जबलपुर (जयलोक)
कल जबलपुर के मझगवां क्षेत्र में एक भीषण हादसे में सात लोगों की जान चली गई और 11 लोग घायल हुए। घायलों को स्थानीय ग्रामीण क्षेत्र के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। चार मरीजों की हालत गंभीर प्रतीत होने पर उन्हें सीएमएचओ द्वारा तत्काल मेडिकल अस्पताल के लिए रवाना किया गया। लेकिन अगले 5 घंटे तक पूरा जिला प्रशासन उन मरीजों की खोज खबर लेने में परेशान रहा। यानी 5 घंटे तक सरकारी अस्पताल से मेडिकल अस्पताल के लिए रेफर किए गए मरीज लापता हो गए थे। यह स्थिति एंबुलेंस माफिया की हरकतों के कारण निर्मित हुई। इस बार तो एंबुलेंस माफिया ने सारी हदें पार करते हुए इतने गंभीर और चर्चित मामले में भी अपनी कमीशन खोरी का रास्ता तलाश लिया और मरीजों को राइट टाउन स्थित निजी मोहनलाल हरगोविंद दास अस्पताल में भर्ती करवाया गया। जबकि प्रथम दृष्टि में यह प्रतीत होता है कि एंबुलेंस माफिया के लोगों ने सांठ गांठ कर मेडिकल की ओपीडी में गलत तरीके से घायलों के नाम की पर्ची कटवाली लेकिन मरीज मेडिकल अस्पताल तक पहुंचे ही नहीं। यहां पर एसडीएम सहित डॉक्टर तत्काल मरीजों को राहत देने के इंतजामों के साथ तैयार बैठे रहे और घंटों इंतजार करने के बाद भी जब मरीज नहीं आए तब इस बात का हल्ला मचाना शुरू हुआ। जब मामले का खुलासा हुआ तो कलेक्टर दीपक सक्सेना कड़ी कार्रवाही करते हुए चार लोगों को बर्खास्त कर दिया और दो अधिकारियों को नोटिस जारी किए गए हैं।
कलेक्टर ने पकड़ ली गफलतबाजी
इस पूरे मामले के प्रकाश में आने के बाद जब जिला प्रशासन के हर स्तर के अधिकारी ने लापता हो गए मरीजों की तलाश प्रारंभ की और कई घंटे तक मरीजों का पता नहीं चला तो यह बात बिगड़ती देख अधीनस्थ अधिकारियों ने जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना को पूरी स्थिति से अवगत कराया। कलेक्टर दीपक सक्सेना ने तत्काल पुलिस अधीक्षक से बात कर पुलिस को सक्रिय किया और अपने अधीनस्थ एडीएम स्तर के अधिकारी से लेकर नायब तहसीलदार तक सबको इन मरीजों की तलाश में लगा दिया। 5 घंटे बाद यह जानकारी प्राप्त हुई कि मरीजों को निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है और इन्हें मेडिकल अस्पताल में नहीं ले जाया गया। कलेक्टर दीपक सक्सेना के पास पूर्व में भी एंबुलेंस माफिया की हरकतों की शिकायतें पहुंच चुकी थी इसलिए उन्हें यह समझने में जरा देर नहीं लगी कि यह कृत्य भी इसी कमीशन खोरी की मंशा के तहत किया गया है।
एडीएम स्तर पर बनी कमेटी होगी जाँच
कलेक्टर दीपक सक्सेना ने एडीएम स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में एक जांच समिति गठित की है। यह समिति न केवल वर्तमान में प्रकाश में आए एंबुलेंस माफिया और निजी अस्पतालों की सांठ गांठ की जाँच करेगी , बल्कि पूर्व में भी एंबुलेंस माफिया और निजी अस्पतालों की मिली भगत की जो शिकायतें सामने आई हैं उनको भी अब जांच के दायरे में लेकर सख्ती से कार्यवाही की जाएगी।
बदनाम है जबलपुर के कुछ निजी अस्पताल
सूत्रों ने बताया कि जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना के समक्ष एंबुलेंस माफिया और निजी अस्पताल की मिली भगत की बहुत सी जानकारियां पहुंची हैं। इस कृत्य के लिए जबलपुर के कुछ नामचीन बड़े अस्पताल बहुत बदनाम हैं जो एंबुलेंस माफिया के जनक भी हैं और मोटी रकम की लालच देकर मरीज को अपने अस्पताल में लाने के बदले में कमीशन देने का खेल खेल रहे हैं।
108 एम्बुलेंस सेवा के ड्राईवर सहित तीन कर्मचारी बर्खास्त, दो अधिकारियों को नोटिस
सिहोरा-मझगंवा मार्ग पर ग्राम नुंजी के पास कल लोडिंग ऑटो और हाइवा की टक्कर में घायल हुये दो मरीजों को मेडिकल कॉलेज जबलपुर की जगह राइट टाउन स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराने पर 108 एम्बुलेंस सेवा के दो ड्राइवर और इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन सहित तीन कर्मचारियों को कलेक्टर दीपक सक्सेना के निर्देश पर सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है।
कटनी की थी एम्बुलेंस
जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजय मिश्रा ने बताया कि इस प्रकरण में 108 एम्बुलेंस सेवा के जोनल मैनेजर और ऑपरेशन मैनेजर को भी नोटिस जारी किये गये हैं। डॉ. मिश्रा ने बताया कि दुर्घटना में घायल मरीजों को सिहोरा अस्पताल से मेडिकल कॉलेज लाने वाली 108 एम्बुलेंस कटनी जिले की थी।
दोनों घायल वापस सिहोरा अस्पताल पहुँचे
मोहनलाल हरगोविंद दास हॉस्पिटल भर्ती कराये गये दोनों घायलों ठाकुर लाल कोल और मंगोबाई को हालत में सुधार को देखते हुये आज सुबह उन्हें वापस सिहोरा अस्पताल ले जाया गया है। दोनों मरीजों को सिर में हल्की चोटें थी, लेकिन सर्तकता बरतते हुये उन्हें मेडिकल कॉलेज रिफर किया गया था।
108 एम्बुलेंस कार्य प्रणाली की हर बिंदु पर होगी जाँच : कलेक्टर सक्सेना
एम्बुलेंस माफिया और निजी अस्पतालों की मिलीभगत से चल रहे कमीशनखोरी का खेल कल की घटना के बाद उजागर हुआ है। इस संबंध में जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना ने जयलोक से चर्चा करते हुए बताया कि कल हुई घटना के बाद से जिला स्तरीय एक जाँच दल गठित किया गया है। एडीएम स्तर के अधिकारी इस समिति का नेतृत्व करेंगे। यह जांच दल 108 एम्बुलेंस की कार्यप्रणाली को बारिकी से समझेगा और जिला प्रशासन के समक्ष पूर्व में आ चुकी निजी अस्पतालों और एम्बुलेंस से संबंधित शिकायतों को भी जाँच में लिया जाएगा। जाँच कमेटी इस बात की पड़ताल करेगी कि 108 एम्बुलेंस के चालकों और निजी अस्पताल के बीच में क्या किसी प्रकार की सांठगांठ है। कहीं किसी प्रकार का आर्थिक प्रलोभन या कमीशनखोरी का रैकेट तो नहीं बना हुआ है और अगर ऐसा है तो इनके खिलाफ सख्त कार्रवाही की जाएगी। कलेक्टर दीपक सक्सेना ने इस पूरे मामले को बहुत गंभीरता से लिया है और आने वाले दिनों में एम्बुलेंस माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाही नजर आएंगी।
कटनी के कुठला थाना में पकड़े गए एम्बुलेंस चालक
कल सिहोरा सडक़ हादसे के बाद कटनी जिले से आई एम्बुलेंस के ड्रायवर ने कमीशनखोरी के चक्कर में मेडिकल रेफर होने के बावजूद भी दुर्घटना के घायलों को निजी अस्पताल में भर्ती करवाया था। काफी देर तक जब मरीजों की जानकारी नहीं मिली तो कलेक्टर के निर्देश पर जिला पुलिस प्रशासन भी हरकत में आ गया एवं आसपास के जिलों में भी इस बात की सूचना भेजी गई। परिणाम स्वरूप कटनी कुठला थाना में उक्त 108 एम्बुलेंस के ड्रायवर और अन्य लोगों को पकडक़र रखा गया था।