जबलपुर (जयलोक)।
भारतीय जनता पार्टी के संगठन चुनाव का माहौल इस समय पूरे शबाब पर है। मंडल चुनाव संपन्न हो चुके हैं एक मंडल को छोडक़र बाकी सभी जिले के मंडलों में नियुक्तियां हो चुकी हैं। ग्रामीण मंडलों में भी नियुक्तियां हो चुकी है और उसकी सूची जारी हो चुकी है। अब पूरा मामला नगर अध्यक्ष के पेंच पर फंसा हुआ है। भारतीय जनता पार्टी का नगर अध्यक्ष का पद महत्वपूर्ण पद है और इसको प्राप्त करना आसान भी नहीं है। सत्ता पक्ष का नगर अध्यक्ष बनने का सपना कई वरिष्ठ और युवा नेता संजोए हुए हैं। लेकिन इसके लिए मजबूत लॉबिंग की बहुत बड़ी आवश्यकता भी नेताओं को अनुभव हो रही है। भारतीय जनता पार्टी में निष्ठावान कार्यकर्ताओं और बड़े नाम की कमी नहीं है लेकिन यह बात मजबूत और महत्वपूर्ण है कि जिला अध्यक्ष पद पाने के लिए उनके पास पंच सहमति है या नहीं। यह पंच सहमति होना बहुत आवश्यक है तभी जाकर एक राय के आधार पर अध्यक्ष पद पर जिम्मेदारी संभालने वाले नाम पर अंतिम मोहर लगा सकती है।
पंच सहमति प्राप्त करना भी अपने आप में बहुत बड़ा कार्य है। इस पंच सहमति के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं और बहुत सारे राजनीतिक समीकरणों को बैठाना पड़ता है। वर्तमान परिदृश्य में जबलपुर जिला और ग्रामीण नगर अध्यक्ष के लिए भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को यह पंच सहमति प्राप्त करना बेहद आवश्यक है। इसके लिए जिले की राजनीति में प्रभाव रखने वाले कैबिनेट मंत्री राकेश सिंह, नवनिर्वाचित सांसद आशीष दुबे, संघ, संगठन एवं विधायकों की यह पंच सहमित बेहद आवश्यक है। बिना इन पंच सहमतियों के अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल किसी भी नाम पर सहमति बन पाना संभव नहीं है और ना ही किसी नाम की घोषणा संभव है।
उत्तर मध्य विधानसभा के विवेकानंद मंडल में अटके निर्णय को इस बात की गंभीरता से जोडक़र देखा जा सकता है। यह तो एक विधानसभा के अंतर्गत आने वाले मंडल का मामला है। नगर व ग्रामीण के अध्यक्ष के लिए चल रही जोरआजमाइश का स्तर ही अलग है। नगर अध्यक्ष के दावेदारों की सूची में शामिल नामों पर अब इस बात को लेकर मंथन हो रहा है कि कौन सा नाम इतना सक्षम है जो इस पंच सहमति को प्राप्त करने में सफल साबित होगा।
जो नाम चर्चाओं में हैं उसके अलावा ऐसे कौन से नाम हैं जो इस र्फामूले के अनुरूप सारे राजनीतिक समीकरणों को सिद्ध करने में कामयाब हो सकें उन पर भी चर्चाओंं का दौर चल रहा है। संभावना इस बात की भी व्यक्त की जा रही है कि संघ संगठन की ओर से सामने आने वाला कोई प्रभावी नाम इस पूरी दावेदारी की लड़ाई को जीतकर नए समीकरणों को जन्म दे सकता है।
जातिगत समीकरणों का भी रखना पड़ेगा ख्याल
भारतीय जनता पार्टी को अपने नगर और ग्रामीण के नगर अध्यक्ष पद के लिए जातिगत समीकरणों का भी बहुत ख्याल रखना पड़ेगा। वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में जातिगत समीकरण एक महत्वपूर्ण निर्णायक बिंदु है। वर्तमान में नगर अध्यक्ष के पदों को अगर जातिगत समीकरण के आधार पर देखा जाए तो एक पद ओबीसी वर्ग के नेता के पास है और दूसरा सामान्य वर्ग के नेता के पास। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इसी प्रकार का समीकरण इस बार भी नजर आ सकता है। हालांकि यह जरूरी नहीं है कि इसी परिपाटी के आधार पर निर्णय हो लेकिन इस बात की संभावना अधिक मानी जा रही है।