वादे पूरे नहीं होने पर पीयूष मिश्रा और सुनील ग्रोवर ने रद्द किया शो
जबलपुर (जयलोक)। संस्कारधानी जबलपुर में एक बार फिर केवल पैसे कमाने की नियत से आयोजन करने वाले लोगों ने इसका नाम खराब करने का काम किया है। घाट फेस्टिवल के नाम से लम्हेटाघाट बायपास के पास 22 से 26 तारीख तक आयोजन होना था। कल 23 जनवरी को पीयूष मिश्रा और कॉमेडियन सुनील ग्रोवर जैसे कलाकारों को अपनी प्रस्तुति देने के लिए बुलाया गया था। लेकिन आयोजकों द्वारा कलाकारों से किए गए वादे और तकनीकी जरूरतें पूरी नहीं किए जाने के कारण एन वक्त पर कलाकारों ने आयोजकों की मक्कारी को देखते हुए अपनी ओर से शो रद्द करने की घोषणा कर दी। कलाकार जब घंटों तक मंच पर नहीं पहुँचे तो हजारों की टिकिट खरीदकर आयोजन का आनंद लेने और अपने पसंदीदा कलाकारों को देखने सुनने पहुँचे लोग भडक़ उठे और हंगामा करते हुए कार्यक्रम स्थल पर तोडफ़ोड़ शुरू कर दी। कलाकारों और आयोजकों के बीच में पैसे के लेनदेन का विवाद भी चर्चाओं में बना हुआ है। इस पूरे घटनाक्रम से घाट फेस्टिवल का सत्यानाश हो गया है। आज सुबह पुलिस ने आयोजक राहुल मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया है। आश्चर्य की बात यह है कि इस आयोजन को जबलपुर का ऐतिहासिक आयोजन बताकर शहर के कई दिग्गजों ने इसकी ब्रांडिंग भी की थी और अब कोई दिग्गज इस बारे में कुछ भी कहने से कतरा रहे हैं। वहीं थाना प्रभारी पूर्वा चौरसिया ने बताया कि आगे के सारे कार्यक्रम निरस्त हो गये हैं।
घाट फेस्टिवल के आयोजन की किसने दी अनुमति टिकट बिक्री पर लगता है मनोरंजन कर
घाट फेस्टिवल के विवादित आयोजन को लेकर एक सवाल यह भी उठ रहा है कि इस आयोजन के लिए प्रशासन की स्वीकृति भी आवश्यक थी। क्या आयोजकों ने प्रशासन से अनुमति ली थी या फिर बिना प्रशासन की अनुमति के ही यह कार्यक्रम आयोजित करने का फैसला किया गया। घाट फेस्टिवल के लिए बहुत महंगी दरों पर टिकिट भी बड़ी संख्या में ऑनलाइन बेची गई है। 15 सौ से तीन हजार तक इन टिकटों को जबलपुर के अलावा प्रदेश के अन्य शहरों के लोगों ने भी बड़ी संख्या में खरीदा है। जब भी कोई मनोरंजन का आयोजन टिकट से होता है तो ऐसे आयोजन पर प्रशासन की ओर से मनोरंजन कर भी लिया जाता है। अब सवाल यह भी उठ रहा है कि आयोजकों ने टिकट की बिक्री पर जो बड़ी रकम कमाई है क्या उस पर प्रशासन द्वारा मनोरंजन कर की वसूली भी की जाएगी या नहीं यह एक सवाल भी उठ रहा है।
घाट फेस्टिवल में मशहूर अभिनेता-कॉमेडियन सुनील ग्रोवर और गायक पियूष मिश्रा के शामिल न होने और दर्शकों के हंगामा होने के बाद पुलिस ने अपने स्तर पर जाँच पड़ताल शुरू कर दी है। आयोजन में शामिल ना होकर वापस मुंबई लौट जाने की जानकारी आयोजक ने जैसे ही दर्शकों को दी तो वे भडक़ उठे। जिसके बाद दर्शकों ने हंगामा शुरू कर दिया। हंगामे के बीच तिलवारा और भेड़ाघाट पुलिस को इसकी जानकारी मिली जिसके बाद पुलिस की टीम ने दर्शकों को समझाकर मामला शांत कराया।
तीन हजार तक वसूले टिकिट के पैसे
आयोजक ने कार्यक्रम के लिए दर्शकों से 15 सौ से लेकर तीन हजार रूपये तक वसूले थे। लेकिन तय रकम सुनील ग्रोवर और पियूष मिश्रा को नहीं दी गई। जिसके बाद कलाकार नाराज हो गए और वे मुंबई लौट गए। इधर कलाकारों द्वारा प्रोग्राम में नहीं पहुँचने पर दर्शकों ने हंगामा शुरू कर दिया। बताया जा रहा है कि कलाकारों और आयोजकों में पैसे को लेकर विवाद हुआ था। जिसके बाद यह प्रोग्राम नहीं हुआ।
पैसे वापस होंगे या नहीं
कार्यक्रम रद्द होने से भीड़ भडक़ उठी। जहां एक ओर अभिनेता और गायक पीयूष मिश्रा व सुनील ग्रोवर मंच से नदारत थे तो वहीं आयोजक भी पीछे के रास्ते खिसक लिए। ऐसे में दर्शकों यह पता नहीं चल पा रहा था कि कार्यक्रम रद्द होने के बाद उनके पैसे वापस होंगे या नहीं। इस सवाल का जवाब जानने के लिए दर्शक काफी देर तक आयोजक के सामने आने का इंतजार करते रहे। लेकिन जब कोई सामने नहीं आया तो दर्शकों ने तोडफ़ोड़ शुरू कर दी।
मौके पर पहुँची तिलवारा और भेड़ाघाट की पुलिस
कार्यक्रम के लिए लाखों रूपये खर्च किए गए। लेकिन अभिनेता सुनील ग्रोवर और गायक पीयूष मिश्रा को तय रकम नहीं दी गई। आयोजक ने दोनों कलाकारों को टोकन मनी दी थी और बाकी पैसे कार्यक्रम के पहले देने की बात हुई थी। लेकिन जब दोनों कलाकारों ने बाकी पैसे मांगे तो कहासुनी हुई और वे बिना कार्यक्रम किए सुबह मुंबई लौट गए।
पाँच दिवसीय फेस्टिवल के दूसरे दिन ही कमी
सिनेक्राफ्ट एंटरटेनमेंट की ओर से पाँच दिवसीय कार्यक्रम आयोजन किया जा रहा है। जिसके दूसरे दिन कार्यक्रम में कल बड़ी गड़बड़ी सामने आई। कार्यक्रम को लेकर जहां दर्शक उत्साहित थे तो वहीं आयोजक ने इस उत्साह पर पानी फेर दिया।
भोपाल इंदौर से भी आए दर्शक
कार्यक्रम का लुत्फ उठाने के लिए भोपाल-इंदौर से भी दर्शक शहर पहुँचे थे। कहा जा रहा है कि कार्यक्रम की ब्लैक में भी टिकिट बिकी थीं। जिससे आयोजक को अच्छा खासा मुनाफा हुआ। कार्यक्रम में अतिरिक्त पुलिस बल भी लगाया गया था। हंगामे के बीच आमंत्रित किए गए चिकित्सक इंजीनियर सहित अभिजात्य वर्ग के लोगों को भी भीड़ से बचने के लिए सुरक्षित ठिकाना तलाशना पड़ा।