नई दिल्ली। 21 मार्च 2024 को दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े ने कहा, ‘हम बराबरी से चुनाव ना लड़ पाएं, इसलिए हमारे बैंक खाते सीज कर दिए गए हैं। एक पार्टी के चुनाव लडऩे में बाधा डालने का खतरनाक खेल खेला गया है। भाजपा सरकार के चुनावी खर्चे का कोई हिसाब नहीं है। भाजपा कभी टैक्स नहीं देती है, लेकिन हमसे मांगती है।’ दरअसल, 30 मार्च 2024 तक इनकम टैक्स डिपार्टमेंट, कई चरणों में कांग्रेस को 3,567 करोड़ रुपए के टैक्स डिमांड नोटिस भेज चुका है। इसको चुनौती देने वाली कांग्रेस की अपील पर 1 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कहा है कि वह लोकसभा चुनाव के खत्म होने तक कांग्रेस से टैक्स उगाही करने के लिए कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करेगा। कांग्रेस के लिए ये फौरी तौर पर बड़ी राहत है, लेकिन लोकसभा चुनाव पूरे होने के बाद कांग्रेस को फिर से भारी-भरकम इनकम टैक्स की मांग से जूझना पड़ सकता है।
राजनीतिक दलों को आयकर के किन नियमों के तहत छूट मिलती है – आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 13ए के तहत, रजिस्टर्ड राजनीतिक पार्टियों को होने वाली कमाई पर इनकम टैक्स से छूट मिलती है। धारा 13ए कहती है कि किसी भी राजनीतिक दल को घरेलू संपत्ति, अन्य स्रोत, पूंजीगत लाभ और किसी व्यक्ति से होने वाले स्वैच्छिक योगदान से होने वाली कमाई, उसकी पिछले वर्ष की कुल आय में शामिल नहीं की जाएगी, लेकिन इसके लिए कुछ जरूरी शर्तों को पूरा करना होता है।
कांग्रेस को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत का महत्व, आगे क्या होगा – सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील आशीष कुमार पांडेय के मुताबिक क्रिमिनल मामलों में पीडि़त पक्ष के अलावा कोर्ट भी एक पक्ष बन सकता है, लेकिन कांग्रेस का इनकम टैक्स का ये मामला सिविल केस की कैटेगरी में आता है। इसमें एक पक्ष ने चुनावों को मद्देनजर रखते हुए वादी (कांग्रेस) को कुछ समय के लिए कार्रवाई से रियायत दी है। सिविल मामलों में ऐसा किया जा सकता है। इससे अगली सुनवाई पर कोर्ट की कार्यवाही पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। आशीष कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में ये भी साफ किया है कि दी गई रियायत का आशय ये नहीं है कि कांग्रेस को 3,569 करोड़ रुपए के डिमांड नोटिस से राहत मिली है। कोर्ट ने ये ऑब्जर्वेशन दिया है कि जो रियायत दी गई है वह कांग्रेस के खिलाफ नोटिस के इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के अधिकार और तर्कों पर कोई प्रभाव नहीं डालती है।