भोपाल (जयलोक)
कम होता जंगल और उस पर बढ़ता अतिक्रमण और तमाम प्रयासों के बाद भी शिकार की घटनाओं में कमी ने आ पाने से परेशान वन महकमें ने अब मैदानी अफसरों को भी वन कर्मियों की ही तरह पैदल गश्त करने के निर्देश दिए हैं।
दरअसल अब तक महज वन रक्षक ही पैदल गश्त करते हैं, जबकि रेंजर और उसके ऊपर के बड़े अफसर या तो जंगलों में जाते नही हैं और अगर जाते भी हैं, तो वे सरकारी वाहनों से।
इसकी वजह से गश्त के दौरान महज खनापूर्ति ही होती है। यही वजह है कि अब वन मुख्यालय को सभी डीएफओ और वाइल्ड लाइफ के अफसरों को परिपत्र जारी कर वनकर्मियों के साथ रेंजर और डीएफओ को भी जंगल में पैदल गश्त करने के लिए निर्देश देने पड़े हैं। इसके साथ ही मुख्यालय से जारी परिपत्र में कहा कि जंगल में हो रहे अपराधों से निपटने के लिए अधिकारी एक भी बनाएं। इसके तहत सबसे पहले संवेदनशील क्षेत्रों को चिन्हित करें। इनमें वे क्षेत्र हों जहां पर अवैध शिकार और वन संपदा का अनाधिकृत तौर पर लोगों द्वारा उपयोग किया जा रहा है। इस तरह के जंगली क्षेत्रों में उडऩदस्ता से भी मॉनिटरिंग कराई जाए। इसके साथ ही किसी तरह से आरोप पत्यारोप लगने की गुजांइश न रहे इसके लिए वन अतिक्रमण हटाए जाने की कार्रवाई की वीडियोग्राफी भी कराई जाए।
महिला गार्ड को रखें साथ
मुख्यालय ने वन अधिकारियों को निर्देश दिए है कि वे अपनी टीम में महिला फॉरेस्ट गार्ड को अनिवार्य रूप से शामिल करें। देखा जा रहा है कि अक्सर अतिक्रमण हटाने के लिए जिस किसी क्षेत्र में वन अमला जाता है, तो वहां पर अतिक्रमणकारी जानबूझकर कर महिलाओं को आगे कर व्यवधान डालने का प्रयास करते हैं। इतना ही नहीं, कई बार झूठे आरोप लगाकर पुलिस से भी शिकायत कर देते हैं, जिससे अमले को तरह- तरह से परेशान होता पड़ रहा है। इस तरह की समस्याओं से निपटने के लिए महिला फॉरेस्ट गार्ड को साथ ले जाकर कार्रवाई करने को कहा गया है। इसके अलावा वन सुख्यालय की संरक्षण शखा के पीसीसीएफ दिलीप कुमार ने निर्देश दिए हैं कि जंगल में अतिक्रमण हटाने के दौरान वन अमले पर हमले को घटनाएं न हो इसके लिए विशेष सतर्कता भी बरतें। वन विभाग के अफसर पर्याप्त सुरक्षा बल के साथ ही ऐसे क्षेत्रों में जाएं। इस तरह की कोई कार्रवाई करने से पहले एसपी और जिला प्रशासन के अफसरों को अतिक्रमण हटाने से पहले जानकारी जरुर दे।