अभी तक ना तो कांग्रेस का लोकसभा प्रत्याशी
और ना ही नगर अध्यक्ष घोषित हुआ
जबलपुर (जय लोक)
लोक सभा चुनाव की तैयारी जिस गति से होनी चाहिए उस गति का तो कांग्रेस में दूर-दूर तक पता ही नहीं है। ऐसा लग रहा है जैसे की जबलपुर में भाजपा को लोकसभा चुनाव में वाक ओवर मिल गया है। वैसे भी वर्तमान में भाजपा की स्थिति मजबूत नजर आ रही है उसको देख कर यह कह पाना भी मुश्किल है कि कांग्रेस प्रत्याशी भाजपा प्रत्याशी के मुकाबले में उसके आधे वोट भी ले पाएगा या नहीं।
ऐसा इसलिए प्रतीत हो रहा है क्योंकि भाजपा ने समय रहते ही अपना प्रत्याशी मैदान में उतार दिया। भाजपा प्रत्याशी भी बेदाग छवि वाला, जिसका कोई विरोध नहीं है। भाजपा प्रत्याशी आशीष दुबे रात-दिन प्रचार में लगे हैं।दूसरी ओर कांग्रेस के ना तो लोकसभा चुनाव के उम्मीदवार का पता है और ना ही नगर संगठन के अध्यक्ष और उसकी बॉडी का अता -पता है। चुनाव लडऩे के लिए दोनों ही बहुत जरूरी हैं। उम्मीदवार और संगठन कांग्रेस के पास इस वक्त दोनों ही नहीं है। जबलपुर लोक सभा सीट पर पिछले कई चुनाव से भाजपा का कब्जा रहा है। कांग्रेस के लिए इस सीट से जीत पाना वैसे भी बहुत टेढ़ी खीर माना जा रहा है। इसके बावजूद भी विगत दो चुनाव में कांग्रेस की ओर से मजबूत प्रत्याशी के रूप में वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा मैदान में उतरे थे। मजबूत प्रत्याशी होने के बावजूद भी उनकी हार का सबसे बड़ा कारण कांग्रेस के पास संगठन ना होना ही बना। अब इस बार तो यह स्थिति है कि कांग्रेस के समाप्त हो चुके संगठन ढांचे को देखते हुए इतने बड़े चुनाव के लिए कोई भी उम्मीदवार कांग्रेस की टिकट लेकर बली का बकरा बनना ही नहीं चाहता है। अब तो चुनाव आयोग ने भी पूरे देश भर में अपने कार्यक्रम का ऐलान कर दिया है। मतदान से लेकर मतगणना तक की तारीख घोषित हो चुकी है। फार्म जमा करने और नाम वापसी तक की तारीखों का ऐलान हो गया है। लेकिन कांग्रेस अपने उम्मीदवारों का ऐलान नहीं कर पा रही है। कांग्रेस के नगर के किसी नेता को जानकारी नहीं है कि प्रदेश स्तर पर क्या खिचड़ी पक रही है। प्रदेश स्तर पर हर नेता एक दूसरे के पाले में गेंद डालते नजर आते हैं और ज्यादा कुछ हो तो राष्ट्रीय स्तर तक निर्णय होने की बात चली जाती है।
ऐसी स्थिति में तो यही लग रहा है कि कोई जबलपुर लोक सभा सीट से कांग्रेस अपने उम्मीदवार को पार्षद के चुनाव की तरह चुनाव लडऩे का समय प्रदान करेगी। या तो फिर कांग्रेस यह मान चुकी है कि जबलपुर लोकसभा सीट से हार सुनिश्चित है। जितनी देर से प्रत्याशी उतारा जाएगा उतना कम खर्च पार्टी को उठाना पड़ेगा। हार में वोटो का अंतर तो कांग्रेस नहीं रोक पाएगी, लेकिन इस प्रकार देरी कर अपने आर्थिक खर्चो को काबू कर सकती है। इन्हीं सब स्थितियों को देखकर यह कहां जा रहा है कि जबलपुर भाजपा को लोकसभा चुनाव में वाक ओवर मिल गया है।