सरकार की अपेक्षा पर खरी नहीं उतरी हेरिटेज शराब
भोपाल (जयलोक)। उत्पादन, टेस्टिंग और नई शराब नीति पर खरा उतरने के बाद महुए से बनी हेरिटेज शराब ‘मोन्ड’ और ‘मोहुलो’ को सरकार ने बिक्री के लिए बाजार में उतार है। लेकिन कुछ दिनों बाद ही हेरिटेज शराब से सुरा प्रेमियों का मोहभंग हो गया है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि छह महीने में सिर्फ 20 लाख की हेरिटेज शराब की बिक्री हुई है। अलीराजपुर प्लांट से 16 लाख रुपए और डिंडोरी प्लांट से 4 लाख रुपए की शराब की बिक्री हुई। आबकारी विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सरकार ने हेरिटेज शराब का उत्पादन एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर अलीराजपुर और डिंडोरी में शुरू किया गया है। सुरा प्रेमियों को भी इस हेरिटेज शराब का इंतजार था। सरकार ने भी इसको बाजार में उतारने से पहले इसको पूरी तरह परखा है। इसके निर्माण और टेस्टिंग पर विशेष ध्यान दिया गया। सारे पैमाने पर खरा उतरने के बाद यह शराब बिक्री शुरू हुई। लेकिन सुरा प्रेमियों पर नहीं हेरिटेज शराब का सुरूर नहीं चढ़ पाया है।
छह महीने में 20 लाख की बिक्री
मप्र सरकार ने पूरी कोशिश की, लेकिन प्रदेश के सुरा प्रेमियों पर महुए से निर्मित हेरिटेज शराब का सुरूर नहीं चढ़ पाया। प्रदेश के 2 जिलों अलीराजपुर और डिंडोरी में हेरिटेज शराब का उत्पादन किया जा रहा है। छह महीने में सिर्फ 20 लाख की हेरिटेज शराब की बिक्री हुई। अलीराजपुर प्लांट से 16 लाख रुपए और डिंडोरी प्लांट से 4 लाख रुपए की शराब की बिक्री हुई। हेरिटेज शराब की बिक्री के इन आंकड़ों ने सरकार को चिंता में डाल दिया है, क्योंकि सरकार की योजना हेरिटेज शराब को मप्र के यनीक ब्रांड के रूप में विकसित कर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी ब्रांडिंग करने की है, लेकिन फिलहाल यह सिरे चढ़ती नजर नहीं आ रही है। अलीराजपुर में मोंड और डिडोंरी में मोहुलो ब्रांड से हेरिटेज शराब का उत्पादन हो रहा है। हेरिटेज शराब के 180 मिलीलीटर क्वार्टर की कीमत 200 रुपए और 750 मिलीलीटर बॉटल की कीमत 800 रुपए है। दरअसल, तत्कालीन शिवराज सरकार ने जनवरी, 2022 में हेरिटेज मदिरा नीति को मंजूरी दी थी। हेरिटेज मदिरा नीति में अलीराजपुर और डिंडोरी में महुए से हेरिटेज शराब निर्माण के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने का प्रावधान किया गया है। एक साल की कवायद के बाद पहलें अलीराजपुर और फिर डिंडोरी की डिस्टलरी से हेरिटेज शराब का उत्पादन शुरू हो पाया। शराब का निर्माण आदिवासी स्व सहायता समूह कर रहे हैं। हेरिटेज शराब की बिक्री पर्यटन विकास निगम के बार में और एंबी वाइन्स की शॉप पर की जा रही है।
शराब में मिथाइल एल्कोहल नहीं
आबकारी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह फूलों से बनने वाली दुनिया की एकमात्र शराब है। हेरिटेज शराब का निर्माण महुए के फूलों से किया जाता है। इस शराब में मिथाइल एल्कोहल नहीं होता, जो शरीर को नुकसान पहुंचाता है। अन्य सभी प्रकार की शराब में मिथाइल एल्कोहल होता है। सरकार का सबसे ज्यादा फोकस शराब की शुद्धता पर है। इसके निर्माण में किसी भी तरह के कैमिकल का प्रयोग नहीं किया जा रहा है। सरकार ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हेरिटेज शराब की ब्रांडिंग की योजना बनाई है। सरकार का मानना है कि महुए से शराब का निर्माण सिर्फ मप्र में किया जा रहा है। यदि शराब की ठीक से ब्रांडिंग की जाए, तो हेरिटेज शराब देश-दुनिया में मप्र की पहचान बन सकती है। सरकार ने शराब बनाने वाले स्व सहायता समूह को एक साल तक वैट से और पांच साल तक एक्साइज ड्यूटी से छूट दी है। साथ ही उद्योग विभाग की अपात्र सूची से शराब को बाहर किया गया है, ताकि स्व सहायता समूहों को औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन के अंतर्गत अनुदान मिल सके। प्रमुख सचिव, वाणिज्यिककर विभाग अमित राठौर का कहना है कि हेरिटेज शराब को बढ़ावा देने के लिए सरकार प्रयास कर रही है। जिन भी स्थानो पर हेरिटेज शराब की बिक्री की जा रही है, उन स्थानो पर ऐसी व्यवस्था करेंगे की लोगो को इसके बारे में जानकारी मिल जाए।
पायलट प्रोजेक्ट के तहत उत्पादन
दरअसल, सरकार ने जनवरी, 2022 में हेरिटेज मदिरा नीति को मंजूरी दी थी। हेरिटेज मदिरा नीति में अलीराजपुर और डिंडोरी में हेरिटेज शराब निर्माण के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने का प्रावधान किया गया है। इसके बाद से हेरिटेज शराब के निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। हर स्तर पर टेस्टिंग के बाद जब सरकार पूरी तरह से संतुष्ट हो गई, तो अब जाकर अलीराजपुर और डिंडोरी की डिस्टलरी से शराब का व्यावसायिक उत्पादन शुरू हो पाया है। शराब का निर्माण आदिवासी स्व सहायता समूह कर रहा है। आबकारी विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सरकार ने हेरिटेज शराब का उत्पादन एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर किया है।