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राजस्व बढ़ाने पर रहेगा सरकार का पूरा जोर, मंत्रियोंं की कमेटी तय करेगी नई आबकारी नीति

भोपाल (जयलोक)। मप्र में वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए आबकारी नीति का खाका तैयार किया जा रहा है। नई आबकारी नीति के निर्धारण और आवश्यक नीतिगत निर्णयों के लिए एक मंत्रि-परिषद समिति का गठन किया। इस समिति में उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, मंत्री उदय प्रताप सिंह, निर्मला भूरिया के साथ ही इस बार मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को भी शामिल किया गया। यह समिति आबकारी नीति को फाइनल करेगी। इस नीति में राजस्व बढ़ाने और शराब दुकानों के संचालन को सुचारू बनाने के लिए कई बड़े बदलाव प्रस्तावित है। अधिकारियों ने अन्य राज्यों की नीतियों का अध्ययन कर मसौदा तैयार किया है, जिसमें बंद अहातों को फिर से शुरू करने और नर्मदा किनारे दुकानों को बंदिश पर पुर्नविचार जैसे सुझाव शामिल हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देशानुसार, नीति का मसौदा तैयार किया जा रहा है। प्रस्ताव को कैबिनेट में पेश किया जाएगा और मंजूरी के बाद यह 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी। गौरतलब है कि मप्र में आबकारी विभाग के अधिकारी नहीं आबकारी नीति का खाका तैयार कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में एक बार फिर शराब दुकानों के बंद अहाते चालू करने की तैयारी की जा रही है। नई शराब नीति को लेकर जो प्रस्ताव तैयार किया है उसे कैबिनेट में रखने के बाद हरी झंडी मिली तो 2025-26 में शराब की दुकानें 10 फीसदी ज्यादा में नीलाम होंगी। प्रदेशभर में शराब दुकान के अहाते बंद होने से राजस्व का भारी नुकसान सरकार को हो रहा है। सूत्रों के अनुसार, नई नीति में बंद अहातों को पुन: चालू करने का प्रावधान किया गया है। पिछली सरकार ने फरवरी 2023 में 2600 अहाते बंद कर दिए थे, जिससे राजस्व में कमी और सडक़ों पर भीड़ बढऩे जैसी समस्याएं सामने आई। अधिकारियों का कहना है कि अहातों की बहाली से सडक़ों पर शराब पीने की घटनाएं कम होंगी और राजस्व में वृद्धि होगी। विभाग ने 2024-25 में 13,914 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया है, जो पिछले साल की तुलना में 12.63 प्रतिशत अधिक है। नई नीति के तहत 2025-26 में शराब दुकानों की नीलामी 10 प्रतिशत अधिक दर पर किए जाने का प्रस्ताव है।
यूपी मॉडल पर आधारित नई शराब नीति
मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देशानुसार शराब नीति का प्रस्ताव तैयार करने से पूर्व आबकारी विभाग के अधिकारियों की टीम ने यूपी के शराब मॉडल का अध्ययन किया। इसमें सामने आया कि यूपी में लॉटरी सिस्टम से शराब दुकानों का आवंटन न होता है। वहां शराब दुकानों की संख्या करीब 30,0177 है, जो मप्र के मुकाबले नौ गुना ज्यादा है। नई शराब नीति में उप्र की शराब नीति के महत्वपूर्ण बिंदुओं को भी शामिल किया गया है। मप्र में शराब दुकानों की कुल संख्या 3605 है। मप्र में ई-टेंडर के जरिए शराब दुकानें नीलाम होती है। देश में कर्नाटक के बाद मप्र में शराब की कीमत सबसे ज्यादा है। अधिकारियों का कहना है कि यदि राज्य सरकार शराब के यूपी के शराब नीति के मॉडल को अपनाती है, तो मप्र में शराब दुकानों की संख्या बेतहाशा बढ़ जाएगी।

Jai Lok
Author: Jai Lok

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