संदर्भ: नेताओं में फोटो खिंचाने की जद्दोजहद
@ परितोष वर्मा
जबलपुर (जयलोक), कल आदर्श आचार संहिता हटने के 86 दिनों के लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर शहर की राजनीतिक गतिविधियाँ सरगर्म नजऱ आईं। अवसर था प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के जबलपुर आगमन पर उनके रोड शो और 1389 करोड़ के कार्यों के लोकार्पण और भूमि पूजन का। निश्चित रूप से मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने जबलपुर को इन विकास कार्यों के रूप में बड़ी सौगात दी। मुख्यमंत्री के रोड शो के दौरान कई स्थानों पर छोटे-बड़े मंच लगाए गए थे। इनमें कुछ शासकीय कार्यक्रम के मंच थे कुछ पार्टी स्तर पर लगाए गए मंच थे।
इन मंचों पर एक बात सामान्य रूप से नजर आई कि भाजपा के मंच पर मौजूद नेताओं को फोटो खिंचवाने का एक महत्वपूर्ण गुण या कला आनी चाहिए अन्यथा या तो वह विशिष्ट अतिथियों के साथ खिंच रही फोटो के फ्रेम से बाहर हो जाएंगे या फिर पीछे की लाइन में खड़े रह जाएंगे और उनकी झांकती हुई गर्दन भी फोटो में नहीं आ पाएगी। यह सबसे बड़ी खूबी जिन भाजपा नेता ने सीख ली है वह सर्वाधिक हर मंच की फोटो में प्रमुखता से स्थान बनाकर फोटो खिंचवाने में कामयाब हो जाते हैं। यह विशेष कला है टोहनी चलाने और पैर की एड़ी को ऊँची करने की। अगर आप बाजू वाले पर टोहनी चला कर अपनी जगह बना पाने में कामयाब होना जानते हैं तो आप सामने के फोटो फ्रेम में अच्छे से अपनी जगह बना लेंगे। बस टोहनी का प्रहार और चुभन ऐसी होनी चाहिए कि बाजू वाला नेता खुद ही सरक जाए। दूसरी बड़ी खूबी यह होना चाहिए कि जो लोग वरिष्ठ और विशिष्ट नेताओं के पीछे खड़े हो गए हैं आगे आने का अवसर नहीं मिल पाया, उन्हें अपने पैरों की एड़ी को पूरा उठाकर अंगूठे पर खड़े होकर अपना संतुलन बनाए रखने की कला भी आनी चाहिए। अगर वह ऐसा नहीं कर पाएंगे तो महत्वपूर्ण और विशिष्ट व्यक्तियों के बीच में उनकी झांकती हुई गर्दन फोटो फ्रेम में नहीं आ पाएगी। इस कला का बेहतर प्रदर्शन पूर्व के दिनों में कांग्रेस के मंचों पर बखूबी नजर आता था। भाजपा संगठन के अनुशासित राजनीतिक दलों में शुमार होने के कारण लंबे अरसे तक भाजपा के मंचों पर इस प्रकार के विहंगम दृश्य नजऱ नहीं आते थे। लेकिन अब इस प्रकार के दृश्य भाजपा के मंच पर भी नजऱ आना आम बात हो गई है। अब तो भाजपा में भी नेताओं के आपसी टकराव ने भी टोहनी चलाने और एड़ी उठाने की कला की इस कला के प्रदर्शन को बढ़ावा दे दिया है जो मंच पर कई बार सार्वजनिक रूप से दिखलाई भी देने लग जाता है। संभवत: आने वाले समय में यह बिंदु भाजपा के प्रशिक्षण शिविरों में उठाया भी जाए ताकि मंच की गरिमा और वरिष्ठों का सम्मान करने की संस्कारधानी की परंपरा बनी रहे।
इशारे पर हो जाता है काम
यह भी देखने में सामान्यत: आ जाता है कि स्थानीय नेताओं के साथ चलने वाले लोग उन्हें मंच के सामने से आंखों ही आंखों में इशारा कर देते हैं कि वह वरिष्ठ और विशिष्टों के साथ खिंच रही फोटो के फ्रेम में नहीं आ पा रहे हैं। बस इशारा मिलते ही इस अद्भुत कला का प्रदर्शन और विहंगम दृश्य मंच पर नजर आने लगता है और शुरू हो जाता है टोहनी गड़ाने और एड़ी उठाने का प्रदर्शन।
