जबलपुर (जयलोक)
लोकसभा चुनाव के परिणामों ने जो आंकड़े सामने लाकर रखे हैं उससे हर बिंदु पर राजनीतिक दलों को हुए नफा नुकसान का आंकलन और उसकी समीक्षा की जा रही है। हाल ही में जबलपुर की राजनीति में एक बड़ा फेरबदल हुआ था जिसमें कांग्रेस के खाते में विधानसभा चुनाव के बाद अकेले निर्वाचित जनप्रतिनिधि बचे महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे।
महापौर अन्नू का सामाजिक ताना बाना शुरू से मजबूत रहा है। नगर की अधिकांश बड़ी सामाजिक संस्थाओं से उनका जुड़ाव रहा है। बहुत बड़ी संख्या में लोग सीधे जगत बहादुर सिंह अन्नू से जुड़े भी हैं। महापौर अन्नू के भाजपा में जाने से कांग्रेस को इसलिए भी अधिक नुकसान हुआ है क्योंकि महापौर अन्नू के साथ मतों के रूप में जो समर्थन था वो भी अब भाजपा को प्राप्त हुआ है। पिछली बार कांग्रेस के प्रत्याशी वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा को 3,71,710 मत प्राप्त हुए थे। लेकिन इस बार यह अंतर और बढ़ गया है। इस बार कांग्रेस को 3,03,459 मत प्राप्त हुए है। मोटे तौर पर 67 हजार मतों का यह अंतर महापौर और कांग्रेस के नगर अध्यक्ष जगत बहादुर सिंह के भाजपा में चले से भी बढ़ा है। महापौर के साथ-साथ जगत बहादुर सिंह कांग्रेस के नगर अध्यक्ष भी थे और उनके भाजपा में चले जाने से नगर संगठन ठीक चुनाव के पहले बिखर गया था। यहां तक की नगर संगठन में बूथ और ब्लॉक स्तर तक कोई नियुक्ति नहीं हुई थी ना ही कोई पदाधिकारी थे जो चुनाव के ठीक पहले सक्रियता से कार्य कर सकते।
अन्नू के साथ बड़ी संख्या में उनके समर्थक भी भाजपा की विचारधारा से जुड़े और उन्होंने भी बीजेपी ज्वाइन की। इस मामले में पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के समर्थकों ने अग्रणी भूमिका निभाई। इनके अलावा शहर के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले समर्थकों ने भी जगत बहादुर सिंह अन्नू के आवाहन पर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर चुनाव के दौरान भाजपा के पक्ष में कार्य किया। वहीं महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू खुद भी पूरे चुनाव में अपनी सक्रियता बनाए हुए थे और कांगे्रस के प्रत्याशी आशीष दुबे को विजयी बनाने में जी-जान से जुटे थे।
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