जबलपुर (जयलोक)
शताब्दीपुरम उखरी में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के क्रम में रायपुर छत्तीसगढ़ से पधारे अनन्त विभूषित ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के कृपापात्र शिष्य डॉ. ब्रह्मचारी इन्दुभवानन्द महाराज ने बताया कि भगवान को प्राप्त करने के 9 मार्ग हैं। जिसे नवधा भक्ति कहा जाता है इसमें प्रथम भक्ति श्रवण कहलाती है भगवान परब्रह्म परमात्मा कान के माध्यम से भक्त के ह्रदय में जाकर उसके ह्रदय को पवित्र कर देते हैं तथा भगवान की भक्ति सहज में ही प्राप्त हो जाती है। अन्य मार्गों की अपेक्षा भगवान की भक्ति वाला मार्ग अत्यंत सरल एवं सहज होता है। परमपूज्य ब्रह्मचारी श्री चैतन्यानन्द महाराज श्री का भी आज मंगलमय पदार्पण हुआ उन्होंने बताया कि भगवान की प्राप्ति कठिन नहीं है जहां इच्छा उत्पन्न होती है उसके गर्भ में निवास करते हैं। इसलिए भगवान को प्राप्त करने के लिए भगवान की कृपा अपेक्षित होती है भगवान संसाधनों से नहीं कृपा से प्राप्त होते हैं। इस दौरान श्यामनारायण चौबे, संतोष दुबे, जागेंद्र पीपरे आदित्य नारायण प्रेम नारायण, जगन्नाथ साहू, अनिल एवं समस्त शताब्दीपुरम निवासी उपस्थित रहे।
![Jai Lok](https://secure.gravatar.com/avatar/47b82cb127ede5c425d568356794875f?s=96&r=g&d=https://jailok.com/wp-content/plugins/userswp/assets/images/no_profile.png)