जबलपुर (जयलोक)। महिलाओं की शक्ति के प्रतीक के रूप में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को हर साल 8 मार्च को पूरे विश्व में मनाया जाता है। यह दिवस लैंगिक समानता, महिलाओं के अधिकारों और उनके सशक्तिकरण के प्रति जागरूकता फैलाने का प्रतीक है। आधुनिक समाज में महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं, फिर भी वे कई चुनौतियों और भेदभाव का सामना कर रही हैं। यह दिन न केवल महिलाओं के संघर्ष, उपलब्धियों और योगदान को पहचानने के लिए महत्वपूर्ण है।
एएसपी सोनाली दुबे के नाम से कांपते है अपराधी
शहर में पदस्थ एएसपी सोनाली दुबे के नाम से ही अपराधी कांपते हैं। जबलपुर में पदस्थ श्रीमती सोनाली दुबे को फिलहाल ट्राफिक एएसपी का पदभार मिला है। जबलपुर में पदस्थ रहने के पूर्व उन्होंने कई जिलों में अपनी सेवाएं दीं। श्रीमती सोनाली दुबे ने कहा कि समाज में बढ़ते अपराधों को रोकने के लिए जागरूकता की जरूरत है। उन्होंने बढ़ते अपराधों को रोकने और महिला सशिक्तकरण के लिए कई जरूरी कदम उठाए। उन्होंने कहा कि पुलिस की सर्विस के दौरान जहां काम पहली प्राथमिकता है तो वहीं एक महिला के लिए उनका परिवार भी सर्वोपरि है। काम और परिवार के बीच सामंजस्य बैठाना एक कड़ी चुनौती है।
शासन की योजनाओं को जन-जन तक पहुँचा रही एडीएम मिशा सिंह
शहर में पदस्थ अपर कलेक्टर मिशा सिंह का नाम उन चर्चित अधिकारियों की सूची में शामिल हैं जिन्होंने शासन की योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों को दिलाने के साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में जरूरी कदम उठाए। उन्होंने कहा कि आज सभी क्षेत्रों में महिलाएं अपना योगदान दे रही हैं। बात चाहे राजनीति की हो, पुलिस या प्रशासनिक विभाग में बड़े ओहदे की हो या फिर सामाजिक कार्यों की हो, इन सभी कार्यों में महिलाएं किसी विशेष पद पर हैं और इन सभी कार्यों में महिलाएं अपना योगदान दे रहीं हैं।
नेहा ने कलम के माध्यम से समाज को किया जागरूकता
शुरू से ही पत्रकारिता के क्षेत्र में रूचि रखने वाली नेहा सेन ने कलम को अपनी पहचान बनाई। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही समाचारों की दुनिया से जुडऩे का शौक पनपा। अखबारों और न्यूज चैनलों को देखकर उन्होंने ठान लिया कि वे भी पत्रकार बनेगी। पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी करने के बाद नेहा ने वर्ष 2011 में एक समाचार पत्र से जुडक़र अपना काम शुरू किया। हालांकि इस दौरान नेहा को कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ा। लेकिन उन्होंने हर चुनौतियों का सामना किया और आज इसी का परिणाम है कि नेहा की गिनती शहर की चर्चित पत्रकारों में होती है। नेहा ने ना सिर्फ अपनी कलम के माध्यम से सामाजिक मुद्दों को उठाया बल्कि महिला संबंधी अपराधों के प्रति भी जागरूकता फैलाई। नेहा ने बताया कि महिलाओं के लिए पत्रकारिता शादी के पहले कुछ हद तक आसान होती है, लेकिन शादी के बाद पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच काम करना चुनोतिपूर्ण हो जाता है। उन्होंने कहा कि काम के लिए 8 माह के बेटे को घर छोडक़र आना बहुत मुश्किल फैसला था। नेहा ने कहा कि इस बीच पति का सपोर्ट अहम रहा जो घर के कामों में उनकी मदद करते हैं।
आयुक्त नगर निगम की महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहीं हैं प्रीति यादव
नगर निगम आयुक्त का पद सबसे महत्वपूर्ण और चुनौतियों भरा होता है। इस पद का दायित्व श्रीमति प्रीति यादव बखूबी निभा रहीं है। उनके कार्यकाल में नगर निगम ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं।
पुलिस विभाग में आकर देश सेवा कर रही सरिता पटेल
बरगी थाने में पदस्थ सब इंस्पेक्टर सरिता पटेल भी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है। पुलिस विभाग में काम करने के साथ ही जहां उनका सामना अपराधियों बदमाशों से आएदिन होता है तो वहीं काम के दौरान उनके सामने कई चुनौतियां भी आती है। श्रीमती सरिता पटेल ने बताया कि वे काम के साथ साथ अपने परिवार को भी महत्व देती है। उन्होंने कहा कि महिला जो भी ठान ले वह पूरा कर सकती है। मूलत: ग्रामीण क्षेत्र में पलीबढ़ी सरीता पटेल के लिए अपनी शुरूआती शिक्षा इतनी आसानी नहीं रहीं। उन्होंने बताया कि परिवार में कोई भी पुलिस विभाग में पदस्थ नहीं था। ऐसे में पुलिस विभाग में आना उनके लिए काफी चुुनौतीपूर्ण रहा। देश सेवा और सामाजिक कार्य के लिए उन्होंने पुलिस विभाग चुना और आज वे अपने चुने हुए रास्ते पर आगे बढक़र समाज में जागरूकता का संदेश फैला रहीं हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने समाज को एक संदेश दिया है कि बेटियाँ हर क्षेत्र में आगे हैं।
निर्धन बच्चों को शिक्षित कर रही समाजसेविका गीता दुबे
जरूरतमंदों की सेवा के लिए तत्पर रहने वाली समाजसेविका गीता दुबे का भी नाम शहर की ऐसी महिलाओं में शामिल हैं जिन्होंने अपने कार्य से हर किसी का दिल जीत लिया। श्रीमती गीता दुबे समाजसेवा के कार्य में कई सालों से जुड़ी हुई हैं। इस दौरान उन्होंने निर्धन युवतियों की शादी, निर्धन बच्चों की शिक्षा और महिला को स्वरोजगार दिलाने में कई कार्य किए। श्रीमती गीता दुबे ने बताया कि निर्धन बच्चों को शिक्षित करने के लिए उन्होंने एक स्कूल शुरू किया जिसमें आर्थिक कमजोर वर्ग के बच्चों को वे शिक्षित कर रही हैं। इसके अलावा समाज में हर जरूरतमंदों तक मदद पहुँचा रहीं हैं।
