भोपाल (जयलोक)
मध्यप्रदेश में जंगली हाथियों के प्रबंधन के लिए बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व नें पहल की है। बाघों के लिए विश्व प्रसिद्ध बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में जंगली हाथियों की मूवमेंट के बाद टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने जंगली हाथियों के मूवमेंट वाले क्षेत्रों में ईपीटी की खुदाई कराई है। ईपीटी का मतलब एलीफेंट प्रुफ ट्रेंच है। जंगली हाथी जंगल के साथ गांव के आसपास भी घूमते हुए ग्रामीणों को दिखाई देते हैं। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में जंगली हाथियों की संख्या लगभग 65 हो गई है। जंगली हाथी बीटीआर के अलग-अलग क्षेत्रों में विचरण करते हैं। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के उपसंचालक पीके वर्मा ने बताया कि वन कैंपों के चारों तरफ ईटीपी की खुदाई कराई गई है। इसके कारण हाथी वन चौकी और वन कैंपों में नहीं पहुंचते हैं। यह पहल टाइगर रिजर्व में सफल हुई है। टाइगर विचरण वाले सभी कैंपों में ईपीटी खुदाई कराई जाएगी। चट्टान वाले कैंपों में सोलर पावर फैंच भी लगाया जाएगा।
अक्सर उत्पात मचाते हैं हाथी- बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के जंगलों में जंगली हाथियों की मूवमेंट बनी रहती है और कुछ क्षेत्रों में लगातार जंगली हाथी उत्पाद भी मचाते हैं। जंगली हाथी बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की वन चौकी और कैंप में नुकसान भी करते हैं। जंगली हाथियों के दहशत से टाइगर रिजर्व के कर्मचारी और सुरक्षा श्रमिक कैंप पर चौकी में नहीं रहते हैं। लेकिन प्रबंधन के ईपीटी की खुदाई कराने से हाथियों का वन चौकी, कैंप तक पहुंच पाना संभव नहीं है।
ईपीटी की चौड़ाई और गहराई- बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के 18 कैंपों में चारों तरफ तीन मीटर चौड़ी और तीन मीटर गहरी लाइन खोदी जाती है। इसकी मिट्टी अंदर की तरफ रखी जाती है? और सुरक्षा श्रमिक निकलने के लिए बांस का पटरा बना लेते हैं। रात के समय पटरा को अंदर रख लेते हैं। जिससे कोई भी हाथी कैंप तक नहीं पहुंच सकता है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में जंगली हाथियों से बचाव के लिए मध्य प्रदेश में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से ही ईपीटी की खुदाई की शुरुआत की गई है और टाइगर रिजर्व प्रबंधन की माने तो पहल सफल हुई है। हाथियों का कैंप और वन चौकी तक पहुंच पाना संभव नहीं है। जिससे कि वन चौकी में रहने वाले सुरक्षा श्रमिक सुरक्षित तो रहते हैं। और हाथियों की मूवमेंट की जानकारी भी वायरलेस के माध्यम से कंट्रोल रूम तक पहुंचाते हैं। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में इन दोनों चार से पांच झुंडों में 65 जंगली हाथी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में विचरण कर रहे हैं। कुछ हाथी अकेले भी घूम रहे हैं। टाइगर रिजर्व क्षेत्र में हाथियों की बढ़ती संख्या को लेकर ईपीटी खुदाई की पहल की गई है।