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भ्रष्टाचारियों की जानकारी अब होगी सार्वजनिक

भोपाल (जयलोक)
भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और लोगों को सुशासन देने के लिए और सरकारी काम करने की एवज में सुविधा शुल्क मांगने वाले कर्मियों पर नकेल कसने के लिए प्रदेश सरकार सरगर्मी से कार्य करती दिखाई देती है। इसी दिशा में अब कोई अधिकारी-कर्मचारी भ्रष्टाचार करता है, तो उसके भ्रष्टाचार की कुंडली पोर्टल पर दिखेगी। गौरतलब है कि भ्रष्टाचार के मामलों में फंसे अधिकारियों के बारे में आरटीआई में जानकारी लेना अभी तक मुश्किल होता था, लेकिन अब ऐसे मामलों में फंसे अफसर जिनके विरुद्ध डीई विभागीय जांच चल रही है, सभी की जानकारी डिपार्टमेंट के पोर्टल पर डालना अनिवार्य होगा। इस संबंध में जीएडी ने सभी विभागों को निर्देश दिए हैं। इस मामले में मुख्य सचिव 15 मई के बाद इसकी समीक्षा करेंगी। गौरतलब है कि भ्रष्टाचार अथवा अनियमितता में फंसे अधिकारियों तथा कर्मचारियों के विरुद्ध चल रही डीई, लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू द्वारा विभागीय जांच प्रारंभ करने की गई अनुशंसा को अफसर उजागर नहीं करते, जिसके कारण विभागों में भ्रष्टाचार, अभियोजना आदि के सैकड़ों मामले लटके रहते हैं। अब डीई के मामले सार्वजनिक होने से ऐसे अफसरों के नामों का खुलासा हो सकेगा और लोकायुक्त तथा ईओडब्ल्यू को कार्रवाई करने का मौका मिल सकेगा।
31 तक विभागीय जाँच का निर्देश
सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी ने सभी डिपार्टमेंट को निर्देश जारी करते हुए कहा कि कार्यालय में लंबित विभागीय जांच (डीई) पोर्टल पर अनिवार्य रूप से ऑनलाइन की जाए। निर्देशों में कहा गया है कि ऐसे सेवानिवृत्त शासकीय सेवक, जिनके विरुद्ध विभागीय जांच लंबित है या 31 मई तक विभागीय जांच की कार्यवाही प्रारंभ की जाए। ऐसे प्रकरणों में डीई की कार्यवाही अभियान चलाकर पूर्ण की जाए। ऐसे सभी प्रकरणों में जहां संबंधित सेवानिवृत्त अधिकारी या कर्मचारी के विरुद्ध शास्ति अधिरोपित की जाना हो, के लिए मंत्रिमंडल संक्षेपिका 31 अगस्त 2024 तक मुख्य सचिव कार्यालय में अनिवार्य रूप से भेजी जाए।
होती है मुश्किल
सरकारी कर्मचारी द्वारा किए गए भ्रष्टाचार या फिर अन्य तरह के गैर कानूनी कामों के मामले में होने वाली जांच और अन्य तरह की कार्रवाई की जानकारी आम आदमी को मिलना तो दूर संबंधित व्यक्ति  को भी बामुश्किल से मिल पाती है। इसके लिए उसे कई-कई दिनों तक  अफसरों के चक्कर काटना पड़ते हैं। हद तो यह है कि अफसर सूचना के अधिकार तक में जानकारी देने से बचते रहते हैं। यही नहीं इस तरह के मामलों में अफसर अपने चहेते अफसरों की जांच लंबित रखकर उन्हें उपकृत करने में पीछे नहीं रहते हैं।

Jai Lok
Author: Jai Lok

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