कलेक्टर के निर्देश पर हुए फेरबदल का दिख रहा असर
जबलपुर (जयलोक)। लगभग दो महीने पहले जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना के निर्देश पर तहसीलों के कार्य विभाजन में फेरबदल हुआ। अपने स्तर पर बेहतर कार्य कर रही एसडीएम शिवाली सिंह को कलेक्ट्रेट में पदस्थ कर नई जिम्मेदारियाँ सौंप गई। वहीं गोरखपुर तहसील में एसडीएम के दायित्व का अच्छा प्रदर्शन कर रहे पंकज मिश्रा को अधारताल तहसील में पदस्थ किया गया। अचानक हुए इस फेरबदल से प्रशासनिक हल्के में चर्चाएं सरगर्म हुईं। लेकिन जिस उद्देश्य के साथ कलेक्टर ने फेरबदल का यह जो निर्णय लिया था वह भी 2 महीने की कार्यप्रणाली के बाद स्पष्ट रूप से सामने आने लगा है। अधारताल तहसील में लगातार घोटाले, दस्तावेजों से छेड़छाड़ कर प्रकरण निपटाने के मामले सामने आ रहे थे। यहाँ पदस्थ तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी तहसील चलाने और अवैध कमाई करने के चक्कर में अपने वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना कर रहे थे। कई प्रकरण लगातार सामने आए जिस पर प्रशासनिक स्तर पर भी कार्यवाही हुई।
कलेक्टर दीपक सक्सेना ने तत्काल फेरबदल कर व्यवस्थाओं को सुधारने के उद्देश्य से नया आदेश निकाला।
अधारताल एसडीएम बनकर आए पंकज मिश्रा ने स्थिति का आंकलन कर अपनी रणनीति तय की और कलेक्टर के निर्देशानुसार पेंडेंसी खत्म करने के कार्य पर एकाग्रता रखते हुए कार्य किया। जिसका परिणाम यह हुआ कि दिसंबर में जो लंबित प्रकरणों की संख्या 500 से 600 के बीच थी वह अब 400 शेष बची है। डेढ़ माह के अपने कार्यकाल में उन्होंने 100 से अधिक विभिन्न प्रकार के लंबित प्रकरणों का निराकरण किया है जो केवल अंतिम छोर पर होने के बावजूद लंबित थे। निराकरण किए गए प्रकरणों में सीपीआरसी के 145 धारा के अंतर्गत कब्जे दिलाने के प्रकरण अपील सुनवाई, खसरा सुधार जैसे प्रकरण को प्राथमिकता से निपटाया गया है। वर्तमान में अधारताल तहसील के अंतर्गत 400 से करीब प्रकरण बचे हुए हैं जो विभिन्न किस्म के है और निराकरण के लिए एसडीएम पंकज मिश्रा ने उन्हें सूचीबद्ध करवाया है।
अप्रैल तक निपट जाएँगे पुराने प्रकरण
वर्तमान में अधारताल तहसील के अंतर्गत 400 से अधिक प्रकरण विभिन्न प्रकृति के लंबित है जिनमें खसरा सुधार अपील कब्ज के प्रकरण सहित अन्य प्रकरण शामिल है। इन प्रकरणों को सूचीबद्ध करवाने का कार्य अनुविभागीय अधिकारी पंकज मिश्रा ने किया है। कलेक्टर दीपक सक्सेना के निर्देशानुसार कम से कम लंबित प्रकरणों की संख्या को ध्यान में रखते हुए यह कार्य किया जा रहा है। अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय में यह बात स्पष्ट रूप से सभी कर्मचारियों को ज्ञात है कि जो भी प्रकरण सामान्य प्रक्रिया के हैं या जिनमें बड़े विवाद नहीं है ऐसे प्रकरणों को हर हाल में 31 मार्च से पहले निपटाने का लक्ष्य निर्धारित कर अधारताल तहसील में कार्य किया जा रहा है।
7 बजे तक तक लग रही तहसीलदार की कोर्ट
तहसीलदार जानकी उइके भी अपने वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशानुसार अधिक से अधिक लंबित पर प्रकरणों को निपटाने के उद्देश्य से शाम 7 बजे और कई बार तो 8 तक अपने न्यायालय में प्रकरणों की सुनवाई कर रहीं है।
वीआईपी ड्यूटी और लॉ एंड ऑर्डर का दबाव अधिक
सामान्य रूप से यह बात भी देखी जाती है कि अनुविभागीय अधिकारी और तहसीलदारों के ऊपर राजस्व प्रकरणों के निपटारा करने के अलावा सामाजिक गतिविधियों के अनुसार लॉ एंड ऑर्डर की ड्यूटी के साथ ही राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्री सहित अन्य प्रकार की वीआईपी ड्यूटी करने की जवाबदारी भी होती है। ऐसी स्थिति में कई बार न्यायालय कार्य या राजस्व संबंधित प्रकरणों पर विलंब का असर पड़ता है। उदाहरण के तौर पर कल प्रदेश के मुख्यमंत्री की जबलपुर यात्रा को ही ले लिया जाए। मुख्यमंत्री के उमरिया ग्राम में पहुंचने का समय 2:30 बजे निर्धारित कर उसके अनुरूप प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर कर्मचारी तक की ड्यूटी लगाई गई थी। लेकिन विभिन्न कारणों वश प्रदेश के मुख्यमंत्री का आगमन शाम 7 बजे के करीब हो पाया। इसका असर यह हुआ कि एक पूरा दिन राजस्व प्रकरणों के निराकरण से पृथक हो गया। ऐसे कई अवसर पूरे महीने में कई बार आते हैं कई बार तो दी गई पेशियाँ पर सुनवाई भी नहीं हो पाती क्योंकि संबंधित अधिकारियों को वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर अन्य ड्युटियों का निर्वहन करना पड़ता है।
कलेक्टर दीपक सक्सेना इन सारी बातों के मद्देनजर राजस्व से संबंधित प्रकरणों के निराकरण पर विशेष ध्यान देते हैं एवं संबंधित अनुभाग्य अधिकारियों और तहसीलदार को इस बात के लिए प्रेरित भी करते हैं कि जन सामान्य के विषयों पर न्याय अनुरूप जल्द से जल्द कार्य किया जाए। अधारताल तहसील कई स्तरों पर विवादों में रही है। अब दायित्वों के फेर बदल के बाद स्थितियों में परिवर्तन की पूरी आशा व्यक्त की जा रही है। आने वाले दो माह में अगर लंबित प्रकरणों का निराकरण हो जाता है तो अधारताल तहसील भी सामान्य रूप से प्रतिदिन के प्रकरणों के अनुरूप कार्य करेगी जिसका यह असर होगा कि किसी प्रकार की पेंडेंसी नजर नहीं आएगी और लोगों को राजस्व प्रकरणों में राहत मिल सकेगी।
हाईकोर्ट के मौजूदा जजों के खिलाफ शिकायतों पर विचार करने के लोकपाल के आदेश पर रोक
