जबलपुर (जयलोक)। असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक पर्व होलिकोत्सव पर आज की रात होलिका प्रतिमाओं का दहन किया जाएगा। रंग, उमंग और मस्ती से भरे इस त्यौहार को मनाने की तैयारियों में लोग जुट गये हैं। घर-घर पकवान बन रहे हैं। बच्चे रंग और पिचकारी के अलावा तरह-तरह के मुखौटे, टोपियां लेकर प्रसन्न चित्त नजर आ रहे हैं। कई स्थानों पर होलिका प्रतिमाओं की स्थापना शनिवार को ही कर दी गई, वहीं अनेक स्थानों पर आज रविवार को ही होलिका प्रतिमाएं बिठाई जाएंगी और रात्रि के प्रथम पहर तक होलिका दहन कर दिया जाएगा। होलिका दहन की पूर्व संध्या पर बाजारों में अच्छी खासी रौनक रही। रंग-गुलाल पिचकारियों, मेवा मिष्ठानों की दुकानों पर लोग खरीददारी करते देखे गये। शनै:-शनै: त्यौहार की भयावहता के कारण लोगों का उत्साह और उमंग घटता जा रहा है। रही सही कसर महंगाई ने पूरी कर दी है। पुलिस में आज होलिका दहन की रात और कल धुरेड़ी के दिन सुरक्षा के कड़े प्रबंध किये। एसएएफ बटालियन की तीन कंपनियां जबलपुर में आ चुकी हैं। शराबखोरी और तेज रफ्तार से वाहन चलाने वालों पर पुलिस सख्ती से पेश आएगी। इस साल होलिका दहन पर भद्रा पडऩे के कारण शास्त्रों के मुताबिक होलिका दहन रात 11 बजे से 11.30 के बीच शुभ मुहूर्त में होगा उसके बाद दूसरे दिन सोमवार को रंग अबीर खेला जाएगा।
बहरहाल होली के त्यौहार की पौराणिक मान्यता यह है कि राजा हिरण्यकश्यप एक अत्याचारी दानव था। लेकिन उसका पुत्र भक्त प्रहलाद एक धार्मिक और न्यायप्रिय था। राजा हिरण्यकश्यप को अपने पुत्र का आचरण पसंद नहीं था। वह उसे भी दानव बनाना चाहता था। ऐसी मान्यता है कि भक्त प्रहलाद भगवान नरसिंह के अनन्य भक्त थे और तमाम अत्याचार करने के बाद भी जब राजा अपने पुत्र भक्त प्रहलाद को दानवी शक्ति से प्रभावित नहीं कर सके तो उन्होंने अग्नि में भस्म नहीं होने का वरदान प्राप्त अपनी बहन होलिका की गोद में अपने पुत्र प्रहलाद को बिठाकर आग के हवाले करने की कोशिश की। लेकिन ईश्वर की कृपा से वरदान का दुरूपयोग करने वाली होलिका तो आग में धूं-धूंकर भस्म हो गई और भक्त प्रहलाद बच गये। तभी से आसुरी शक्ति पर देवीय शक्ति के विजय प्रतीक इस पर्व पर होलिका प्रतिमा का दहन किया जाता है। होलिका दहन के दिन सारी बुराईयों को समाप्त कर दूसरे दिन रंग-गुलाल के साथ गले मिलकर गिले शिकवे भुलाने का संदेश यह पर्व देता है, लेकिन विगत कुछ वर्षों से असामाजिक तत्वों, शराबियों ने इस पर्व के मायने ही बदल दिये हैं। इसलिए पुलिस को इस त्यौहार में खासी सख्ती करनी पड़ती है।
ये है हालिका दहन का शुभ मुहूर्त
फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन और इसके अगले दिन होली मनाई जाती है। इस साल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि आज सुबह 9 बजकर 54 मिनट से शुरू हो चुकी है। वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर होगा। आज होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त देर रात 11 बजकर 13 मिनट से लेकर 12 बजकर 27 मिनट तक है। ऐसे में होलिका दहन के लिए आपको कुल 1 घंटे 14 मिनट का समय मिलेगा।