जबलपुर (जयलोक)। समरसता सेवा संगठन के द्वारा संत सेन जयंती के उपलक्ष्य में विचार गोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में श्री कैलाश चंद्र जी एवं मुख्य वक्ता के रूप में श्री अभिजात कृष्ण त्रिपाठी, श्री गोविंद अग्रवाल उपस्थित हुए । संगोष्ठी को संबोधित करते हुए श्री कैलाशचंद्र जी कहा कि समदर्शी एवं समभावी होना ही संतत्व का बैशिष्ट होता है अर्थात संत सभी को समान रूप से देखते हैं सभी के प्रति समान भाव रखते हैं प्रकृति के प्रति समान भाव रखते हैं और सभी को एक साथ लेकर समाज के उत्थान हेतु कार्य करते हुए अपने उपदेश सभी को देते हैं एवं जो समदर्शी एवं समभावी होता है वही समरस होता है सभी संतजनों ने जो उपदेश दिए उन्हें आत्मसात करते हुए संपूर्ण मानव समाज के लिए काम करना ही समरसता का प्रमुख उद्देश्य है संत सेन जी ने अपने भजनों के माध्यम से मानव समाज को उपदेश दिए उन्हें आत्मसात करना एवं सभी मनुष्यों तक पहुंचाना समरस समाज के लिए आवश्यक है जिसके लिए समरसता सेवा संगठन विगत 1 वर्ष से मेहनत करते हुए लगभग 30 से 40 जयंतियां मना चुका है सभी समाज के लोगों को एक माला में बांधने का काम समरसता सेवा संगठन कर रहा है जिससे निश्चित ही भविष्य में समरसभारत एवं समर्थ भारत का निर्माण संभव है। श्री कैलाश चंद्र जी ने कहा कि किसी कार्य को व्यवस्थित तरीके से करना एवं आगे करते रहना लगातार करते जाना ही साधारण कार्य को असाधारण बना देता है एवं जब कार्य असाधारण होता है तो वह विशेष व्यक्तियों द्वारा ही किया जाता है वह विशेष कार्य समरसता सेवा संगठन के सभी लोग कर रहे हैं। मुख्य अतिथि श्री अभिजात कृष्ण त्रिपाठी ने कहा कि संत महात्माओं ने अपने विचारों का जो प्रादुर्भाव किया उससे संपूर्ण मानव समाज ने ज्ञान प्राप्त किया परंतु क्या संतजनों ने किसी समाज विशेष के लिए अपने विचार प्रकट किए हैं ऐसा नहीं है हमारे देश के सभी समाज के संतजनों ने सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय के आधार पर कार्य करते हुए समाज को अपने उपदेश दिए हैं सारे संतजनो के विचार सभी समाज के व्यक्तियों तक पहुंचे और यही समरसता सेवा संगठन का प्रमुख उद्देश्य है जिसमें वह सफल भी रहा है विगत वर्ष में सुव्यवस्थित एवं सही तरीके से समरसता सेवा संगठन द्वारा जो आयोजन किए गए हैं वे समरस समाज की स्थापना में मील क्या पत्थर स्थापित करेंगे जिसका स्वरूप आज संगोष्ठी में देख रहे हैं।