जबलपुर (जयलोक)
शिक्षा माफिया के खिलाफ देश में पहली बार जबलपुर जिला प्रशासन ने बड़ी कार्यवाही को अंजाम दिया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशा अनुसार जिला प्रशासन शिक्षा माफिया द्वारा मुनाफाखोरी के खेल में खराब की गई व्यवस्था को सुधारने का कार्य कर रहा है। नय सत्र की शुरुआत के दौर में यह संदेश देने का प्रयास किया गया की शासन पर कार्यवाही न करने का दबाव बनाने के लिए निजी स्कूलों ने अनिश्चितकाल के लिए स्कूल नहीं खोलने का निर्णय किया। विरोधाभासी स्थिति को दूर करने के लिए कल कलेक्टर दीपक सक्सेना ने सभी स्कूल के संचालकों की एक बैठक बुलाई। बैठक में कलेक्टर श्री सक्सेना ने स्पष्ट रूप से कहा कि जिला प्रशासन की ओर से की जा रही कार्यवाही स्कूलों के खिलाफ नहीं है बल्कि मुनाफाखोरी कमीशन खोरी के कारण बिगड़ गई व्यवस्था को सुधारने के लिए की जा रही है। स्कूल शिक्षा का माध्यम है ना कि व्यवसाय का माध्यम। जिन स्कूलों ने गड़बड़ी की है वह स्वयं आत्म अवलोकन करें और अपनी गलतियों को सुधार कर लें। कलेक्टर ने कहा कि हमारी प्राथमिकता बच्चों का भविष्य होना चाहिए, उनकी शिक्षा होना चाहिए ना की गड़बड़ी करने वाले प्रबंधन के लोगों को बचाने की होना चाहिए।
कलेक्टर ने बैठक में सख्त तेवर दिखाते हुए कहा कि मनमानी ढंग से की जा रही फीस वृद्धि यूनिफॉर्म और स्टेशनरी के सामान, कॉपी किताबों का क्रय विक्रय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। स्कूल प्रबंधन को मुनाफा कमाना चाहिए लेकिन साथ में अपनी प्रतिष्ठा को भी बढ़ाना चाहिए। शिक्षा को कमाई का माध्यम नहीं बनने दिया जाएगा। शासन द्वारा जो नियम इन बातों को लेकर निर्धारित किए गए हैं उनका पालन हर हाल में होना ही चाहिए।
कार्यवाही उन पर हुई है जो गलत है
बैठक में स्कूल संचालकों की ओर से यह बात रखी गई कि शिक्षकों में डर बैठ गया है। जिस पर कलेक्टर ने स्पष्ट कहा कि कार्यवाही सिर्फ उन्हीं पर हुई हैं जो गलत हैं जिन्होंने घोटाले में अहम भूमिका निभाई है। शिक्षक हमेशा ही सम्माननीय रहे हैं। जो सही है उन्हें डरने की जरूरत नहीं है।
सुधार भी जबलपुर से शुरू हो
निजी स्कूलों की मनमानी के विरूद्ध कार्यवाही की शुरूआत यदि जबलपुर से हुई है तो सिस्टम आई खामियों को सुधारने के प्रयास भी जबलपुर से ही होना चाहिए। इससे प्रदेश और देश में अच्छा संदेश जायेगा और निजी स्कूलों को लेकर अभिभावकों, बच्चों और समाज में बनी खराब धारणा दूर होगी।
श्री सक्सेना ने कहा कि प्रशासन भी नहीं चाहता कि निजी स्कूलों के प्रबंधन के खिलाफ इस तरह की कार्यवाही की जाये। उन्होंने कहा कि गलतियां सभी से होती है लेकिन यदि मंशा अच्छी हो और गलतियों को समय रहते सुधार लिया जाये तो किसी को भी कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
कोर्ट ने निरस्त की पुस्तक विक्रेताओं की जमानत अर्जियाँ
जिला अदालत ने शहर के बहुचर्चित अवैध फीस वसूली व पाठ्य पुस्तक घोटाले में बनाए गए आरोपी स्कल पाठ्य सामग्री विक्रेता इुंरख्या बंधुओं अलोक कुमार व श्रीरामकी जमानत अर्जियाँ निरस्त कर दी हैं। सप्तम अपर सत्र न्यायाधीश शशि भूषण शर्मा ने अपने आदेश में कहा कि आरोपियों ने नौनिहालों के भविष्य से संगठित होकर गंभीर अपराध किया है। जिसको देखते हुए जमानत याचिका निरस्त कर दी।