जबलपुर(जय लोक)
जबलपुर में हावी शराब माफिया एक बार फिर सिंडिकेट बनाकर खुलेआम लूटपाट पर उतारू हो गया है। ना तो जिला प्रशासन,आबकारी विभाग, और ना ही पुलिस प्रशासन इस दिशा में कोई ठोस कार्यवाही कर रहा है इसका परिणाम यह नजर आ रहा है कि शराब माफिया को सिंडिकेट के रूप में खुलेआम शहर में लूटपाट मचाने की खुली छूट मिल गई है। होली के त्यौहार में वैसे भी शराब की बिक्री सामान्य से कहीं अधिक बढ़ जाती है और चुनाव भी घोषित हो चुके हैं। ऐसी स्थिति में शराब माफिया ने सिंडिकेट बनाकर शहर से लेकर ग्रामीण हर क्षेत्र में कंपोजिट शराब दुकानों के अलावा सिंगल दुकानों से भी एमआरपी से ऊपर खुलेआम शराब बेचना शुरू कर दिया है। काली कमाई का यह आकड़ा करोड़ों में पहुंच गया है और प्रशसन इस शराब माफिया के सामने लचर साबित हो रहा है।
31 मार्च को वैसे भी शराब ठेकेदारों की समय अवधि समाप्त हो जाएगी। कुछ दुकानों का तो नवीनीकरण हो चुका है। लेकिन फिर भी वर्तमान में सिर्फ एक ही कहानी चल रही है जिसमें खुले आम देशी और विदेशी शराब की हर नाप की बोतल पर अतिरिक्त राशि वसूली जा रहा है।
ऑनलाइन पेमेंट नहीं लेते
बहुत सी शराब दुकानों में इस लूटपाट के कारण ग्राहकों से ऑनलाइन पेमेंट लेने से मना कर दिया जाता है। क्योंकि ऑनलाइन पेमेंट लेने पर उसकी मिलने वाली पावती साक्ष्य के रूप में उपयोग हो सकती है। ऑनलाइन पेमेंट ना लेना भारत सरकार और रिजर्व बैंक की शर्तों का और नियमों का खुला उल्लंघन भी किया जा रहा है।
करोड़ों की जीएसटी चोरी
सिंडिकेट ने नगद रकम का धंधा इसलिए चालू कर रखा है क्योंकि अवैध रूप से एमआरपी के ऊपर वसूली की जाने वाली राशि का कलेक्शन रोज लाखों में होता है। ऐसी स्थिति में अंदाजा लगाया जा सकता है कि पिछले लगभग एक माह से जारी एमआरपी से ऊपर शराब बेचने की लूट खसोट के कारण करोड़ों रुपए की जीएसटी चोरी कर शासन को भी सीधे शराब सिंडिकेट ने बड़ा चूना लगाया है।
रेट लिस्ट का पता नहीं, लडऩे पर उतारू हो जाते हैं कर्मचारी
जबलपुर शहर में जितनी भी शराब दुकान ग्रामीण या शहरी क्षेत्र में स्थित हैं उनमें से शायद ही किसी दुकान में नियम कायदे के अनुसार रेट लिस्ट लगी हो। जिन दुकानों में दिखाने के लिए रेट लिस्ट लग भी गई है कि अक्षर इतने छोटे हैं कि दो 3 फीट दूर से भी आदमी नहीं पढ़ पाएगा लिस्ट मांगे जाने पर दुकान के असामाजिक तत्व कर्मचारी के रूप में ग्राहक से मारपीट और लडऩे के लिए तैयार हो जाते हैं।
आबकारी विभाग की बड़ी नाकामी
आबकारी विभाग की पिछले एक माह से रह रहकर उठ रही शराब सिंडिकेट की करतूत पर पर्दा डालने की हरकत बहुत ही शर्मसार करने वाली है। आबकारी विभाग के लिए यह बड़ी नाकामी है कि चारों ओर लूट का हल्ला मचाने के बावजूद भी आबकारी विभाग अभी तक कोई भी कार्रवाई नहीं कर पाया है।
स्टॉक होने लगी शराब
सूत्रों के अनुसार चुनाव की घोषणा होते ही छोटी छोटी मात्रा में शराब को स्टाक करने का काम शुरू हो चुका है। चुनाव जैसे जैसे नजदीक आते जाएंगे वैसे वैसे शराब की खपत बढ़ती जाएगी। इसी कारण अभी से ही छोटी छोटी मात्रा में शराब को स्टॉक करने की तैयारी की जा रही है।