एक हुआ निलंबित तो दूसरे पर शुरू हुई विभागीय जाँच
जबलपुर (जयलोक) नेताजी सुभाष चंद्र बोस केन्द्रीय कारागार में जेल प्रहरी नशे के सौदागर बने हुए हैं। चोरी छुपे गाँजा, तम्बाकू, सिगरेट ले जाने का खेल अभी भी चल रहा है। हालंाकि जेल प्रबंधन ने हाल ही में इस मामले में चार जेल प्रहरियों को बर्खास्त किया है। इसके पूर्व दो जेल प्रहरियों को भी बर्खास्त किया जा चुका है लेकिन इसके बाद भी जेल प्रहरियों में कार्रवाही का खौफ नहीं देखा जा रहा है। इसी कड़ी में फिर एक बार दो जेल प्रहरियों के पास से गाँजा, तम्बाकू और सिगरेट पकड़ी गई है। जिनमें से एक जेल प्रहरी को निलंबित कर दिया गया है तो वहीं दूसरे जेल प्रहरी को नोटिस देकर विभागीय कार्रवाही की जा रही है।
जेलर मदन कमलेश ने बताया कि जिन दो जेल प्रहरियों पर कार्रवाही की गई है उनके नाम मुकेश सिंधे और सुशील खेमरिया है। दोनों को कल शाम सिगरेट, गाँजा और तम्बाकू ले जाते हुए पकड़ा गया है। जेलर मदन कमलेश का कहना है कि दोनों के खिलाफ पूर्व से ही नशीले पदार्थ जेल में ले जाने की शिकायतें मिल रहीं थी। जिसके बाद जेल प्रबंधन सतर्क हुआ और दोनों जेल प्रहरियों पर नजर रखे हुए था। कल शाम 6 बजे दोनों जेल प्रहरी ड्यूटी पर पहुँचे, यहां दोनों पर संदेह हुआ जहाँ दोनों की तलाशी ली गई। तलाशी के दौरान मुकेश के पास से दो गांजे की पुडिय़ा, तंबाकू, सिगरेट और राजश्री मिला। तो वहीं दूसरे जेल प्रहरी सुशील के पास से दो पैकेट तम्बाकू मिले। जेलर ने बताया कि दोनों जूते, ड्रेस के अंदर और प्राइवेट पार्ट के पास नशीली सामग्री छुपाकर ले जा रहे थे। कहा जा रहा है कि दोनों प्रहरियों के खिलाफ थाने में शिकायत भी की जा सकती है।
लंबे समय से चल रहा था नशे का खेल
जेलर मदन कमलेश ने बताया कि दोनों जेल प्रहरी पूर्व में कई बार नशीली सामग्री जेल के अंदर ले जा चुके हैं। इसके लिए इन्हें मोटी रकम भी मिला करती थी। ये मोटी रकम कैदियों के परिवार वाले दिया करते थे। इस प्रकार की शिकायतें कई दिनों पूर्व से हीं मिल रहीं थी। इन शिकायतों के बाद जेल प्रशासन ने अब जेल में जेल प्रहरियों की ही तलाशी लेनी शुरू कर दी है।
तलाशी लेने में जेल प्रबंधन दिखा रहा सख्ती
जेल प्रहरियों के पास से मिल रही नशीली सामग्री की शिकायतों के बढ़ते मामलों को देखते हुए अब जेल प्रबंधन जेल प्रहरियों की तलाशी में सख्ती बरत रहा है। ड्यूटी पर आने वाले सभी जेल प्रहरियों की तलाशी ली जा रही है। वहीं जिन जेल प्रहरियों की शिकायतें मिल रहीं हैं उन पर नजरें रखी जा रही है।
सेंट्रल में गैंगवार की आशंका
आमतौर से शांत रहने वाली जबलपुर सेंट्रल जेल में बीते कुछ माह से विवाद पक रहा है। पिछले महीने जहां दो शातिर बदमाशों के बीच झूमा झपटी हुई थी, वहीं उसी विवाद में किसी बड़े काण्ड के घटित होने की आंशका जेल के अंदर बनी हुई थी। जिसके चलते जेल प्रशासन लम्बे समय से अलर्ट मोड पर है। संभावित गैंगवार को रोकने के लिये कैदियों की बैरक शिफ्टिंग और दूसरे जेल भेजना का दौर जारी है। गैंगवार रोकने के लिए तीन और बदमाशों को दूसरे जिलों की जेल में शिफ्ट किया गया है। एक बदमाश को रतलाम, दूसरे को उज्जैन व एक अन्य को इंदौर सेंट्रल जेल भेजा गया है। इससे पहले एक गैंगस्टर का ट्रांसफर बड़वानी जेल में किया जा चुका है। गौरतलब है कि केंद्रीय जेल में बंद गैंगस्टर छोटू चौबे और संजय सारंग गम्भीर मामलों में सजा काट रहे है। 13 मई की सुबह उनमें किसी बात को लेकर झूमाझटकी हुई थी। इस बीच संजय सारंग ने छोटू चौबे के सिर पर लोहे की धारदार पट्टी से वार किया था। उसे सिर पर चोट आई थी। जेल के भीतर हुई इस घटना के बाद से उन्हें अलग-अलग बैरक में रखा गया था। बाद में छोटू को बड़वानी जेल भेज दिया गया था। जेल में हुई मारपीट के बाद से जेल अफसरों की निगाहें संजय सारंग पर थीं। वह अपनी गैंग के गुर्गों के साथ जेल में रहता था। इसलिए उसे उज्जैन जेल में शिफ्ट किया गया है। उसकी गैंग के गुर्गों पर भी नजर रखी जा रही है। इधर, जेल में बंद बदमाश रूपेंद्र साहू अपनी बैरक में रहने वालों के साथ गैंग बना रहा था। आशीष सोनी भी ऐसी गतिविधियों में शामिल मिला। इसलिए रूपेंद्र को रतलाम और आशीष को इंदौर जेल में शिफ्ट किया गया है।
