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हत्या से 30 हजार तो सडक़ दुर्घटना में मरते हैं 1 लाख 70 हजार लोग आईपीएस प्रियंका शुक्ला ने बताये सुरक्षा के उपाए

हेलमेट और सीटबेल्ट से होती है 88 प्रतिशत तक सुरक्षा

भोपाल (जयलोक)
विगत दिवस राजधानी भोपाल में भोपाल स्मारक अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र बीएमएचआरसी के न्यूरो सर्जरी विभाग द्वारा आयोजित हुए सेमिनार में  सडक़ दुर्घटना इसके कारण और बचाव के सम्बन्ध में आईपीएस अधिकारी  डीसीपी (जोन -1) प्रियंका शुक्ला ने कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि अपने विचार व्यक्त किये और कहाँ कि प्रति वर्ष हमारे देश में हत्या के प्रकरणों में औसतन 30 हजार लोगों कि जानें जाती हैं लेकिन दूसरी ओर सडक़ दुर्घटना में एक लाख 70 हजार लोग अपनी जान गवां देते हैं। आईपीएस प्रियंका शुक्ला ने कहा कि आज के सेमीनार की यह प्रमुख बात है कि सर में चोट लगने से दुर्घटना के समय अधिक जानें जाती हैं। आम लोगों में सडक़ सुरक्षा और इसकी वजह से सिर में लगने वाली गंभीर चोटों के दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी देने के लिए इस संगोष्ठी का आयोजन किया गया था। प्रियंका शुक्ला ने कहा कि प्रशासन सडक़ दुर्घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। आईपीएस प्रियंका शुक्ला ने कहा कि हम लोगों को हेलमेट और सीट बेल्ट लगाने के हर रह से जागरूक करने का प्रयास करते हैं। दंडात्मक कार्यवाही चालान काटने के आलावा भी नए नए तरीकों से लोगों को जागरूक करने का काम करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि हमने जबलपुर में हेलमेट जोन बनाया था उस मार्ग से बिना हेलमेट लगाए और सीट बेल्ट का उपयोग किये कोई नहीं गुजर सकता था। यह एक प्रयास था कि लोगों की आदत हेलमेट और सीट बेल्ट लगाने की पड़े और वो अपनी खुद की सुरक्षा के लिए भी जागरूक हो।  इस अलावा हम यातायात विभाग के जरिये ब्लैक स्पॉट भी चिन्हित करके उनकी रोड इंजीनियरिंग को ठीक करवाने का कार्य करवाते हैं ताकि दुर्घटनाओं की सम्भावनों को समाप्त किया जा सके। इसके साथ ही जिला स्तर पर हर महीने सडक़ सुरक्षा बैठक का आयोजन होता है, जिसमें कलेक्टर, एसपी समेत विभिन्न विभागों के शीर्ष अधिकारी शामिल होते हैं। पुलिस लोगों को ट्रैफिक नियमों का पालन करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम भी आयोजित करती है।
दुर्घटना के दौरान अगर किसी चालक ने हेलमेट पहना होता है, तो उसे सिर में गंभीर चोट लगने की आशंका 88 प्रतिशत तक कम हो जाती है। साथ ही चेहरे पर चोट लगने की आशंका भी 65 प्रतिशत तक घट जाती है। वहीं कार में सीट बेल्ट लगाने गंभीर रूप से घायल होने का रिस्क 75 प्रतिशत तक कम कर देता है। इस सेमिनार में शहर के विभिन्न शासकीय और प्राइवेट अस्पतालों व महाविद्यालयों में पदस्थ वरिष्ठ न्यूरोसर्जन्स ने भी अन्य अतिथियों के साथ अपने विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम में बीएमएचआरसी की प्रभारी निदेशक डॉ मनीषा श्रीवास्तव, न्यूरो सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ संदीप सोरते, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सौरभ दीक्षित व अन्य वरिष्ठ चिकित्सक उपस्थित थे।
सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं है सडक़ दुर्घटनओं को रोकना- सेमिनार में भोपाल न्यूरो एसोसिएशन के अध्यक्ष और वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ अशोक नायक ने कहा कि सडक़  दुर्घटनाओं को रोकने की जिम्मेदारी सरकार के साथ-साथ वाहन चालकों की भी है।
ट्रैफिक नियमों का पालन करवाना आवश्यक है।  पूरी दुनिया के वाहनों का सिर्फ 1 प्रतिशत ही भारत में मौजूद हैं, लेकिन यहां सडक़ दुर्घटना की दर 6 प्रतिशत है।  वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ नितिन गर्ग ने बताया कि सडक़ दुर्घटनाओं का शिकार होने वाले अधिकतर लोग 15-40 वर्ष के पुरुष होते हैं। इलाज पर लाखों रुपए खर्च करने पड़ते हैं, जिससे कई परिवार आर्थिक संकट से पूरी तरह टूट जाते हैं। गांधी मेडिकल कॉलेज के न्यूरो सर्जरी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ रजनीश गौर ने कहा कि कई बार सिर पर लगने वाली चोट से व्यक्ति की जान तो बच जाती है, लेकिन वह पूरी तरह ठीक नहीं हो पाता। उसे बोलने में, सुनने में दिक्कत हो सकती है। सोचने की शक्ति और नींद प्रभावित हो सकती है। यह भी हो सकता है कि उसे जीवनभर फिजियोथैरेपी या अन्य थैरेपी का सहारा लेना पड़े।
यह भी जाने, क्या कहते हैं सरकारी आकड़ें- सडक़ परिवहन तथा राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में सडक़ यातायात दुर्घटनाओं में सबसे ज्यादा मौतें होती हैं। रिपोर्ट के अनुसार भारत देश में वर्ष 2022 में 1.68 लाख लोगों की मौत इस वजह से हुई थीं। इन सडक़ दुर्घटनाओं में मरने वालों में 15-40 वर्ष के आयु वर्ग के लोग अधिक होते हंै, जिनमें अधिकांश पुरुष थे।
रिपोर्ट के अनुसार दोपहिया वाहन दुर्घटनाओं में 50 प्रतिशत से अधिक मौतें सिर की चोटों के कारण होती हैं। हमारे देश में हर दिन औसतन 1,264 दुर्घटनाएं और 462 मौतें दर्ज की जाती हैं, जबकि हर घंटे 53 दुर्घटनाएं और 19 मौतें होती हैं। सडक़ दुर्घटनाओं के मामले में मध्यप्रदेश देशभर में दूसरा स्थान पर आता है ।

Jai Lok
Author: Jai Lok

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