसलिए खूब हंसना चाहिए लेकिन छतरपुर जिला पंचायत के नोडल अधिकारी को हंसना उनके लिए गुनाह हो गया। बैठक में जब ये भाईसाहब हंसे तो कलेक्टर साहेब को गुस्सा आ गया, आव देखा ना ताव नोटिस थमा दिया कि आप हंसे क्यों? इसका जवाब दें अब वे बेचारे नोडल अधिकारी उस लम्हे को कोस रहे हैं जिस लम्हे पर वे हंसे थे। अपनी तो अब हर अधिकारी को एक ही सलाह है कि जब भी कलेक्टर साहेब मीटिंग लें हर कर्मचारी और उनसे नीचे का अफसर रोनी सूरत बना ले, चेहरे पर ऐसे भाव ले आएं मानो उसकी दुनिया ही उजड़ गई हो ,लाख हंसी की बात हो मजाल कि चेहरे पर मुस्कुराहट आए या फिर दांत बाहर निकलें वैज्ञानिकों को भी अब नई खोज इस बात की करना पड़ेगी कि हंसने से कौन कौन से नुकसान हो सकते हैं।
इसी बहाने पुण्य मिल गया
अपने ही प्रदेश के एक शहर में राम कथा के दौरान जब प्रसाद वितरण होता था तो महिलाओं की चैन स्नेचिंग की घटनाएं बढ़ रही थी पुलिस के लिए बड़ा चुनौती वाला काम था कि आखिर इन चैन स्नेचिंग करने वालों को कैसे पकड़ा जाए काफी सोच विचार के बाद ये तय किया गया कि पुलिस सादे वेश में राम कथा में जाए और खुफिया निगाहें से देखें कि जब प्रसाद वितरण होता है तो कौन चैन खींचता है। कई पुलिस वाले राम कथा में पहुंच गए सादे कपड़ों में और चार दिन तक लगातार कथा सुनते रहे और इस दौरान उन्होंने चेन स्नेचिंग करने वाली महिलाओं के ग्रुप को आखिर पकड़ ही लिया। इन चार दिनों में राम कथा का जो पुण्य उनको मिला उसके लिए उनको उन चैन स्नेचर महिलाओं का धन्यवाद अदा करना चाहिए वरना पुलिस वालों के भाग्य में कथा सुनना कहां लिखा था, वे तो बेचारे अपराध रोकने, बड़े-बड़े अफसरों को सलामी देने, सडक़ों पर बैठकर चालान काटने के अलावा उनकी किस्मत में और कुछ तो था नहीं लेकिन  इस चैन स्नेचर महिलाओं के गैंग ने उन्हें  पुण्य लूटने का अवसर इन पुलिस कर्मियों को दे दिया। अपना तो मानना ये है कि भले ही वे चेन स्नेचिंग कर रही है लेकिन इसी बहाने उन्होंने इन पुलिस कर्मियों का तो भला कर दिया कि कम से कम चार दिन तक उनको भगवान श्री राम की कथा का श्रवण करने का मौका मिल गया।
सुपर हिट ऑफ  द वीक
‘डार्लिंग तुम दिनों दिन कुछ ज्यादा ही खूबसूरत होती जा रही हो’ श्रीमान जी ने श्रीमती जी से कहा
‘आपको कैसे महसूस हुआ’ श्रीमती जी ने इठलाकर पूछा
‘क्योंकि तुम्हें देखकर अब रोटियां भी जलने लगी हैं’ श्रीमान जी ने समझाया।

Jai Lok
Author: Jai Lok

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