जबलपुर (जयलोक)
शहर के एक बिल्डर ने नगर निगम को धोखे में रखते हुए सुधार कार्य के नाम पर अनुमति ली और अपने हुनर का गलत प्रदर्शन करते हुए मात्र 10 फीट की जगह में तीन मंजिला इमारत टांग दी इस इमारत के छज्जे 4 से 5 फीट तक हवा में सडक़ के ऊपर निकाल दिए। इस बात की शिकायत नगर निगम भवन शाखा तक पहुंची। नगर निगम भवन शाखा की ओर से बिल्डर को नोटिस दिया गया लेकिन जब सही जवाब प्राप्त नहीं हुआ और चोरी पकड़ी गई तो उपरोक्त बिल्डर ने मुंह छुपाना शुरू कर दिया। परिणाम यह हुआ कि आज नगर निगम की जेसीबी ने निगम प्रशासन के साथ की गई धोखेबाजी का जवाब दिया। अतिक्रमण दल के प्रभारी लक्ष्मण कोरी ने बताया कि टीम जब मौके पर पहुंची तो पाया कि रानी ताल गेट नंबर दो के बाजू में रहने वाले बिल्डर और इंजीनियर सुनील जैन ने स्मार्ट सिटी के कार्य के दौरान सडक़ चौड़ीकरण के लिए अधिकृत की गई उसकी भूमि का मुआवजा भी प्राप्त कर लिया है। इसके बाद उसने नगर निगम से अपने घर के सामने के हिस्से में सुधार कार्य करवाने के नाम पर अनुमति प्राप्त की थी और अपना इंजीनियरिंग का दिमाग लगाकर 10 फुट की जमीन पर एक के ऊपर एक तीन मंजिला मार्केट नुमा स्ट्रक्चर खड़ा कर दिया। रानीताल स्थित गेट नम्बर दो के पास बिना अनुमति के तीन मंजिला भवन का यह निर्माण कर लिया गया था । इस निर्माण की सूचना जब नगर निगम को मिली तो निगम की टीम ने आज इसे तोडऩे की कार्रवाही शुरू की। इस दौरान विवाद की स्थिति से निपटने के लिए पुलिस बल भी लगाया गया। हालांकि पूरी कार्रवाही शांतिपूर्ण तरीके से चल रही है।
अतिक्रमण शाखा के लक्ष्मण कोरी ,प्रवीण मरावी ने बताया कि जिस भवन को तोड़ने की कार्रवाही की जा रही है वह भवन बिल्डर और इंजीनियर संजय जैन नामक व्यक्ति का है। इन्होंने भवन का ना तो नक्शा बनवाया, ना ही इसकी जानकारी निगम को दी। तीन मंजिला इस भवन में दुकानों का निर्माण किया गया था। श्री मरावी ने बताया कि पूर्व में भवन स्वामी को इस बात का नोटिस भी दिया जा चुका है। जिसके बाद आज तोडऩे की कार्रवाही की गई। तीन मंजिला बनाया गया यह भवन फ्लाई ओवर के काफी करीब है, जिससे यातायात भी प्रभावित हो रहा था। भवन निर्माण सडक़ के काफी आगे बढ़ाकर किया गया था। जिससे वाहनों के जाम लगने की समस्या भी हो रही थी। जिसको देखते हुए आज नगर निगम की टीम ने अवैध निर्माण को तोड़ दिया।
लिखकर माँगा दो दिन का समय
अतिक्रमण करने वाले इंजीनियर संजय जैन ने कार्यवाही शुरू होने के बाद पहले तो काफी जोर लगाया कि किसी प्रकार से कार्यवाही रुक जाए। लेकिन जब वह इस प्रयास में सफल नहीं हुआ तो उसने नगर निगम के अमले को लिखित में स्वयं अपना अतिक्रमण तोडऩे की सहमति प्रदान की और 2 दिन का समय मांगा। दो दिन बाद अगर अतिक्रमण नहीं हटाया गया तो फिर नगर निगम का अतिक्रमण दस्ता जेसीबी और अन्य मशीन लेकर बड़ी कार्यवाही करने पहुँचा।