नई दिल्ली
इजरायल की लेबनान पर जमीनी कार्रवाई जारी है। इस संघर्ष के बीच भारतीय सैनिक भी संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन (यूएनआईएफएल) का हिस्सा बनकर वहां तैनात हैं। गुरुवार को यूएनआईएफएल ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारतीय सैनिक और अन्य यूएन सैनिक वहां से पीछे नहीं हटेंगे, भले ही इजरायल ने ग्राउंड ऑपरेशन शुरू करने से पहले पीसकीपिंग फोर्स से हटने की अपील की थी।
इजरायल के ग्राउंड ऑपरेशन और रॉकेट हमलों के बीच, भारतीय सैनिक पेट्रोलिंग नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन वे सुरक्षित हैं। यूएनआईएफएल के अंतर्गत ब्लू लाइन के पास करीब 50 देशों के 10 हजार से ज्यादा सैनिक तैनात हैं, जिनमें से सात सौ से ज्यादा सैनिक भारतीय सेना के हैं। ये सैनिक गोलान हाइट्स के पास तैनात हैं और इसी क्षेत्र से इजरायल ने लेबनान पर हमला किया है। ब्लू लाइन जो इजरायल और लेबनान के बीच बफर जोन है। यह 120 किलोमीटर लंबी है। यह एक अस्थायी लाइन ऑफ विड्रॉल है, जिसे साल 2000 में इजरायली सेना की लेबनान से वापसी के दौरान संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्थापित की गई थी। यूएनआईएफएल इस लाइन की निगरानी और सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालती है। हालांकि, मौजूदा स्थिति में लगातार हो रहे रॉकेट और हवाई हमलों के बीच पीसकीपिंग मिशन के सैनिकों की गतिविधियां सीमित हो गई हैं, लेकिन यूएनआईएफएल ने संकेत दिया है कि वे अपनी तैनाती से पीछे नहीं हटेंगे।