चैतन्य भट्ट
(जय लोक)। बचपन में जब दिवाली आती थी तब हम बमों की लड़ी लाया करते थे, उन दिनों माता-पिता बच्चों को पैसे बहुत कम देते थे इसलिए छोटे वाले बम ही उतने पैसों में आ पाते थे। इसलिए बच्चे बमों की पूरी लड़ी में आग न लगाकर पहले उसका धागा खोलकर सारे बम अलग-अलग कर लेते थे और फिर एक-एक बम फोडक़र कई घंटे तक उन बमों का मजा लेते थे लेकिन कई बार ऐसा भी होता था कि सौ बमों की लड़ी में कई बम फुस्सी निकल आते थे बड़ा रंज होता था जब पूरी बाती जल जाती थी और बम में से आवाज नहीं आती थी , फुस्स करके वो ढेर हो जाता था । आजकल कांग्रेस में उसी तरह के फुससी बमों की बहुतायत है, उनके नेताओं की जो लड़ी है उसमें से अधिकतर फुस्सी बम ही निकल रहे हैं। अब इंदौर का ही मसला देख लो कांग्रेस के बड़े भारी नेता थे नाम भी जबरदस्त था ‘अक्षय कांति’ यानी जिसकी कांति कभी खत्म ना हो और उसके बाद एक और विशेषण ‘बम’ कांग्रेस को लगा इससे बड़ा बम तो और कोई हो नहीं सकता तो चुनाव में उतार दिया टिकिट देकर, सोचा ये वाला जो बम है ये बीजेपी के बम से ज्यादा तेज आवाज करेगा और लोग उसकी आवाज सुनकर उसी की तरफ खिंचे चले आयेंगे लेकिन कांग्रेस को क्या पता था यह बम ना तो ‘एटम बम’ है ना ‘लक्ष्मी बम’ यह बम तो सौ फीसदी फुस्सी बम है जिसने एन वक्त पर फूटने से मना कर दिया और बीजेपी के पाले में लुढक़ गया, अब कांग्रेस वाले भारी परेशान हैं आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं पर अब क्या होता है जब बम की बाती में माचिस लगा रहे थे तो उसके बारूद के बारे में जाँच कर लेते दो-चार दिन धूप में रख देते ताकि अगर बम के अंदर कोई सीलन थी तो वह खत्म हो जाती लेकिन कांग्रेस को तो पूरा भरोसा था कि अपना जो बम है। जब फूटेगा तो सब देखते रह जाएंगे और जब फूटा तो और कोई तो नहीं सारे कांग्रेसी देखते हुए रह गए। अब एक और फुस्स बम त्रिपुरा में सामने आ गया है जिसने यह कहकर टिकट वापस कर दी थी पार्टी पैसा दे नहीं रही, अपने पास पैसा है नहीं तो चुनाव लड़े तो लड़ें कैसे ? अरी बहना पार्टी तो खुद ही पैसे-पैसे को मोहताज है वो पैसा दे तो कहां से दे ,जिसको लडऩा है अपने पैसे से लड़े या फिर हमारे जबलपुर के कांग्रेस प्रत्याशी दिनेश यादव की स्कीम चलाएं कि वोट भी दो और नोट भी दो। पर अब कांग्रेस को चाहिए कि वह जिस भी बम की पूंछ पर आग लगाना चाहता है पहले उसके बारूद की क्वालिटी और क्वांटिटी, सब पहले से परख ले वरना जो हाल इंदौर में हुआ है वही हाल और भी जगह हो सकता क्योंकि अभी तो चार चरण के चुनाव बाकी हैं और इन चार चरणों के चुनाव में और कितने कांग्रेसी बम फुस्सी बम निकलते हैं यह देखना होगा, वैसे भी बीजेपी तो चाह ही रही है कि उनके बमों की पूरी लड़ी ही फुस्स हो जाए लेकिन ऊपर वाला भी दयालु है दो-चार बम इनके भी फट सकते हैं बाकी का भरोसा करना अब किसी के बस का नहीं ।
टाइम खराब चल रहा है – जब इन दिनों जब कांग्रेस का ही टाइम खराब चल रहा हो तो फिर उसके अध्यक्ष का टाइम कैसे अच्छा हो सकता है? जब से अपने जीतू भैया प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बने हैं पता नहीं कौन से राहु केतु या शनि महाराज उन पर चढ़ बैठे हैं । हर जगह उन्हें असफलता ही असफलता मिल रही है उनके अध्यक्ष बनते ही ना जाने कितने कांग्रेसी भाजपाई हो गए लगातार कांग्रेस छोड़-छोड़ के नेता लोग भगवा दुपट्टा पहनने के लिए बेचैन दिखाई दे रहे हैं । जीतू भैया जीतोड़ कोशिश कर रहे हैं कि बीजेपी की नीति का पर्दाफाश करें लेकिन उनके ही गृह जिले में उनका ही प्रत्याशी रातों-रात अपना नाम वापस ले आया और भाई साहब को खबर तक नहीं हुई। कहते हैं ना कि जब समय खराब आता है तो हर तरफ से आता है अभी तक तो कार्यकर्ता और नेता ही बीजेपी में जा रहे थे अब एफआईआर की लाइन लग गई है उनके खिलाफ, इमरती देवी को लेकर क्या बयान दे दिया उन्होंने कि उन्होंने एफआईआर दर्ज करवा दी इसके पहले एक फोटो रिलीज करने के चक्कर में एफआईआर दर्ज हो गई अभी और ऐसे मामले हैं जिसमें लोग बाग जीतू भैया के खिलाफ एफआईआर करवाने की बात कर रहे हैं। वैसे जीतू भैया का कहना है कि हम ऐसी एफआईआर से डरते नहीं फिर भी कोर्ट कचहरी का सामना तो करना ही पड़ेगा ना, और कोर्ट कचहरी जाकर आदमी कितना परेशान हो जाता है ये उसी को मालूम होता है जो कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाता है। जीतू भैया को अपनी सलाह है कि किसी अच्छे ज्योतिषी को अपनी कुंडली दिखाओ और यदि राहु, केतु, शनि अलसेठ देने पर उतारूं हों तो शांति के उपाय करवा दो, कोई अंगूठी पहन लो, कोई जाप करवा लो वरना रोज-रोज की झंझटों से कब तक लड़ोगे राजनीति तो आगे भी करना है अगर ऐसा ही हाल रहा तो तीस दिन पूरे साल कोर्ट कचहरी में ही बीत जाएंगे फिर राजनीति कब करोगे जीतू भैया, अपनी सलाह मानो और कुछ करो
हँसें तो कैसे हँसे – कल वल्र्ड ‘लाफ्टर डे’ था। लोग बात कहते हैं और विशेषज्ञ भी बताते हैं कि अगर आप हंसते रहेंगे तो आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा इसलिए लोगों के लिए हंसना बहुत जरूरी है जब आप हंसते हैं तो शरीर के तमाम अंगों में नई ऊर्जा का संचार होता है और जिसका फायदा शरीर को मिलता है लेकिन सवाल बड़ा लाजमी है कि ऐसे कठिन वक्त में हंसे तो हंसे कैसे ? नेताओं को ही देख लो चुनाव चल रहा है जिनके चुनाव हो गए हैं वे इस तनाव में हैं कि क्या पता कितने वोट मिलते हैं अब जब रात दिन यही चिंता है तो हंसी कहां से आएगी? जिनके चुनाव हुए नहीं है वे भूखे प्यासे चिलचिलाती धूप में जनसंपर्क कर रहे हैं उस पर भी टेंशन है कि पता नहीं मतदाता घर से निकलेगा कि नहीं निकलेगा ऐसे तनाव और गर्मी के बीच किसको हंसी आ सकती है,व्यापारी को इस बात की चिंता है कि दुकान में छापा ना पड़ जाए तो वह भी रोने जैसा मुंह बनाए दुकान में बैठा रहता है। अफसर को इस बात का मलाल है की सरकार बदल गई और उनकी मलाईदार पोस्टिंग भी चली गई अब ऐसे में पीएचक्यू में या सचिवालय में बैठकर कौन ऐसा जोधा होगा जो जोर-जोर से हंस सकेगा। बच्चों को पढ़ाई की चिंता है तो उनकी भी हंसी पता नहीं कहां गायब हो गई जो पढ़ लिख गए हैं वे नौकरी की तलाश में घूम रहे हैं अब नौकरी ढूंढें या फिर हंसे घर में पति तो वैसे भी पत्नी के सामने जोर-जोर से हंस नहीं सकता वरना पूछ लेगी ऐसी कौन सी दूसरी मिल गई है जो उसको याद कर कर इतने हंस रहे हो ,पत्नी को गृहस्थी की चिंता है यानी जब किसी के पास हंसने का समय नहीं है तो फिर लाफ्टर डे हो या लाफ्टर मंथ या फिर लाफ्टर इयर किसी को हंसी नहीं आने वाली भैया और वैसे भी अब सिर्फ धार्मिक सीरियलों में जो राक्षस बनते हैं उन्हीं की हंसी सुनाई पड़ती है आदमी की हंसी तो पता नहीं कहां खो गई है।
सुपर हिट ऑफ द वीक
श्रीमान जी घर में घबराए हुए बैठे थे दोस्त ने पूछा
‘क्या हुआ इतने घबराए हुए क्यों हो’
‘कोरोना की कोविड शील्ड वैकसीन लगवाई थी लोग कह रहे हैं उससे हार्ट अटैक आ सकता है’ श्रीमान जी ने कहा
‘अरे नहीं भाई उसका असर लाखों लोगों में से एक को हो सकता है’ दोस्त ने समझाया
‘यही तो डर है आज ही श्रीमती जी अपनी सहेली से कह रही थी ‘मेरे ये तो लाखों में एक हैं’ श्रीमान जी ने बताया।
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