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रातापानी टाइगर रिजर्व पार्क में बढ़ेगा पर्यटन

17 साल बाद 90 बाघों को मिला अपना घर
भोपाल (जयलोक)। मप्र में बाघों के संरक्षण के लिए एक बड़ा कदम उठाया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार ने रातापानी वन्यजीव अभयारण्य को आधिकारिक तौर पर टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया। यह राज्य का आठवां टाइगर रिजर्व है, जहां लगभग 90 बाघ रहते हैं। यह फैसला काफी समय से लंबित था। 2008 में एनटीसीए से सैद्धांतिक मंजूरी मिलने के बाद भी राज्य सरकार ने टाइगर रिजर्व बनाने में देरी की थी। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से राज्य सरकार को अधिसूचना प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश देने का आग्रह किया था। उन्होंने इंसानों और जानवरों के बीच बढ़ते संघर्ष और बाघों की आबादी की रक्षा की जरूरत का हवाला दिया था। अब रातापानी टाइगर रिजर्व पार्क बनने से इस क्षेत्र में पर्यटन की संभावनाएं बढ़ गई हैं। रातपानी वन्यजीव अभयारण्य रायसेन और सीहोर जिलों में स्थित है। यह बाघों के एक महत्वपूर्ण आवास का हिस्सा है। हाल के वर्षों में, सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला से बाघ इस अभयारण्य और आसपास के वन क्षेत्रों में आने लगे हैं। बाघों के इन इलाकों में आने के बाद, 2007 में राज्य सरकार ने रातापानी और सिंघोरी अभयारण्यों को टाइगर रिजर्व घोषित करने की प्रक्रिया शुरू की थी। एनटीसीए ने 2008 में रिजर्व के लिए सैद्धांतिक मंज़ूरी दे दी थी। राज्य वन विभाग को रिजर्व की सीमाओं और कोर क्षेत्रों के लिए विस्तृत प्रस्ताव प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था।

तीन जिलों का होगा आर्थिक विकास
रातापानी टाइगर रिजर्व के कारण पर्यटन गतिविधियां बढऩे से तीन जिलों का भी आर्थिक विकास होगा। रातापानी में तीन हजार से अधिक वन्यप्राणी है। इनमें 96 बाघ, 70 तेंदुए, आठ भेडिय़ा, 321 चिंकारा, 1433 नीलगाय, 568 सांभर और 667 चीतल है। टाइगर रिजर्व से ग्रामीणों के वर्तमान अधिकार में कोई परिवर्तन नहीं होगा, पर्यटन बढ़ेगा और नए रोजगार सृजित होने से ग्रामीणों को आर्थिक लाभ होगा। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से बजट प्राप्त होने से वन्यप्राणियों का बेहतर ढंग से प्रबंधन किया जा सकेगा। स्थानीय ग्रामीणों को ईको विकास के माध्यम से लाभ प्राप्त होगा। राजधानी भोपाल की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टाइगर राजधानी के रूप में होगी। भोपाल तक फ्लाइट कनेक्टिविटी होने से पर्यटकों, स्थानीय लोगों को इसका लाभ मिलेगा। भोपाल से 24 किलोमीटर दूरी पर स्थित भोजपुर शिवमंदिर को भोजेश्वर लोक विरासत स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। इसको लेकर राज्य सरकार मास्टर प्लान भी तैयार कर रही है। यहा पर्यटकों का जमावड़ा साल भर बना रहा है। यहां प्राचीनकाल से विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग स्थापित है।

पर्यटन की अपार संभावनाएं
रातापानी टाइगर रिजर्व एकमात्र लैंडस्केप है, जहां 96 बाघ विचरण करते हैं। वन्यजीवों से भरपूर टाइगर रिजर्व और भोपाल शहर के मध्य में वन विहार राष्ट्रीय उद्यान है। पुरापाषाण काल शैलचित्रों और शैलाश्रयों के लिए विश्व प्रसिद्ध भीम बेटका और आस्था का केंद्र भोजपुर शिवमंदिर को विश्व पटल पर रखकर पर्यटन को बढ़ावा देने काम किया जाएगा। आस्था और संस्कृति के दर्शन के साथ पर्यटक अब राष्ट्रीय उद्यान सहित आठवां टाइगर रिजर्व भी घूम सकेंगे। इसके लिए वन विभाग, पर्यटन, संस्कृति और धार्मिक एवं धर्मस्व विभाग मिलकर काम कर रहे हैं। इससे स्थानीय रोजगार के अवसर सृजित होंगे और व्यापार, व्यवसाय भी बढ़ेगा। रातापानी टाइगर रिजर्व का झिरी गेट भोपाल से 30 किलोमीटर की दूरी पर है। वहीं ऑबेदुल्लागंज स्थित गेट की दूरी भोपाल से 50 किलोमीटर है। इस टाइगर रिजर्व के लिए केंद्र सरकार 60 प्रतिशत बजट उपलब्ध कराएगी और 40 प्रतिशत राज्य का अंश होगा। यह टाइगर रिजर्व रायसेन, सीहोर और भोपाल जिले की सीमा तक फैला हुआ है।

भीमबेटका को किया जाएगा विकसित
भोपाल से 46 किलोमीटर दूर विश्व प्रसिद्ध भीम बेटका को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा। इसको लेकर मप्र ईको पर्यटन विकास बोर्ड ने कार्ययोजना बनाई। पुरापाषाण काल शैलचित्रों और शैलाश्रयों के अलावा यहां देवी जी का प्राचीन मंदिर है। इसे धार्मिक दृष्टि से डेवलप किया जाएगा। वहीं भोपाल शहर के मध्य में स्थित वन विहार राष्ट्रीय उद्यान वन्यजीव और पर्यटकों के लिए पहले से ओर बेहतर डेवलप किया जा रहा है। यहां विलुप्त प्राय जेबरा और जिराफ व गेंडा जैसे वन्यजीवों को बसाया जाएगा। इसको लेकर दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों से वार्ता की जा रही है। इसके अलावा यहां स्नेक पार्क (सर्प उद्यान) को भी विकसित किया रहा है। यहां किंग कोबरा सहित दुर्लभ प्रजाति के सर्पों को पर्यटक नजदीक से देख व समझ सकेगे।

Jai Lok
Author: Jai Lok

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