नई दिल्ली (एजेंसी/जयलोक)। भारत में साइबर फ्रॉड की जड़ काफी मजबूत हो चुकी है। इसकी वजह से हर दिन कोई न कोई इसका शिकार हो रहा है। साइबर फ्रॉड से किसी को लाखों की चपत लग रही हैं, तब किसी से करोड़ों की ठगी हो रही है। आपको जानकर हैरानी होगी कि पिछले तीन सालों में हम भारतीय साइबर फ्रॉड से इतने रुपए गंवा चुके हैं, जितना किसी राज्य का सालान बजट होता है। जी हां, पिछले 3 सालों में साइबर फ्रॉड से भारतीयों को 25,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। यह रकम सिक्किम राज्य के सालाना बजट से दोगुनी है। सूत्रों की मानें, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में एक हाई लेवल की बैठक हुई है। इसमें गृह मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधिकारियों ने इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और गूगल जैसे विभिन्न सोशल मीडिया मचों के साथ अपनी चिंताओं को शेयर किया है। डेटा से खुलासा हुआ है जनवरी 2024 से जून 2024 तक सेंट्रल साइबर फ्रॉड एजेंसी को 709 शिकायतें मिलीं। इसमें पीडि़तों को 1 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ। कुल नुकसान 1,421 करोड़ रुपये था। बैठक में शामिल हुए सीनियर अधिकारी ने बताया कि सरकार लगातार एक ऐसी प्रणाली पर काम कर रही है, जहां सूचना का प्रवाह तेज हो। फिलहाल, सभी कंपनियां शुरुआती चरण में भी कई तरह के डिटेल्स मांगती हैं। इसकारण साइबर फ्रॉड को रोकने की प्रक्रिया में देरी होती है। हाल के दिनों में साइबर क्राइम के कई मामले सामने आए, मसलन- एम्स पर साइबर हमले, आईसीएमआर यानी भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद डेटा लीक और लोन देने वाले एप से फ्रॉड. नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल पर 2020 से फरवरी 2024 के बीच 31 लाख शिकायतें दर्ज कराई गई हैं।
केंद्र के एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक, सबसे बड़ी चिंता यह है कि साइबर फ्रॉड के मामलों में गिरफ्तारी की संख्या बहुत कम है। आधिकारिक डेटा के मुताबिक, साइबर फ्रॉड से संबंधित विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा दर्ज कुल मामले या एफआईआर 66,000 से ज्यादा हैं। लेकिन अब तक गिरफ्तारियां केवल 500 हैं। सूत्रों के अनुसार, भारत सरकार ने सोशल मीडिया मंचों से अपनी सिफारिशों पर काम करने को कहा है। सूत्रों ने कहा कि कंपनियों को लोन ऐप, पोंजी स्कीम और स्टॉक ट्रेडिंग समूहों पर फर्जी विज्ञापनों का पता लगाने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा गया है।