आधा दर्जन से अधिक वार्ड की लाखों की संख्या में जनता होती है परेशान
यातायात की बड़ी समस्या का नहीं हो रहा हल
जबलपुर (जय लोक)। चंडाल भाटा ट्रांसपोर्ट नगर निगम द्वारा बसाया गया यह वो क्षेत्र है जहां पर शहर के ट्रांसपोटरों को अलग से भूखंड आवंटित किए गए थे ताकि वे शहर के मध्य में लोडिंग अनलोडिंग का कार्य न करें एवं भरी वाहनों का प्रवेश भी शहर के अंदर ना हो सके। शहर के आम जनमानस के साथ ही यातायात व्यवस्था को नुकसान न पहुंचे। लेकिन इस सोच के विपरीत चंडाल भाटा ट्रांसपोर्ट नगर में मौजूद 572 प्लाटों में से अधिकांश प्लाटों पर बड़े बड़े गोदाम बनाकर किराए पर दे दिए गए हैं और ट्रांसपोर्टर शहर की मुख्य सडक़ों पर ही कब्ज जमाएं बैठे हैं। अब इसके कारण महात्मा गांधी वार्ड, चेरीताल वार्ड राजेंद्र प्रसाद वार्ड, सहित ऐसे आधा दर्जन से अधिक लगे हुए वार्ड है जहां की लाखों की संख्या जनता रोज शहर के मध्य में घुसने वाले ट्रकों और अन्य भारी वाहन के कारण हर थोड़ी देर में लगने वाले बड़े बड़े जामों से परेशान है।
ना एंबुलेंस निकल सकती है ना फायर ब्रिगेड
बल्देवबाग से पांडे चौक की ओर जाने वाले मार्ग में शाम को सुबह से लेकर रात 10 तक के बीच में भयावह स्थिति रहती है। यहाँ से किसी भी आपातकाल स्थिति होने पर आदमी पैदल भी नहीं निकल सकता है। यहां से इमरजेंसी आपातकाल की स्थिति में ना तो एंबुलेंस निकल सकती है और ना ही फायर ब्रिगेड का वाहन, इसी प्रकार चेरीताल, उखरी रोड, आगा चौक से बलदेवबाग मार्ग, दमोह नाका चौक तक यही बुरी स्थिति है। यहां पर फ्लाईओवर के नीचे और रोड के किनारे फुटपाथ पर भारी वाहनों को खड़ा किया जा रहा है। यह सभी मार्ग शहर के मध्य के अत्यधिक यातायात दबाव वाले मार्ग है। स्कूली बच्चों से लेकर कई महिलाएं और पुरुष लाखों की संख्या में रोजाना इन सडक़ों का उपयोग करते हैं। लेकिन इन्हें आज तक जाम से राहत नहीं मिल पा रही है।
250 ट्रांसपोर्टर लेकिन फिर भी नहीं मिल रहे प्लॉट
यह भी बड़ी विडंबना है कि नगर निगम ने चंडाल भाटा ट्रांसपोर्ट नगर में 572 प्लॉट का प्रावधान रखा है शहर में कुल 250 वास्तविक ट्रांसपोर्टर होने के बावजूद इन लोगों को प्लांट नहीं मिल पाए। केवल इस एक बात से ही यह समझ आ जा सकता है कि यहां पर प्लॉटों के आवंटन को लेकर कितना फर्जीवाड़ा हुआ और भ्रष्टाचार हुआ। वर्तमान में जिला प्रशासन, नगर निगम प्रशासन, पुलिस प्रशासन अगर ट्रांसपोर्टर की वास्तविक जांच कर ले और यहां पर बसे गैर ट्रांसपोर्टर से भूखंड वापस लेकर इस योजना की मंशा के अनुरूप वास्तविक ट्रांसपोर्टर को आवंटित किए जाते हैं तो शहर की सडक़ों में बैठे बड़ी संख्या में ट्रांसपोटर यहां पर शिफ्ट हो जाएंगे। जिसके कारण शहर की एक बड़ी यातायात व्यवस्था की बड़ा खत्म हो जाएगी।
पुलिस के वाहन तक नहीं निकल पाते
ट्रांसपोटरों के कारण सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र कोतवाली और लॉर्डगंज थाना क्षेत्र के अंतर्गत आता है। कई बार ऐसी स्थिति निर्मित होती है कि इन थानों के वाहनों को भी अगर पेट्रोलिंग में या आपातकाल स्थिति में कहीं जल्दी जाना होता है तो वो भी यहाँ जाम में फंस जाते हैं। हालांकि पुलिस वाहन और उसे पर बजने वाला सायरन देखकर लोग जल्दी रास्ता देने का प्रयास करते हैं लेकिन उसमें भी कई बार अधिक समय लग जाता है। इस बात से भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि आम जनमानस को कितनी प्रताडऩा झेलनी पड़ती है।