1498-1547, यानी कि सोलहवीं शताब्दी की कृष्णभक्त और सुप्रसिद्ध कवयित्री मीराबाई ने कृष्णभक्ति के स्फुट पदों की रचना की. मीरा को भगवान कृष्ण की दीवानी के रूप में जाना जाता है. वह न सिर्फ संत थी बल्कि कृष्ण भक्ति शाखा की मुख्य कवयित्री और भगवान श्री कृष्ण की अनन्य प्रेमिका भी थीं. गौरतलब है, कि मीराबाई दुनिया के सबसे बड़े प्रेम स्वरूप श्रीकृष्ण की सबसे बड़ी साधक के रूप में जानी जाती हैं. उन्हें संसारिक मोह-माया से कोई लगाव नहीं था, वह हमेशा सांसारिक सुखों से दूर रहीं. कृष्ण-दीवानी मीराबाई ने श्रीकृष्ण के सुंदर स्वरूपों का वर्णन करते हुए कई सुंदर कविताओं की रचना की. उन्होंने अपनी भक्ति से पूरी दुनिया को भक्ति का महत्व बताया, हालांकि इसके लिए उन्हें काफी जिल्लतों का भी सामना करना पड़ा, लेकिन फिर भी मीराबाई की भक्ति कृष्ण के लिए कभी कम न हुई और यही वजह है कि आज भी मीराबाई को श्रीकृष्ण की सबसे बड़ी प्रेम साधिका के रूप में जाना जाता है. आइए पढ़ते हैं विश्व की सबसे बड़ी प्रेम साधिका मीराबाई के चुनिंदा दोहे अर्थ के साथ-
मनमोहन कान्हा विनती करूं दिन रैन, राह तके मेरे नैन- मीराबाई
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