कई पद्िचन्ह मिले वन विभाग की टीमें उतरी जंगल में, जंगल ना जाने के लिए गाँव में पिटी मुनादी
जबलपुर जय लोक। जिले के शाहपुर रेंज वन मंडल चारगांव क्षेत्र में बाघ के पद चिन्ह मिले। इसके बाद यह खबर सामने आई की देवरी खेरुआ गांव और गोटेगांव क्षेत्र से लगे क्षेत्र में बाघ ने एक पालतू पशु बल का शिकार किया और उसे खा लिया।यह खबर आने के बाद वन विभाग सक्रिय हुआ और आज इस क्षेत्र के जंगल में बाघ को तलाश करने के लिए वन विभाग की टीम में मैदान में उतरी है। वन अधिकारी श्री कैलाश ने जय लोक को जानकारी देते हुए बताया कि अभी तक बाघ को किसी भी वन कमज़्चारी या ग्रामीण द्वारा देखा नहीं गया है। लेकिन उसके कई स्थानों पर पद चिन्ह मिले हैं जिससे यह तो स्पष्ट होता है कि क्षेत्र में बाघ ने अपनी दस्तक दी है।
किसी अनहोनी को घटित न होने देने के उद्देश्य से वन विभाग आशापुरा रेंज वन मंडल के अधिकारियों ने आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में मुनारी भी पिटवा दी है कि कोई भी ग्रामीण अकेले या अंधेरा होने के आसपास जंगल की ओर न जाए। वन विभाग की तीन टीमों को 8-8 घंटे की ड्यूटी पर लगाया गया है। क्षेत्र के आसपास पाए जा रहे बाघ के पद चिन्ह को देखकर वन विभाग की टीम बाग का पता लगाने का प्रयास कर रही हैं।
शाहपुरा रेंजर सोनम जैन के अनुसार बाघ के क्षेत्र में मूवमेंट की जानकारी मिली है और पद चिन्ह भी पाए गए हैं। संभावना जताई जा रही है कि यह बाग सतपुड़ा टाइगर रिजवज़् की ओर से आया है क्योंकि यह जंगल का गलियारा आपस में जुड़ा हुआ है ।
यहां पर बहुत बड़ा इलाका जंगल से जुड़ा हुआ है और कई गांव जंगल के आसपास बसे हुए हैं। ऐसी स्थिति में किसी भी ग्रामीण को नुकसान ना हो और ना ही कोई मनुष्य इस बाघ को नुकसान पहुंचा पाए इसलिए गांव में लगातार मुनादी पटवा दी गई है। किसी को भी अकेले शाम के समय घूमने फिरने से मना किया गया है बहुत जरूरत होने पर समूह बनाकर एक स्थान पर दूसरे स्थान पर जाने के लिए कहा गया है। आज भी वन विभाग की अलग-अलग टीम जंगल में उतरकर पद चिन्हों के अनुसार बाघ की तलाश करने में जुटी हुईं है। समाचार लिखे जाने तक भी वन विभाग की कई टीमें जंगल के अंदर थी। शाम को उनके वापस आने पर सही स्थिति की जानकारी मिल पाएगी।
क्षेत्र में गहरी खाई बहुत नहीं लगा पाएँगे
जंगल में बाघ को ढूंढ रही टीमों के सामने एक यह बड़ी समस्या खड़ी हो गई है कि इस क्षेत्र में जमीनों के बीच में गहरी खाई बहुत है। जिसके कारण यहां पर बाघ के पद चिन्ह तो मिल रहे हैं लेकिन उसे ट्रैक कमरे में रिकॉडज़् करने के लिए कहीं पर भी कैमरा लगाया जाना मुमकिन नहीं समझ में आ रहा है। फिर भी वन विभाग की टीम में हर संभव प्रयास कर रही हैं कि बाघ की मौजूदगी की सही स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकते । जिसके बाद आगे की रणनीति बनाई जाएगी।