भोपाल (जयलोक)
लोकसभा चुनाव की आचार संहिता हटने के साथ ही मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मिशन मोड में काम में जुट गए हैं। प्रदेश में सर्वांगीण विकास के लिए मुख्यमंत्री ने प्लान बनाया है। इस प्लान को अमलीजामा पहनाने के लिए मंत्रियों को जिले आवंटित किए जाएंगे। जिलों की निगरानी और संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों को सामने लाने के लिए मंत्रियों को जिलों का प्रभारी बनाया जाता है। उनका जिला मुख्यमंत्री के संज्ञान में है। प्रभारी मंत्री विकास परियोजनाओं और अन्य मुद्दों की समीक्षा के लिए मासिक बैठकों की अध्यक्षता करते हैं और एक तरह से वे जिले के प्रमुख होते हैं। सूत्रों का कहना है कि 1 जुलाई से शुरू होने वाले मानसून सत्र से पहले मंत्रियों को जिलों का प्रभार दे दिया जाएगा। गौरतलब है कि प्रभारी मंत्री की मंजूरी आईएएस अधिकारियों, न्यायपालिका सेवाओं के अधिकारियों और राज्य सचिवालय में अधिकारियों और कर्मचारियों को छोडकऱ , सरकारी कर्मचारियों के स्थानांतरण के लिए आवश्यक होती है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का भी कहना है कि सरकार बने छह महीने हो गए, आधा समय लोकसभा चुनाव में निकल गया। मंत्रियों को उचित समय पर जिलों का प्रभार सौंप देंगे। सरकार प्रदेश के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। उल्लेखनीय है कि दिसंबर में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपर मुख्य सचिवों को संभागों का प्रभार सौंपा था। इसका मकसद प्रशासनिक कामकाज में कसावट लाना था। मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों अपर मुख्य सचिवों के साथ बैठक कर उनके प्रभार के संभागों में विकास कार्यों की स्थिति की समीक्षा करते हुए उनके नए एक्सपीरिएंस को लेकर फीडबैक लिया था। उन्होंने कहा था कि सभी अपर मुख्य सचिव अगले महीने जिलों में जाकर विकास कार्यों की समीक्षा करें। वे जिलों में कलेक्टरों से चर्चा कर विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन की जमीनी हकीकत का जायजा लें। गौरतलब है कि अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान को भोपाल संभाग, विनोद कुमार को जबलपुर, जेएन कंसोटिया को रीवा संभाग, डॉ. राजेश राजौरा को उज्जैन संभाग, एसएन मिश्रा को सागर, मलय श्रीवास्तव को इंदौर संभाग, अजीत केसरी को नर्मदापुरम संभाग, अशोक बर्णवाल को शहडोल, मनु श्रीवास्तव को चंबल संभाग और केसी गुप्ता को ग्वालियर संभाग का प्रभार सौंपा गया है।
