जबलपुर (जय लोक)
11 स्कूलों के खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर के बाद जेल गए आरोपियों में से आज 4 प्राचायों को जमानत का लाभ मिल गया है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश श्री मनिंदर सिंह भट्टी ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा प्रिंसिपल और कर्मचारी कभी न कभी रिटायर होंगे और इनका मकसद किसी को फायदा पहुंचाना नहीं है। इसलिए इनको जेल में नहीं रखा जाना चाहिए। इसके साथ ही न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह जुर्म अगर बनता है भी तो सिर्फ सोसाइटी के मुख्य प्रबंधक पर बन सकता है। इस प्रकार न्यायालय ने कुल 12 लोगों को जिनमें 4 प्राचार्य भी शामिल है को जमानत का लाभ दे दिया है।
शहर के कुछ निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस बढ़ाने व प्रकाशक और पुस्तक विक्रेताओं के अपने हिसाब से किताबें चलाने के मामले में जिला प्रशासन द्वारा की गई कार्यवाही के तहत 11 स्कूलों के प्राचार्य एवं अन्य कर्मचारी को इन मामलों में आरोपी बनाया था । ये लोग विगत 50 दिन से जेल में थे।
कोरोना काल के बाद से कुछ स्कूलों की मनमानी फीस वसूली को लेकर लगातार शिकायतें सामने आ रही थीं। कुछ निजी स्कूलों द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से फीस बढ़ाने और पुस्तक विक्रेताओं के साथ साठगांठ कर अभिभावकों को तय दुकान से किताब कॉपियां खरीदने के लिए बाध्य किया गया। इस बात की सैकड़ों की संख्या में शिकायत मिलने और फिर जाँच के दौरान पुख्ता सबूत मिलने पर जिला प्रशासन की जांच में भी ये सारे तथ्य उजागर हुए थे। जिसके बाद 11 निजी स्कूलों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी । जिन लोगों को आरोपी बनाया गया था उनमें संचालक, प्रिंसिपल एवं अन्य स्टाफ को गिरफ्तार करते हुए न्यायालय में पेश किया गया। जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया था। इन आरोपियों से कई बार रिमांड में पूछताछ भी हुई और बहुत से जानकारियां भी सामने आईं है। याचिकाकर्ता के वकील हर्षित वारी के अनुसार उन्होंने न्यायालय के सामने पक्ष रखते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के ऊपर एफआईआर में जो आरोप लगाए गए हैं, वे बेबुनियाद हैं क्योंकि यह आरोप प्राचार्य के ऊपर लागू ही नहीं होते।
प्राचार्य पर नहीं मुख्य प्रबंधक के ऊपर लागू होते हैं- अधिवक्ता
वकील ने दलील दी कि ये आरोप प्राचार्यों पर नहीं बल्कि स्कूल के मुख्य प्रबंधक के ऊपर लागू होते हैं। क्योंकि इनके ऊपर अनावश्यक फीस का एफआईआर में जिक्र नहीं किया गया है और जो आईएसबीएन नंबर के सम्बन्ध में फर्जीवाड़े का आरोप लगाया था वहप्राचार्यों और कर्मचारियों के ऊपर दूर-दूर तक नहीं लगता। स्कूल कर्मचारी निर्णय लेने की व्यवस्था का हिस्सा नहीं होता है और ना ही उनका निर्णय की कोई बाध्यता होती है। इसलिए उनको गिरफ्तार करना बिल्कुल अनावश्यक है। तर्कों को सुनाने के बाद न्यायालय के आरोपियों को जमानत का लाभ दिया।
11 स्कूलों के खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर के बाद जेल गए आरोपियों में से आज 4 प्राचायों को जमानत का लाभ मिल गया है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश श्री मनिंदर सिंह भट्टी ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा प्रिंसिपल और कर्मचारी कभी न कभी रिटायर होंगे और इनका मकसद किसी को फायदा पहुंचाना नहीं है। इसलिए इनको जेल में नहीं रखा जाना चाहिए। इसके साथ ही न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह जुर्म अगर बनता है भी तो सिर्फ सोसाइटी के मुख्य प्रबंधक पर बन सकता है। इस प्रकार न्यायालय ने कुल 12 लोगों को जिनमें 4 प्राचार्य भी शामिल है को जमानत का लाभ दे दिया है।
शहर के कुछ निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस बढ़ाने व प्रकाशक और पुस्तक विक्रेताओं के अपने हिसाब से किताबें चलाने के मामले में जिला प्रशासन द्वारा की गई कार्यवाही के तहत 11 स्कूलों के प्राचार्य एवं अन्य कर्मचारी को इन मामलों में आरोपी बनाया था । ये लोग विगत 50 दिन से जेल में थे।
कोरोना काल के बाद से कुछ स्कूलों की मनमानी फीस वसूली को लेकर लगातार शिकायतें सामने आ रही थीं। कुछ निजी स्कूलों द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से फीस बढ़ाने और पुस्तक विक्रेताओं के साथ साठगांठ कर अभिभावकों को तय दुकान से किताब कॉपियां खरीदने के लिए बाध्य किया गया। इस बात की सैकड़ों की संख्या में शिकायत मिलने और फिर जाँच के दौरान पुख्ता सबूत मिलने पर जिला प्रशासन की जांच में भी ये सारे तथ्य उजागर हुए थे। जिसके बाद 11 निजी स्कूलों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी । जिन लोगों को आरोपी बनाया गया था उनमें संचालक, प्रिंसिपल एवं अन्य स्टाफ को गिरफ्तार करते हुए न्यायालय में पेश किया गया। जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया था। इन आरोपियों से कई बार रिमांड में पूछताछ भी हुई और बहुत से जानकारियां भी सामने आईं है। याचिकाकर्ता के वकील हर्षित वारी के अनुसार उन्होंने न्यायालय के सामने पक्ष रखते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के ऊपर एफआईआर में जो आरोप लगाए गए हैं, वे बेबुनियाद हैं क्योंकि यह आरोप प्राचार्य के ऊपर लागू ही नहीं होते।
प्राचार्य पर नहीं मुख्य प्रबंधक के ऊपर लागू होते हैं- अधिवक्ता
वकील ने दलील दी कि ये आरोप प्राचार्यों पर नहीं बल्कि स्कूल के मुख्य प्रबंधक के ऊपर लागू होते हैं। क्योंकि इनके ऊपर अनावश्यक फीस का एफआईआर में जिक्र नहीं किया गया है और जो आईएसबीएन नंबर के सम्बन्ध में फर्जीवाड़े का आरोप लगाया था वहप्राचार्यों और कर्मचारियों के ऊपर दूर-दूर तक नहीं लगता। स्कूल कर्मचारी निर्णय लेने की व्यवस्था का हिस्सा नहीं होता है और ना ही उनका निर्णय की कोई बाध्यता होती है। इसलिए उनको गिरफ्तार करना बिल्कुल अनावश्यक है। तर्कों को सुनाने के बाद न्यायालय के आरोपियों को जमानत का लाभ दिया।