15 साल बाद भारत को मिली बड़ी सफलता
वॉशिंगटन। अमेरिकी उच्चतम न्यायालय ने मुंबई हमले के दोषी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। शीर्ष अदालत ने उसकी दोषसिद्धि के खिलाफ समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया है। भारत पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक राणा के प्रत्यर्पण की मांग कर रहा था, क्योंकि वह 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के मामले में वांछित है। राणा को एफबीआई ने अक्तूबर 2009 में गिरफ्तार किया था। यह राणा के लिए भारत को प्रत्यर्पित न किए जाने का आखिरी कानूनी मौका था। इससे पहले वह अमेरिकी अपील न्यायालय सहित कई संघीय अदालतों में कानूनी लड़ाई हार गया था। 13 नवंबर को राणा ने अमेरिकी उच्चतम न्यायालय के समक्ष ‘प्रमाणपत्र के लिए याचिका’ दायर की। डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के एक दिन बाद 21 जनवरी को शीर्ष अदालत ने इसे अस्वीकार कर दिया। उच्चतम न्यायालय ने कहा, याचिका अस्वीकार की गई। राणा वर्तमान में लॉस एंजिल्स में मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में हिरासत में है।
इससे पहले अमेरिकी सरकार ने अदालत में दलील दी थी कि पुरीक्षण याचिका को खारिज किया जाना चाहिए। अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल एलिजाबेथ बी. प्रीलोगर ने 16 दिसंबर को उच्चतम न्यायालय में दाखिल अपने दस्तावेज में यह बात कही। उन्होंने कहा कि राणा इस मामले में भारत प्रत्यर्पण से छूट का हकदार नहीं है। अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल ने प्रत्यर्पण का किया था विरोध।
नौवें सर्किट के लिए ‘यूनाइटेड स्टेट्स कोर्ट ऑफ अपील्स’ के फैसले की समीक्षा के वास्ते अपनी पुनरीक्षण याचिका में राणा ने दलील दी थी कि मुंबई पर 2008 के आतंकवादी हमले से संबंधित आरोपों पर इलिनॉय (शिकागो) के नॉर्दर्न डिस्ट्रिक में संघीय अदालत में उस पर मुकदमा चलाया गया और उसे बरी कर दिया गया था।