जबलपुर (जयलोक)
शहर में स्थित कई केन्द्र सरकार के संस्थान अपनी संपत्तियों को लीज पर देने और बेचने की दिशा में आगे बढ़ चुके हैं। रेलवे बीएसएनएल तथा एलआईसी की भी संपत्तियाँ लीज पर देने और बेचने की हलचलें शुरू हो चुकी हैं। नगर निगम भी अपने आधिपत्य वाली संपत्तियों का व्यावसायिक उपयोग करने की दिशा में विचार कर रहा है। यह दावा किया जा रहा है कि इन सरकारी संपत्तियों का व्यवसायिक उपयोग होने से नए व्यवसायिक स्थलों के साथ ही रहवासी काम्पलेक्स भी निर्मित हो सकते हैं। जिनसे मकान और फ्लैट की कीमतें भी कम हो सकती हैं।
कुछ वर्ष पूर्व ही बर्नकंपनी की संपत्ति बिक चुकी है। वहीं अभी हाल ही में रेलवे ने गोरखपुर स्थित हाउबाग स्टेशन की 9 एकड़ भूमि समदडिय़ा बिल्डर्स को लीज पर दे दी है। समदडिय़ा बिल्डर्स ने इस भूमि पर अपनी व्यवसायिक परियोजना की शुरूआत भी कर दी है। शहर के बीच में तथा व्यवसायिक दृष्टि से महत्वपूर्ण गोरखपुर बाजार में अब हाउबाग की रिक्त भूमि पर एक बड़ा नया व्यवसायिक स्थल भी शहर के लोगों को उपलब्ध हो जाएगा।
शहर में केन्द्र सरकार के एक और बड़े विभाग भारतीय संचार निगम लिमिटेड की शहर में स्थित बेशकीमती जमीनों को बेचने की भी शुरूआत हो चुकी है। शहर में बीएसएनएल की 35 अरब रूपये की संपत्तियाँ बिकने के लिए टेंडर भी जारी हो चुके हैं। वहीं विजय नगर की संपत्ति को बेचने के लिए ऑफर भी आमंत्रित किए जा चुके हैं।
विजय नगर की संपत्ति खरीदी में बिल्डर्स पीछे हट रहे
बीएसएनएल के टेंडर में विजयनगर की संपत्ति के लिए बोली लगाई जाना थी। इसके लिए शहर के बड़े नामचीन बिल्डरों ने भी रुचि दिखाई और आगे बढ़े। लेकिन विजय नगर की बीएसएनएल की संपत्ति की राशि 32-33 करोड़ रुपए होने और पूरा पैसा एक नंबर पर बैंक के माध्यम से शासन को देने की बात पर बहुत सारे बिल्डर और डेवलपर्स पीछे हट गए। इस बात की भी जानकारी मिली है कि कुछ बाहर की बड़ी फर्म इस दिशा में रुचि ले रही हैं और वह प्रक्रिया में शामिल होकर भागीदारी कर सकती हैं।
सूत्रों का कहना है कि शासकीय विभागों के अधीन आने वाली भूमि जब खुले बाजार में बिकेगी और यहां पर बड़ी संख्या में मकान, फ्लैट डुप्लेक्स और व्यवसायिक गतिविधियों के लिए दुकानें और बड़े हाल बनेंगे और इनकी संख्या अधिक हो जाने पर अच्छी प्रतिस्पर्धा का लाभ सीधे तौर पर सस्ते मकानों के रूप में शहर की आम जनता को ही मिलेगा।
इस माध्यम से वह लोग भी अपने खुद के घर का सपना पूरा कर सकेंगे जिन्हें आज तक ऊंचे दामों के कारण यह बहुत महंगा लगाता था। दूसरी बात जबलपुर में जिस प्रकार से निजी भूमियों के रेट आसमान छू रहे हैं उस प्रकार से ना तो विकास हो रहा है और ना ही सुविधाएं विकसित हो रही है, लेकिन उसके बावजूद भी जमीन लगातार महंगी होती जा रही है। जानकारों का कहना है कि ऐसी स्थिति में एक बार वह समय आ जाएगा जब जमीन अपने अधिकतम दरों को छूने के बाद न्यूनतम दरों की ओर भागेंगी। इस बीच में सरकारी संपत्तियों की होने वाली नीलामी और लगातार बढऩे वाले मकान घरों की संख्या से आम आदमी को काफी सस्ते दामों पर घर मिल सकेंगे। ऐसी उम्मीद की जा रही है।