जबलपुर (जयलोक)। नवरात्र से संस्कारधानी जबलपुर में लाखों लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले कृत्य की निंदा अभी भी हो रही है। कछपुरा में रखी जाने वाली माता महाकाली की प्रतिमा के खंडित हो जाने के बाद आयोजन समिति के लोगों ने अचानक पंडाल के पट बंद कर दिए थे। उसके बाद आयोजन समिति के लोगों ने और संयोजक संजय गुप्ता ने साधु संतों के नाम से यह झूठ बोल दिया कि विशेष पाठ चल रहा है इसलिए माता महाकाली की प्रतिमा के दर्शन बंद कर दिए गए। माता महाकाली की प्रतिमा खंडित होने का हल्ला पूरे शहर में हो गया। लाखों लोगों ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया दी और लिखा कि चंदे चढ़ावे की लालच में किया गया यह कृत्य निंदनीय है।
इस मामले में अभी एक और चौंकाने वाला नया खुलासा हुआ है जिससे हर दुर्गा उत्सव समिति को इस संत की बात से सीख लेना चाहिए और इस घटना के कारण को हमेशा याद रखना चाहिए। संत स्वामी राघव देवाचार्य जी ने मीडिया के सामने इस बात का खुलासा किया है की माता महाकाली की प्रतिमा तेज आवाज में बजाए जा रहे डीजे के कारण खंडित हुई है। यह बात पूर्व में भी उठी थी लेकिन इस समिति के सदस्यों ने अफवाह बताकर खारिज कर दिया था। अब स्वामी राघव देवाचार्य ने इस बात का खुलासा करते हुए मीडिया के सामने यह कहा है कि आयोजन समिति से यह भी बहुत बड़ी गलती हुई कि उन्होंने माता महाकाली की प्रतिमा के पास ही डीजे की पूरी दीवाल खड़ी कर दी और कई लोगों के मना करने के बावजूद भी बहुत तेज आवाज में सभी को परेशान करते हुए डीजे बजाया गया। इसी वजह से माता महाकाली की प्रतिमा में दरारें आने लगी और प्रतिमा खंडित हुई।
प्रशासन को सख्ती से देना चाहिए ध्यान
स्वामी राघव देवाचार्य ने इस बात की भी मांग उठाई है कि प्रशासन को सख्ती से इस बारे में ध्यान देना चाहिए कि जहां भी प्रतिबंध डीजे का उपयोग किया जा रहा है उसे रोका जाए। स्वामी राघवाचार्य ने सभी दुर्गा पंडाल के आयोजकों और समिति के लोगों से यह अपील भी की है कि भविष्य में दुर्गा पंडालों में डीजे का उपयोग न करें तेज आवाज में बजने वाले धुन को संगीत नहीं हल्ला मचना कहा जाता है और इस के कारण केवल श्रद्धालुओं भक्तों और दर्शन करने आने वाले लोगों को परेशानी होती है। मध्य आवाज में बजने वाले दो साउंड बॉक्स देवी गीतों, देवी आराधना और भजनों के लिए पर्याप्त होते हैं। इनके मध्यम गति के वादन से भक्ति का माहौल भी निर्मित होता है और सकारात्मक ऊर्जा भी बनी रहती है।