प्रहलाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते
अभी तक महाकौशल के ये थे केन्द्रीय मंत्री
राकेश सिंह
भारतीय जनता पार्टी के लगातार चार बार जबलपुर से राकेश सिंह सांसद चुने गए लेकिन उन्हें भी केन्द्रीय मंत्री नहीं बनाया गया।
सेठ गोविंद दास
1952 से लेकर 1974 तक जबलपुर के सांसद रहे सेठ गोविंद दास, संसद के पितामाह भी थे लेकिन केन्द्रीय मंत्री नहीं बने।
@सच्चिदानन्द शेकटकर
जबलपुर (जयलोक)। तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने वाले नरेंद्र मोदी के जम्बो मंत्रिमंडल ने कल शपथ ले ली। इस मंत्रिमंडल में मध्य प्रदेश की सभी लोकसभा की 29 सीटें पहली बार भारतीय जनता पार्टी ने जीती हैं। कल हुए मंत्रिमंडल के गठन में मध्य प्रदेश से तीन कैबिनेट मंत्री और दो राज्य मंत्री बनाए हैं। इन मंत्रियों में चार मंत्री मध्य भारत क्षेत्र के बनाए गए हैं। वहीं एक मंत्री बुंदेलखंड से बनाया गया है। लेकिन मध्य प्रदेश के एक प्रमुख अंचल महाकौशल से इस बार एक भी मंत्री नहीं बनाया गया है। इससे साफ होता है कि मध्य प्रदेश में इस बार क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने को प्राथमिकता नहीं दी गई इसीलिए महाकौशल को पूरी तरह से मंत्रिमंडल के गठन में उपेक्षित कर दिया गया है। यह उम्मीद थी कि मंडला के वरिष्ठ आदिवासी नेता भग्गन सिंह कुलस्ते फिर से मंत्री बनेंगे लेकिन इस बार उनको भी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है। इस तरह पहली बार महाकौशल को केन्द्रीय मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व से शून्य कर दिया है। जबलपुर से तो किसी के मंत्री बनने का प्रश्न ही नहीं उठता है। क्योंकि आजादी के बाद से ही आज तक जबलपुर से कभी कोई केंद्रीय मंत्री नहीं बन पाया है। यहां तक की लगातार चार बार सांसद रहे राकेश सिंह को भी केंद्र में मंत्री नहीं बनाया गया।
पिछले मोदी मंत्रिमंडल में महाकौशल के कद्दावर नेता प्रहलाद पटेल केंद्रीय मंत्री रहे। पहले तो वे स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री बनाए गए थे लेकिन बाद में उन्हें फेरबदल में दूसरे विभागों का राज्य मंत्री बनाया गया था। वहीं मंडला से वरिष्ठ आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते भी पिछली मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं।
केंद्र में मंत्री रहे प्रहलाद पटेल को इस बार हुए विधानसभा के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा का चुनाव लड़वाकर प्रदेश में सक्रिय किया और उन्हें प्रदेश सरकार में मंत्री भी बना दिया गया है। मंडला के फग्गनसिंह कुलस्ते को भी भाजपा ने विधानसभा का चुनाव लड़वाया लेकिन वह चुनाव हार गए। भाजपा ने उन्हें मंडला लोकसभा से फिर से उम्मीदवार बनाया और इस बार वे फिर चुनाव जीत गए। लेकिन इस बार भाजपा ने उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी है।
छिंदवाड़ा की ऐतिहासिक जीत भी नजर अंदाज हो गई
भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों को जीतकर एक नया कीर्तिमान बनाया। वहीं एनडीए को बहुमत दिलाने में भी मध्य प्रदेश ने बड़ा योगदान दिया है। महाकौशल की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट भी भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार जीती है। छिंदवाड़ा सीट आजादी के बाद से लेकर अभी तक कांग्रेस का मजबूत गढ़ बनी रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ कई बार केंद्र में मंत्री भी रहे हैं। कमलनाथ ने 9 तथा उनकी पत्नी अलका नाथ तथा बेटे नकुलनाथ इन तीनों ने मिलकर छिंदवाड़ा में लोकसभा के 11 चुनाव जीते हैं। केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने इस बार खुद ही यह रणनीति बनाई थी कि महाकौशल की कांग्रेस की सबसे मजबूत छिंदवाड़ा की लोकसभा की सीट हर हाल में भाजपा के लिए जीतना है। भाजपा के आक्रामक चुनाव प्रचार अभियान ने छिंदवाड़ा में पहली बार ऐतिहासिक जीत हासिल दर्ज करने का कीर्तिमान बना दिया। यह उम्मीद थी कि केंद्रीय नेतृत्व छिंदवाड़ा की ऐतिहासिक जीत को महत्व देगा लेकिन मंत्रिमंडल के गठन में ऐसा कुछ दिखाई नहीं दिया।
आशीष दुबे को भी मंत्री बनाया जा सकता था
यदि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने महाकौशल को केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान देने के लिए गंभीरता से विचार किया होता तो जबलपुर से पहली बार निर्वाचित लोकसभा के सांसद आशीष दुबे को भी केंद्रीय मंत्री बनाया जा सकता था। आशीष दुबे देश भर में भारतीय जनता पार्टी के जीते सांसदों में उन 16 सांसदों की सूची में शामिल हैं जिन्होंने सबसे ज्यादा वोटों से जीतने का कीर्तिमान बनाया है। वहीं मध्य प्रदेश के भी जो पाँच प्रत्याशी सबसे ज्यादा वोटो से जीते हैं उनमें आशीष दुबे भी शामिल हैं। यह सही है की आशीष दुबे पहली बार सांसद चुने गए हैं। लेकिन कल जो मोदी मंत्रिमंडल का गठन हुआ है उसमें कई मंत्री ऐसे बने हैं जो पहली बार चुने गए हैं। इतना ही नहीं पंजाब में तो कांग्रेस से आए एक नेता को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया और वह चुनाव भी हार गये लेकिन उनके हारने के बाद भी भाजपा ने कल केंद्रीय मंत्री बनाकर सबको चौंका दिया।
जबलपुर से आज तक कोई केंद्रीय मंत्री बना ही नहीं
मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों में अपना स्थान रखने वाले और देश की आजादी में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले जबलपुर शहर का यह दुर्भाग्य रहा है कि आजादी के बाद से लेकर आज तक जबलपुर से कोई सांसद केंद्र में मंत्री नहीं बना। यहां तक की संसद के पितामह रहे सेठ गोविंद दास को भी केंद्र में मंत्री नहीं बनाया गया। कांग्रेस ने तो जबलपुर के किसी भी संसद को कभी केंद्रीय मंत्री नहीं बनाया। वहीं भारतीय जनता पार्टी ने भी भाजपा के महाकौशल के वरिष्ठ नेता जबलपुर के सांसद बाबूराव परांजपे और श्रीमती जयश्री बनर्जी को भी मंत्री बनाने की जरूरत नहीं समझी। सबसे आश्चर्यजनक तो यह रहा कि जबलपुर से लगातार चार बार चुने गए भाजपा के सांसद राकेश सिंह को भी भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने मंत्री बनाने की कभी जरूर ही नहीं समझी।
संभाग के बाकी जिलों से केन्द्रीय मंत्री बन चुके हैं
जबलपुर को छोडक़र जबलपुर संभाग के सभी जिले ऐसे हैं जिन्हें कभी न कभी केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान मिल चुका है। सबसे पहले नरसिंहपुर से कांग्रेस के नीति राज सिंह चौधरी केन्द्रीय मंत्री बने थे। सिवनी से कांग्रेस के गार्गी शंकर मिश्रा और उनके बाद सुश्री विमल वर्मा तथा छिंदवाड़ा से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केंद्रीय मंत्रिमंडल में दशकों तक प्रतिनिधित्व करते रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी ने भी बालाघाट से निर्वाचित प्रहलाद पटेल को केंद्र में मंत्री बनाया गया था। वहीं मंडला के भाजपा के वरिष्ठ आदिवासी नेता फग्गनसिंह तो अभी तक केंद्रीय मंत्री रहे हैं। लेकिन जबलपुर संभाग का मुख्यालय जबलपुर जिला केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह पाने आजादी के बाद से ही अभिशप्त रहा और अभी भी अभिशप्त बना हुआ है।